देश के प्रमुख साहित्यकार डाक्टर ओम प्रकाश वाल्मिकी के जन्मोत्सव पर विचार गोष्ठी आयोजीत कर दी शुभकामनाऐ 

चित्तौड़गढ़ 1 जुलाई भारतीय दलित साहित्य अकादमी चित्तौड़गढ़ के तत्वावधान में विख्यात साहित्यकार डॉ ओमप्रकाश वाल्मीकि के जन्म जयन्ती पर विचार गोष्ठी का आयोजन आज अकादमी के सॅरक्षक व प्रोफेसर निर्मल देसाई की अध्यक्षता में किया गया।

देश के प्रमुख साहित्यकार डाक्टर ओम प्रकाश वाल्मिकी के जन्मोत्सव पर विचार गोष्ठी आयोजीत कर दी शुभकामनाऐ 

देश के प्रमुख साहित्यकार डाक्टर ओम प्रकाश वाल्मिकी के जन्मोत्सव पर विचार गोष्ठी आयोजीत कर दी शुभकामनाऐ 

संवादाता मुकेश कुमार जोशी चित्तौड़गढ़

ठाकुर का कूआ, झूठन आदि रचनाओ के धनी रहै है साहित्यकार वाल्मिकी----ओजस्वी

चित्तौड़गढ़ 1 जुलाई भारतीय दलित साहित्य अकादमी चित्तौड़गढ़ के तत्वावधान में विख्यात साहित्यकार डॉ ओमप्रकाश वाल्मीकि के जन्म जयन्ती पर विचार गोष्ठी का आयोजन आज अकादमी के सॅरक्षक व प्रोफेसर निर्मल देसाई की अध्यक्षता में किया गया।

                                         संगोष्ठी के मुख्य वक्ता भारतीय दलित साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष मदन सालवी ओजस्वी कार्यक्रम के मुख्य अतिथी के रूप में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ ओमप्रकाश वाल्मीकि का जन्म 30 जून 1950 को मुज्जफरपुर ,उत्तरप्रदेश में हुआ। आपने पिछड़े वर्ग की वेदना को अपने साहित्य के माध्यम से प्रकट किया । अपनी आत्मकथा " जूठन" में वाल्मीकि समाज की पीड़ा का वर्णन किया। वे अपने जमाने के खास साहित्यकार होकर घोर अंधकार में साहित्य के जरिए अंधकार में प्रकाश फेलाने का कार्य किया है। कार्यक्रम में एडवोकेट नीता ने डॉ ओम प्रकाश वाल्मीकि की कविता "ठाकुर का कुआँ" का वाचन किया। उन्होंने कहा "चूल्हा मिट्टी का ।। मिट्टी तालाब की ,के माध्यम से देश के महान साहित्यकार डाक्टर वाल्मीकि ने सामाजिक वंचना का वर्णन किया। कार्यक्रम में जयदीप बेनीवाल, रीना बेनीवाल विचार व्यक्त किए।

विचार गोष्ठी में, अर्पित देसाई, रीना बेनीवाल, संतौष सालवी, जयदीप बेनीवाल, आदि की उपस्थिती में साहित्य के प्रति अभिरूची बढाया जाना आवशयक होना बताया।

तत्कालीन समय का चित्रण तथा सोये समाज में जागरूकता लाने पर बल दिया गया----

 कार्यक्रम में धन्यवाद देते हुए निर्मल देसाई ने बताया कि सदियों का सन्ताप, बहुत हो चुका, अब और नहीं, सलाम, घुसपेटिये दलित साहित्य का सौंदर्य शास्त्र आदि कृतियां आपके द्वारा रचित हैं। आपको1993 में अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।