उदयपुर में डांगी पटेल समाज को शिक्षा, राजनीति व व्यापार के क्षेत्र में बनाएंगे सिरमौर : प्रवीण पटेल
उदयपुर। श्री उमिया माताजी संस्थान उंझा, गुजरात के पदाधिकारियों एवं डांगी पटेल समाज उदयपुर मेवाड़ क्षेत्र के पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक एकलिंगपुरा में आयोजित हुई।

उदयपुर में डांगी पटेल समाज को शिक्षा, राजनीति व व्यापार के क्षेत्र में बनाएंगे सिरमौर : प्रवीण पटेल
ब्यूरो चीफ एम के जोशी चित्तौड़गढ़
- गुजरात में पटेल समाज की एकता का मॉडल होगा राजस्थान में लागू
- समाज से बड़ा कुछ भी नहीं, शिक्षा को लेकर चलाए जाएंगे विविध अभियान
उदयपुर। श्री उमिया माताजी संस्थान उंझा, गुजरात के पदाधिकारियों एवं डांगी पटेल समाज उदयपुर मेवाड़ क्षेत्र के पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक एकलिंगपुरा में आयोजित हुई। कडवा पाटीदार कुलदेवी श्री उमिया माताजी संस्थान के श्री उमिया परिवार संगठन कमेटी के चेयरमैन प्रवीण भाई पटेल, श्री उमिया माताजी संस्थान उंझा मानदमंत्री नेताजी दिलीप भाई पटेल, सहमंत्री वसंत भाई चौकसे, संस्थान कोषाध्यक्ष हंसमुख भाई पटेल के आतिथ्य में बैठक का आयोजन हुआ। मंदसौर, मध्यप्रदेश जाते हुए उदयपुर में समाज के प्रमुख प्रबुद्धजनों अध्यक्ष राजस्थान डांगी पटेल सेवक संस्थान शोभागपुरा उदयपुर गोपाल डांगी एकलिंगपुरा, अखिल भारतीय डांगी क्षत्रिय संघ दिल्ली राष्ट्रीय अध्यक्ष वरदीचन्दजी डांगी, गुजराती पाटीदार समाज उदयपुर के अध्यक्ष एवं सचिव, उदयपुर क्षेत्र के प्रबुद्ध समाजजनों की संयुक्त अनौपचारिक बैठक एवं स्नेहमिलन एकलिंगपुरा में रखा गया। बैठक में प्रवीण भाई पटेल द्वारा समस्त समाजजनों में एकता ,समन्वय एवं सदभाव स्थापित करते हुए अपनी अपनी कुलदेवी में अटूट श्रद्धा रखते हुए शैक्षिक जागृति लाकर समाज की भावी पिढी के बहुमुखी विकास के लिए सामुहिक, संगठित एवं सार्थक प्रयास करने का आह्वान किया। पटेल ने कहा कि उदयपुर में डांगी पटेल समाज को शिक्षा, राजनीतिक एवं व्यापार के क्षेत्र में सिरमौर बनाएंगे। समाज में सामाजिक होने के लिए आपको सभी की भावनाओं को समझकर अपने विचार समाज के सामने रखने पड़ते हैं और आप सामाजिक हैं या नहीं है, इसके बारे में भी समाज ही निर्णय करता है। समाज में सामाजिक कार्य करने से भी आपके विचार समाज के ऊपर बहुत प्रभाव डालते हैं। अगर आप समाज के अनुसार सही व्यक्ति हैं, तो आपको समाज द्वारा ही राजनीति में लाने का काम भी किया जा सकता है, जिससे आप समाज के लिए सामाजिक एवं जनहितकारी कार्य कर सकें। राजनीतिक होने का मतलब यह नहीं है कि समाज के लिए कार्य नहीं करना, बल्कि राजनीतिक व्यक्ति समाज के कार्य सामाजिक व्यक्ति से ज़्यादा करेगा, क्योंकि ज़्यादातर राजनीतिक व्यक्ति का उद्देश्य मात्र चुनाव जीतने का रहता है। उम्मीदवार यह जानता है कि चुनाव जीतकर सामाजिक कार्य सही ढंग से करूंगा, तो समाज की सामाजिक परेशानियों के हल आसानी से निकाल सकूंगा। व्यापारी समाज का सबसे बड़ा सेवक है। हर सामाजिक कार्य में उसका योगदान सबसे ऊपर रहता है। शिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली वह सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान, एवं कला - कौशल में वृद्धि तथा व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है। इसके द्वारा व्यक्ति एवं समाज दोनों निरन्तर विकास करते है।
श्री उमिया माताजी संस्थान उंझा मानदमंत्री नेताजी दिलीप भाई पटेल ने कहा कि सामाजिक एकता के द्वारा राजनैतिक प्रतिनिधित्व प्राप्त किया जा सकता हैं। अत: हम सभी राजस्थानी -गुजराती भाई साथ साथ मिलकर समाज की पारम्परिक रुढीवादी कुरितियों एवं अन्य आयोजनों में अपव्यय को रोककर समाज के भावी बच्चों के शिक्षा मे निवेश करने से समाज समृद्ध होगा। एक और यदि यह बात सत्य है कि, समाज शिक्षा को प्रभावित करता है तो दूसरी और यह बात सत्य है कि, शिक्षा समाज के स्वरूप को निश्चित करती है , और उसकी सांस्कृतिक , धार्मिक , राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति को प्रभावित करती है। शिक्षा मानव समाज की आधारशिला है । वह समाज का निर्माण करती है , उसमें परिवर्तन करती है , और उसका विकास करती है। इस अवसर पर अखिल भारतीय डांगी संघ के जिलाध्यक्ष विष्णु पटेल , लालजी भाई पटेल, महामंत्री प्रभुलाल डांगी , प्रसार प्रचार मंत्री अंबालाल पटेल , हिरालाल डांगी , गोपाल डांगी , देवीलाल डांगी आदी मौजूद रहे।
समाज में लाएंगे शिक्षा की क्रांति : नेताजी पटेल
श्री उमिया माताजी संस्थान उंझा मानदमंत्री नेताजी दिलीप भाई पटेल ने कहा कि समाज और शिक्षा अन्योन्याश्रित होते हैं। जैसे किसी समाज की भौगोलिक , सामाजिक , सांस्कृतिक , धार्मिक , राजनीतिक और आर्थिक स्थिति होती है वैसी ही उसकी शिक्षा होती है। इतना ही नहीं अपितु किसी समाज में सामाजिक परिवर्तनों के साथ साथ उसकी शिक्षा में भी परिवर्तन होते चलते हैं । और जिस समाज में जैसे शिक्षा की व्यवस्था की जाती है , वैसी ही उस समाज की भौगोलिक स्थिति पर पकड़ और उसके स्वरूप एवं उसकी सांस्कृतिक , धार्मिक , राजनीतिक और आर्थिक स्थिति में परिवर्तन होने लगता है। समाजिक परिवर्तन लाने में शिक्षा आधारभूत भूमिका अदा करती है।