वीरता से थर्राथे थे अंग्रेज वीरांगना रानी अवंती बाई का 166 वा शहीद दिवस पुष्प एवं दीप प्रचलित कर शहीद दिवस मनाया

चित्तोड़ गढ़ 20 मार्च:1857 की क्रांति की प्रणेता , प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाली रामगढ़ मंडला की रानी अमर शहीद वीरांगना रानी अवंती बाई जी के 166बे बलिदान दिवस पर क्षत्रिय लोधा विकास समिति चित्तौड़गढ़ द्वारा शहीद स्मारक में छायाचित्र पर दीप प्रज्वलित एवं पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी

जिनकी वीरता से थर्राथे थे अंग्रेज वीरांगना रानी अवंती बाई का 166 वा शहीद दिवस पुष्प एवं दीप प्रचलित कर शहीद दिवस मनाया

चित्तोड़ गढ़ 20 मार्च:1857 की क्रांति की प्रणेता , प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाली रामगढ़ मंडला की रानी अमर शहीद वीरांगना रानी अवंती बाई जी के 166बे बलिदान दिवस पर क्षत्रिय लोधा विकास समिति चित्तौड़गढ़ द्वारा शहीद स्मारक में छायाचित्र पर दीप प्रज्वलित एवं पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी

लोधा महासभा के प्रांतीय प्रचार मंत्री शिव प्रकाश लोधा ने कहा कि यू तो देश को आज़ाद कराने में हजारों क्रांति कारियो ने बलिदान दिया लेकिन उनमें एक प्रथम नारी शक्ति अमर शहीद वीरांगना रानी अवंती बाई जो की मध्य प्रदेश के रामगढ़ मंडल की रानी वीरांगना अवंतीबाई के 166वा बलिदान शहीद दिवस पर पुष्प माला दीप प्रचलित कर सभी समाज जन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित की और वीरांगना अवंती बाई 1857 की ही प्रथम नारी शक्ति जिन्होंने 1857 की क्रांति में रेवांचल के आंदोलन की सूत्रधार थी और अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार नहीं करते हुए अंग्रेजो को लोहे के चने चबाने पर मजबूर कर दिया था और नंगे पैर भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया क्योंकि वीरांगना रानी अवंती बाई ने आसपास के राजाओं को जो की अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार करने कर देने पर राजी हो रहे थे जिसे देख वीरांगना रानी अवंती बाई ने उनके आसपास के राजाओं को चिट्ठी लिखकर भेजि और चिट्ठी में चूड़ियां चुनर और सिंगार भेजाऔर कागज में लिखा की या तो अंग्रेजों से लड़ने के लिए तैयार हो जाओ और न लड़ने के लिए तैयार हो तो की चूड़ियां और पोशाक सिंगार पहन लो राजा राजा होते हैं आखिर कर एक नारी शक्ति का पत्र पढ़कर सुनकर उनके अंदर आग की ज्वाला अंग्रेजों के खिलाफ क्रोधित होते और अपने मान सम्मान स्वाभिमान के लिए लड़ने मिटाने के लिए तैयार हो गए थे फिर अंग्रेजो के खिलाप क्रांति एक साथ सभी राजाओं ने अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ना शुरू किया था तब अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर और इनका एरिया छोड़ने पर मजबूर कर दिया था और उनका एरिया छोड़ कर चले गए और बाद में वापस तब अंग्रेजों ने यह सब सारी योजना का प्रमुख नेतृत्व करता वीरांगना रानी अवंती बाई को समझा तो जितना मुस्किल था तो वीरांगना रानी अवंती बाई के राज्य रामगढ़ मंडल को धोखे से गहरा अचानक बिना सूचना के युद्ध शुरू हो गया चारों तरफ पहाड़ियों से गिरते देख अपने आप को अंग्रेजो से गैरते देख वीरांगना रानी अवंती बाई ने समझ लिया कि अब उनसे मुझे विजय प्राप्त करना मुश्किल है और अंग्रेजी हुकूमत मैं आदेश निकाला की वीरांगना रानी अवंती बाई को जीवितअवस्था में हमारे समक्ष लाना है तो इसको देखते हुए वीरांगना रानी अवंती बाई ने स्वयं की तलवार लिए ओर अंग्रेजो के सेनापति को ललकार के कहा चल्ली कपटी धोखेबाज हमे जीतेजी गुलाम नही बना सकते हो तुम ओर स्वयं की तलवार घोंप के देश के लिए सदा सदा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए और जीते जी अंग्रेजों की स्वाधीनता स्वीकार नहीं की ओर इनकी वीरता शाहश देख अंगेजी हुकूमत के छक्के छुड़ा दिए और भारत छोड़ने पर मजबुर होना पड़ा क्रांति इतनी भड़की की वीरता की गाथा देश के हर गली मोहल्लों तक विधरो की ज्वाला भड़क गई ओर अंग्रेजो के सभी देशों में खबर पहुंच चुकी थी भारत के हर एक नागरिकों ने अंग्रेजों को टैक्स कर देना बंद कर दिया था क्योंकि यह पूरे भारत में एक अमित अक्षरों पर नारी शक्ति के नाम पर छपकर उबर आई और देश आज़ाद हुआ था  

* कहावत है 

*अंग्रेजो से खूब लड़ी मर्दानी वो तो रामगढ़ मंडला की रानी थी*

*अंग्रेजो को ननगे पैर भागने में मजबूर कर दिया रामगढ़ मंडला की रानी थी*

*पूरे भारत में अंग्रेजो के खिलाप नहीं लड़ने वालो को चूड़ियां गिफ्ट करने वाली रामगढ़ मंडला की रानी थी*

सार्धांजली समहरो में दीप प्रज्वलित प्रांतिय उपाधायक्ष शिव लोधा वह जिला उपाध्यक्ष देवीलाल लोधा ने किया पुष्प अर्पित युवा जिला उपाध्यक्ष कालू लोधा, राजकुमार लोधा लाल जी खेड़ा, शंकर लोधा चंदेरिया,हरीश लोधा घोसुंडा, राजेन्द्र लोधा लक्ष्मीपुरा, नारू लोधा लाल जी खेड़ा, बदरी लोधा मानपुरा, ईश्वर लोधा बिलिया, फूलचंद लोधा, मुकेश लोधा, रामदेव लोधा, राधा किशन लोधा, आदि मौजूद रहे