बाबासाहेब आंबेडकर के बताए रास्ते पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि है---- ओजस्वी
दिसंबर । भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 67 वीं पुण्यतिथि महापरिनिरवाण दिवस पर भारतीय बहुजन साहित्य अकादमी भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मदन सालवी ओजस्वी ने बताया कि सामाजिक क्रांति के अग्रदूत, मानव जीवन को समानता का हक दिलाने वाले, संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर कि केवल जय जयकार करने मात्र से काम नहीं चलेगा। उनके बताए मार्ग पर जो कोई भी चलता है ,जीवन में अंधकार से बाहर निकलता है तथा जीवन में चौमुखी विकास करता है। ओजस्वी ने बताया कि बाबा साहब को मानने से अच्छा है उनको समझें ओर जाने, उनके त्याग और बलिदान तथा उनको समझ कर उनके विचारों को प्रसारित प्रसारित करने की जरूरत है। केवल जय जयकार करने से ,जय भीम के नारे मात्र लगा देने से सामाजिक बदलाव नहीं होना है ।बाबासाहेब के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने एवं प्रचार करने की और उनके बताए रास्ते पर चलने की आज देश के हर कोने कोने में जरूरत है। समाज को आज भी जगाने की अधिक आवश्यकता है ।आजादी 75 वर्ष बाद भी देश में आज भी जातिय नफरत, ऊंच-नीच, भेदभाव ,पक्षपात चरम पर होकर लोग जाति नफरत के शिकार हो रहे हैं। जो मानव जाति के लिए अमानवीय होकर, निंदनीय है। ओजस्वी ने प्रसन्नता इस बात पर भी जाहिर की हे कि देश में अब हर तरफ सॅविधान निर्माता, जीवन के सही निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर को पहचाने लगे है, महिलाओ, पुरुषों, युवाओ में जन जागृती का सॅचार बढ रहा है। पढ लिख कर देश में लोग अब तेजी से तरक्की के पथ पर बढ रहे है।
बाबासाहेब आंबेडकर के बताए रास्ते पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि है---- ओजस्वी
चित्तौड़गढ़
6 दिसंबर । भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 67 वीं पुण्यतिथि महापरिनिरवाण दिवस पर भारतीय बहुजन साहित्य अकादमी भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मदन सालवी ओजस्वी ने बताया कि सामाजिक क्रांति के अग्रदूत, मानव जीवन को समानता का हक दिलाने वाले, संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर कि केवल जय जयकार करने मात्र से काम नहीं चलेगा। उनके बताए मार्ग पर जो कोई भी चलता है ,जीवन में अंधकार से बाहर निकलता है तथा जीवन में चौमुखी विकास करता है। ओजस्वी ने बताया कि बाबा साहब को मानने से अच्छा है उनको समझें ओर जाने, उनके त्याग और बलिदान तथा उनको समझ कर उनके विचारों को प्रसारित प्रसारित करने की जरूरत है। केवल जय जयकार करने से ,जय भीम के नारे मात्र लगा देने से सामाजिक बदलाव नहीं होना है ।बाबासाहेब के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने एवं प्रचार करने की और उनके बताए रास्ते पर चलने की आज देश के हर कोने कोने में जरूरत है। समाज को आज भी जगाने की अधिक आवश्यकता है ।आजादी 75 वर्ष बाद भी देश में आज भी जातिय नफरत, ऊंच-नीच, भेदभाव ,पक्षपात चरम पर होकर लोग जाति नफरत के शिकार हो रहे हैं। जो मानव जाति के लिए अमानवीय होकर, निंदनीय है।
ओजस्वी ने प्रसन्नता इस बात पर भी जाहिर की हे कि देश में अब हर तरफ सॅविधान निर्माता, जीवन के सही निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर को पहचाने लगे है, महिलाओ, पुरुषों, युवाओ में जन जागृती का सॅचार बढ रहा है। पढ लिख कर देश में लोग अब तेजी से तरक्की के पथ पर बढ रहे है।
बाबा साहब के परिनिर्वाण दिवस पर अनेकों महिलाओं पुरुषों जागरूक पदाधिकारियों ने उनके जीवन चरित्र पर विचार सुने तथा उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें नमन करते हुए बाबा साहेब का विश्व का महान सपूत बताया।
मदन सालवी ओजस्वी
स्वतंत्र लेखक
चितौडगढ राजस्थान
6-12-2023