राजस्थान उच्च न्यायलय ने एक अंतरिम आदेश से राज्य सरकार और होम गार्ड विभाग को निर्देश दिया है की होमगार्ड कल्याण कोष का इस्तेमाल केवल होमगार्ड कल्याण के लिए ही किया जाए और कोष से एक पैसा भी किसी अन्य गतिविधि में खर्च न किया जाए। 

यह आदेश होमगार्ड समन्वय समिति की याचिका पर न्यायाधिपति महेंद्र गोयल की एकल पीठ ने दिया। न्यायालय को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ अभिनव शर्मा ने बताया की 100 करोड़ से भी अधिक राशि का एक कोष अविधानिक तरीके से होमगार्ड विभाग द्वारा बना रखा है जिसका अंशदान राज्य के 26000 दैनिक वेतनभोगी होमगार्ड से  प्रतिवर्ष संकलित किया जाता है।

राजस्थान उच्च न्यायलय ने एक अंतरिम आदेश से राज्य सरकार और होम गार्ड विभाग को निर्देश दिया है की होमगार्ड कल्याण कोष का इस्तेमाल केवल होमगार्ड कल्याण के लिए ही किया जाए और कोष से एक पैसा भी किसी अन्य गतिविधि में खर्च न किया जाए। 

ब्यूरो चीफ एम के जोशी चित्तौड़गढ़

यह आदेश होमगार्ड समन्वय समिति की याचिका पर न्यायाधिपति महेंद्र गोयल की एकल पीठ ने दिया। न्यायालय को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ अभिनव शर्मा ने बताया की 100 करोड़ से भी अधिक राशि का एक कोष अविधानिक तरीके से होमगार्ड विभाग द्वारा बना रखा है जिसका अंशदान राज्य के 26000 दैनिक वेतनभोगी होमगार्ड से  प्रतिवर्ष संकलित किया जाता है।

याचिका में बताया की इस कोष को प्रोविडेंट फंड में हस्तांतरित करने के लिए बाध्य होने के बावजूद सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। राज्य के भविष्य निधि विभाग ने भी जवाब पेश कर कहा की भविष्य निधि अधिनियम की पालना के लिए गत एक दशक से राज्य सरकार से पत्राचार किया जा रहा है और पीफ में राशि जमा नही करने पर विधि में शास्ति का प्रावधान है। लेकिन सरकार द्वारा अल्पवेतन भोगी कर्मियों के साथ उचित व्यवहार नही हो रहा है । 

ज्ञात हो की याचिका में न्यायालय को बताया गया है की कल्याण कोष में होमगार्ड विभाग के उच्च अधिकारी भी नाममात्र की अंशराषि दे कर सदस्य बन जाते है और जमा धनराशि का प्रयोग विभाग में फर्नीचर खरीद, कर शेड बनाने ,गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों में खर्च किया जाता है। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गयावथा की गणतंत्र दिवस पर बड़ी धनराशि  का दुरुपयोग होता है जिसे रोका जाना चाहिए।