देश की पहली महिला शिक्षिका एवं नारी मुक्ति आंदोलन के प्रणेता थी-- सावित्रीबाई फुले----ओजस्वी  

महान समाज सुधारक समाज सेविका मां सावित्री बाई फुले की जयंती( जन्म 3 जनवरी 1831) पर भारतीय बहुजन साहित्य अकादमी भारत के राष्ट्रीय संरक्षक अध्यक्ष मदन साली ओजस्वी ने बताया कि मां सावित्री बाई फुले के जीवन को धन्य बताते हुए कहा कि सदियों से मानव जीवन में अशिक्षा का अंधकार भरा रहा, जिसे मां सावित्री बाई फुले तथा महात्मा ज्योतिबा फुले के अथक सामाजिक संघर्ष से फलस्वरूप ,आज हम शिक्षा की सीढ़ियों उंचाई दर उंचाई चढ रहे हैं।

देश की पहली महिला शिक्षिका एवं नारी मुक्ति आंदोलन के प्रणेता थी-- सावित्रीबाई फुले----ओजस्वी  

चितौडगढ 3जनवरी

   महान समाज सुधारक समाज सेविका मां सावित्री बाई फुले की जयंती( जन्म 3 जनवरी 1831) पर भारतीय बहुजन साहित्य अकादमी भारत के राष्ट्रीय संरक्षक अध्यक्ष मदन साली ओजस्वी ने बताया कि मां सावित्री बाई फुले के जीवन को धन्य बताते हुए कहा कि सदियों से मानव जीवन में अशिक्षा का अंधकार भरा रहा, जिसे मां सावित्री बाई फुले तथा महात्मा ज्योतिबा फुले के अथक सामाजिक संघर्ष से फलस्वरूप ,आज हम शिक्षा की सीढ़ियों उंचाई दर उंचाई चढ रहे हैं।

भारतीय बहुजन साहित्य अकादमिक भारत के तत्वधान में मां सावित्रीबाई फुले के जीवन पर प्रकाश डालते हूऐ उन्हे नमन कर

उनके बताए रास्ते पर चलने पर विचार रखे गये। 

महिला पदाधिकारी पार्वती सालवी

सालवी सॅतोष, बदाम मीना, गरिमा, ज्योति मीणा , सुनना सालवी, प्रकाश सालवी, आदि ने अपने विचार रखे। एवॅ पुषांजली अर्पित कर नमन किया।

विचार रखते हूऐ महिलाओ ने बताया कि तत्कालीन मां सावित्रीबाई फुले के प्रयासों से 

 समाज में महिलाओं पुरुषों की स्थिति में बेहतरीन सुधार हो पाया है। आज

 सामाजिक तौर पर सम्मान मिल पा रहा है ।नारी मुक्ति आंदोलन के प्रणेता देश की पहली शिक्षिका महान समाजसेवीका, सावित्रीबाई फुले को सामाजिक आंदोलनों की प्रणेता बताते हुए अम्बेडकर वादी जन क्रान्ति मॅच राजस्थान के प्रदेश प्रवक्ता ओजस्वी ने बताया कि उनके द्वारा उठाए गए कदम वंचितों को पढ़ाने समाज में, हर तरफ जन जागृति लाने के दौरान भी उन्हें , अधर्म के काम समझते हूऐ समाज के दकियानूस लोग अपमानित करते रहे, उनपर किचछ उछालते रहे। जरूरत हे आज मां सावित्री बाई फुले के संघर्षों को याद करने की, उनके बताए मार्ग पर चलने की, समाज में उन्नति और प्रगति लाने की। हर समाज में विकास के लिए आज भी काफी संघर्ष की जरूरत है। अपने विचार लिखते हुए समाज सुधारक सामाजिक कार्यकर्ता तुलसीराम सालवी लिखते हैं कि महान समाजसेवीका सावित्रीबाई फुले अपने आप में एक नया सूरज होकर उनका निधन हुआ तभ भी वह प्लेग महामारी से पीड़ित लोगों की सेवा कर रही थी। उन्होंने पढ़ लिखकर महिला जगत के लिए सामाजिक विकास के रास्ते खोलने , विद्यालय और कॉलेज खोलने तथा साहित्य का उन्होंने सर्जन किया।

