एल.आई.सी. के विरूद्ध 5,00,000/- रुपये का अवार्ड पारीत

चित्तौड़गढ़ प्रार्थी मनोहर लाल बारबर पिता शंकरलाल सेन निवासी राधाकृष्ण मंदिर के पास सावा तहसील व जिला चित्तौड़‌गढ़ ने भारतीय जीवन बीमा निगम के विरूद्ध एक परिवाद माननीय न्यायालय जिला स्थाई लोक अदालत चित्तौड़‌गढ़ में अधिवक्ता श्री भगवत सिंह गिलूण्डिया, राजकुमार वैष्णव, के मार्फत इस आशय का पेश किया कि विपक्षी द्वारा प्रार्थी की पत्नि नीतादेवी के नाम से 5,00,000/- रुपये की एक जीवन बीमा पॉलिसी की गई थी जिसके अन्तर्गत बीमाधारक की किसी भी प्रकार की मृत्यु होने पर 5,00,000/- रुपये देय थे। उक्त पॉलिसी दिनांक 28/04/2016 से दिनांक 28/04/2037 तक प्रभावी होकर बीमित व्यक्ति का नॉमिनी पति मनोहर लाल को घोषित किया था।

एल.आई.सी. के विरूद्ध 5,00,000/- रुपये का अवार्ड पारीत

एल.आई.सी. के विरूद्ध 5,00,000/- रुपये का अवार्ड पारीत

चित्तौड़गढ़ प्रार्थी मनोहर लाल बारबर पिता शंकरलाल सेन निवासी राधाकृष्ण मंदिर के पास सावा तहसील व जिला चित्तौड़‌गढ़ ने भारतीय जीवन बीमा निगम के विरूद्ध एक परिवाद माननीय न्यायालय जिला स्थाई लोक अदालत चित्तौड़‌गढ़ में अधिवक्ता श्री भगवत सिंह गिलूण्डिया, राजकुमार वैष्णव, के मार्फत इस आशय का पेश किया कि विपक्षी द्वारा प्रार्थी की पत्नि नीतादेवी के नाम से 5,00,000/- रुपये की एक जीवन बीमा पॉलिसी की गई थी जिसके अन्तर्गत बीमाधारक की किसी भी प्रकार की मृत्यु होने पर 5,00,000/- रुपये देय थे। उक्त पॉलिसी दिनांक 28/04/2016 से दिनांक 28/04/2037 तक प्रभावी होकर बीमित व्यक्ति का नॉमिनी पति मनोहर लाल को घोषित किया था।

उक्त पॉलिसी जारी होने के बाद दिनांक 15/04/2017 को नीतादेवी की आकस्मिक मृत्यु हो गई, जिस पर नॉमिनी मनोहर लाल ने समस्त दस्तावेज व प्रमाणपत्र सहित क्लेम फाईल प्रस्तुत की, लेकिन बीमा कंपनी ने क्लेम लम्बे समय बाद प्रस्तुत करने के आधार पर क्लेम को नो-क्लेम कर दिया, जिस पर जरिये अधिवक्ता बीमा कंपनी को नोटिस भी प्रेषित कराया फिर भी क्लेम राशि अदा नहीं की। जिससे न्यायालय में प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया गया, उक्त प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेज से स्पष्ट था कि पॉलिसी देरी से मिलने के कारण क्लेम देरी से प्रस्तुत किया गया था, जबकि पूर्व में अन्य क्लेम में प्रार्थी को बीमा राशि अदा कर दी गई थी, जिससे क्लेम आवेदन पेश करने में प्रार्थी ने जानबुझकर कोई विलम्ब नहीं किया। माननीय न्यायालय के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र प्रसाद शर्मा व सदस्या श्रीमति विमला सेठिया व श्रीमति शशि माथुर ने परिवादी के अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए विपक्षी के विरूद्ध आदेश सुनाया कि विपक्षी बीमा कंपनी प्रार्थी को क्लेम राशि 5,00,000/- रुपये और उक्त राशि पर प्रार्थनापत्र प्रस्तुति दिनांक 30/05/2022 से 7 प्रतिशत वार्षिक की दर से दो माह के अन्दर व्याज अदा करे तथा दो माह के अन्दर उक्त राशि अदा नही करने पर उक्त क्लेम राशि पर निर्णय दिनांक 04/04/2024 को देय संपूर्ण राशि पर 9 प्रतिशत वार्षिक दर से व्याज अदा करने का आदेश दिया तथा प्रार्थी को हुए मानसिक संताप व परिवाद व्यय के 5-5 हजार रुपये अदा करने का आदेश प्रदान किया।