मां की मौत के बाद भी नहीं टूटी निधि,बनीं टॉपर:पिता बोलते थे- पागल न हो जाए; बेटी ने 10वीं में 99.67% नंबर हासिल किए
बूंदी राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं क्लास में टॉप करने वाली निधि जैन घर के दरवाजे पर ब्लैक बोर्ड बनाकर पढ़ाई करती थीं। स्कूल से आने के बाद वह 12 घंटे तक पढ़ाई करती थी। बेटी को पढ़ाई करते देख कई बार पिता भी हैरान रह जाते थे। वे स्कूल तक पहुंच गए थे और टीचर को कहा था- निधि को इतना पढ़ने से मना करो, नहीं तो वह पागल हो जाएगी।

मां की मौत के बाद भी नहीं टूटी निधि,बनीं टॉपर:पिता बोलते थे- पागल न हो जाए; बेटी ने 10वीं में 99.67% नंबर हासिल किए
बूंदी
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं क्लास में टॉप करने वाली निधि जैन घर के दरवाजे पर ब्लैक बोर्ड बनाकर पढ़ाई करती थीं। स्कूल से आने के बाद वह 12 घंटे तक पढ़ाई करती थी। बेटी को पढ़ाई करते देख कई बार पिता भी हैरान रह जाते थे। वे स्कूल तक पहुंच गए थे और टीचर को कहा था- निधि को इतना पढ़ने से मना करो, नहीं तो वह पागल हो जाएगी।
बुधवार को जारी रिजल्ट में बूंदी के अलोद के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली निधि ने 600 में से 598 नंबर लाकर 99.67 प्रतिशत नंबर हासिल किए। निधि के इस मुकाम तक पहुंचने की कहानी भी बड़ी रोचक है।
दरवाजे के पीछे ब्लैक बोर्ड बनाया
निधि ने बताया कि स्कूल से आने के बाद जब रिवीजन करना होता तो पहले कॉपी-पैन का सहारा लिया। मुझे लगता था कि स्कूल जैसा महसूस नहीं हो रहा है और पढ़ाई में कुछ अधूरा छूट रहा है। ऐसे में दरवाजे के पीछे ब्लैक बोर्ड बनाया।
पिता बोले- बेटी को देखकर डिप्रेशन में आ गया था
छात्रा के पिता मुकेश जैन ने बताया कि निधि ने पीली मिट्टी, प्लाई और फेविकोल से दरवाजे के पीछे छोटा ब्लैक बोर्ड बनाया और इसी पर पढ़ाई करती थी। वह बोर्ड पर लिखकर चैप्टर याद करती थी।
कई बार हमें नींद आ जाती और जब रात में उठकर देखते तो निधि बोर्ड पर कुछ न कुछ लिखते हुए दिखाई देती थी। वह 12 घंटे तक पढ़ाई करती थी। एक बार तो मैं बेटी को देख डिप्रेशन में आ गया था। अगले दिन मैं स्कूल गया और उनके टीचर को बोला कि मेरी बेटी को इतना पढ़ने के लिए मत बोलो।
टीचर बोले- एक बार पढ़ने के बाद निधि भूलती नहीं थी
निधि के टीचर सांवरिया कुमावत ने बताया कि निधि की मां की मौत कोरोना काल में हो गई थी। इसके बाद वह काफी टूट गई थी और बीमार भी हो गई। अपने छोटे भाई और पिता के लिए निधि ने अपने आप को संभाला और दोबारा पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया।
स्कूल से घर जाने के बाद वह बोर्ड पर प्रैक्टिस करती थी। एक बार जो निधि को पढ़ा दिया, वह उसे कभी नहीं भूलती थी। पढ़ाई के साथ भाई और घर की जिम्मेदारी भी उसी पर थी। निधि के पिता भी हमें कह चुके थे कि कहीं उनकी बेटी को कुछ हो न जाए। हम उन्हें ये ही कहते थे कि आपकी बेटी टॉप करेगी।
वहीं निधि के अच्छे नंबर आने पर बुधवार को शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भी कॉल कर उसे और पिता को बधाई दी।