सावित्रीबाई फुले जयंति पर उदयपुर मे भीमराव अंबेडकर मेमोरियल सोसाइटी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सभांग सचिव सुरेश खटीक अतिरिक्त जिला कलेक्टर ओ पी बुनकर आदि के हाथों डाक्टर कृष्णा सालवी बडी सादडी का भी सम्मान किया गया 

 बड़ी सादड़ी से राम रतन सालवी लिखते हे कि मां सावित्री बाई फुले की बदौलत ही आज समाज प्रगति पथ पर अग्रसर है। सामाजिक कुरीतियां मिटाने के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया उन्होंने बताया कि सामाजिक असमानता के विरोध उन्होंने गरीबों पिछड़ों तथा 100 सीटों के लिए हाथों से छुटकारा दिलाने के लिए और बचाने के लिए सदैव संघर्ष करती रही आर्मी से कालूराम सालवी लिखते हैं कि विधवा होने पर पुनर्विवाह के लिए सावित्रीबाई फुले ने अदा की इसके परिणाम सार्थक रहे विधवा विवाह होने के बाद महिला के विधवा होने के बाद महिला के बाल काटने की प्रथा थी जिसका पुरजोर विरोध किया मां सावित्री बाई फुले को हम संघर्ष में कामयाब रहे सामाजिक कार्यकर्ता मदन सालवी तेजस्वी लक्ष्मीपुरा ने बताया कि महिला जो महात्मा ज्योतिबा फुले सावित्रीबाई फुले ने अनेकों योजनाएं समाज विकास के लिए तैयार की तथा धनवान लोगों से चंदा लेकर गरीबों की मारो ना चारों और जरूरतमंदों को सामग्री वितरण करने का काम करते हुए उन्होंने 52 से अधिक राहत शिविर भी चलाए साहित्यकार देवकिशन सालवी कांगनी ने बताया कि सफाई कर्मियों की सुध लेते हुए उनके स्वास्थ्य स्वच्छता संबंधी सुधार के लिए भी बेहतरीन उन्होंने पहल की साथ ही अंबेडकरवादी जनक्रांति मंच के प्रदेश प्रवक्ता मदन सालवी ओजस्वी ने बताया कि तब ऊंच-नीच की भावना चरम पर थी तथा पानी होते हुए भी पानी नहीं लेने दिया जाता था, कोई उच्च वर्ग का व्यक्ति

छूने पर भी अधर्म समझता जाता था।

  ऐसे हालातों में गरीबों को सार्वजनिक कुओं तालाबों से पानी तक लेने की मना थी ऐसे में मां सावित्री बाई फुले, महात्मा ज्योतिबा फुले ने अलग से कुआं खुदवा पानी दिलाने के लिए अनेकों प्रयास किए ,वंचितों के लिए अलग से कुआं खुदवा कर पानी दिलाने की व्यवस्था की। सामाजिक कार्यकर्ता पदाधिकारी पार्वती सालवी, पुष्पा सालवी आदि ने बताया कि ऐसे विकट हालातों के रहते भी फूले दम्पति ने अनेकों विद्यालय ,शिक्षण संस्थाएं खोली । शिक्षा जगत में बहुत बडा बदलाव खड़ा किया। जिसके फलस्वरूप हम सभी आज इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहै है ।मजदूरों के लिए उन्होंने रात्रि कालीन विद्यालय खोले। अनेकों योजनाएं तैयार की। देश के महान सामाजिक सुधार तथा महान महिला सावित्रीबाई फुले के बताए रास्ते पर हम सबको चलने की प्राथमिक जरूरत है।

मदन सालवी ओजस्वी 

राष्ट्रीय अध्यक्ष 

भारतीय बहुजन साहित्य अकादमिक भारत 

चितौडगढ राजस्थान 

3-1-2023