नटराज ब्रह्मांड रहस्य विज्ञान और नटराज के बीच है कोई गहरा सम्बंध, नटराज की प्रतिमा में ब्रह्मांड उत्पत्ति का राज़

दुनिया की सबसे बड़े भौतिकी प्रयोगशाला के बाहर क्‍यों लगी है नटराज प्रतिमा ? ????गॉड पार्टिकिल को ढूंढने वाली लैब के बाहर क्‍यों लगी है नटराज प्रतिमा ? ????स्‍विट्जरलैंड की इस प्रयोगशाला के बाहर क्‍यों लगी है नटराज प्रतिमा ? ????CERN के बाहर क्‍यों लगी है शिव की विशाल नटराज प्रतिमा  ????हिन्दुओ के सबसे शक्‍तिशाली देवता हैं भगवान शिव, शिव की अभिव्‍यक्‍ति ‘नटराज’ के रूप में भी हुई है। नटराज जिसे ‘प्राण शक्‍ति’ का प्रतीक भी माना जाता है। भारत में तमिलनाडु प्रांत के चिदम्‍बरम में प्राचीन नटराज मंदिर स्‍थित है

नटराज ब्रह्मांड रहस्य     विज्ञान और नटराज के बीच है कोई गहरा सम्बंध, नटराज की प्रतिमा में ब्रह्मांड उत्पत्ति का राज़

नटराज ब्रह्मांड रहस्य

विज्ञान और नटराज के बीच है कोई गहरा सम्बंध, नटराज की प्रतिमा में ब्रह्मांड उत्पत्ति का राज़

ब्यूरो चीफ एम के जोशी चित्तौड़गढ़

????दुनिया की सबसे बड़े भौतिकी प्रयोगशाला के बाहर क्‍यों लगी है नटराज प्रतिमा ?

????गॉड पार्टिकिल को ढूंढने वाली लैब के बाहर क्‍यों लगी है नटराज प्रतिमा ?

????स्‍विट्जरलैंड की इस प्रयोगशाला के बाहर क्‍यों लगी है नटराज प्रतिमा ?

????CERN के बाहर क्‍यों लगी है शिव की विशाल नटराज प्रतिमा 

????हिन्दुओ के सबसे शक्‍तिशाली देवता हैं भगवान शिव, शिव की अभिव्‍यक्‍ति ‘नटराज’ के रूप में भी हुई है। नटराज जिसे ‘प्राण शक्‍ति’ का प्रतीक भी माना जाता है। भारत में तमिलनाडु प्रांत के चिदम्‍बरम में प्राचीन नटराज मंदिर स्‍थित है जबकि इन्‍हीं नटराज की विशाल प्रतिमा को स्‍विट्जरलैंड के जेनेवा स्‍थित दुनिया के सबसे बड़े भौतिकी प्रयोगशाला के बाहर लगाया गया है। सवाल उठता है कि ‘क्‍यों’ ?

????बता दें कि यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्‍यूक्‍लियर रिसर्च (सर्न) वही प्रयोगशाला है, जहां 6 साल पहले ‘गॉड पार्टिकल’ जिसे हिग्‍स-बोसोन का नाम दिया गया है, का अनुसंधान हुआ। यहां अनुसंधान हुए हिग्‍स-बोसोन को ‘ब्रह्मकण’ के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन, आखिर ऐसा क्‍यों हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी भौतिकी प्रयोगशाला के बाहर भगवान शिव की नटराज प्रतिमा लगाई गई?

????पट्टिका पर लिखी है चौंकाने वाली जानकारी

18 जून 2004, दो मीटर लंबी नटराज की प्रतिमा भारत सरकार की ओर से सर्न को भेंट स्‍वरूप दी गई। सर्न के बाहर स्‍थापित नटराज प्रतिमा के ठीक बगल में लगी पट्टिका पर जो कुछ लिखा है, वह शायद आपको भी हैरान कर दे।

महान भौतिक वैज्ञानिक फ्रित्‍जोफ कैपरा ने उद्धरण के साथ यहां लिखा है, ”सैकड़ों वर्ष पूर्व भारतीय कलाकारों ने तांबे की श्रृंखला से भगवान शिव के नृत्‍य में लीन स्‍वरूप को बनाया। आज हमारे समय में तमाम भौतिक वैज्ञानिक फिर से उन्‍नत तकनीकों को इस्‍तेमाल करते हुए ‘कॉस्‍मिक डांस’ का प्रारूप तैयार कर रहे हैं। वर्तमान में वैज्ञानिकों की ‘कॉस्‍मिक डांस’ की थ्‍योरी, दरअसल प्राचीन मिथकों, धर्म, कला और भौतिकी की बुनियाद पर ही खड़ी है।

????कॉस्‍मिक डांस और आनंद तांडव

इसी पट्टिका पर वैज्ञानिक फ्रित्‍जोफ कैपरा आगे लिखते हैं, ”आनंद तांडव करते शिव प्रतीक हैं सभी व्‍यक्‍त-अव्‍यक्‍त के आधार का। आधुनिक भौतिक विज्ञान हमें बताता है कि निर्माण और प्रलय की प्रक्रिया सिर्फ ब्रह्मांड में जीवन के आरंभ और अंत से ही नहीं जुड़ी हुई है, बल्‍कि ये पूरी सृष्‍टि के कण-कण से जुड़ी हुई है।”

????कैपरा लिखते हैं, ”क्‍वांटम फील्‍ड थ्‍योरी के अनुसार ‘डांस ऑफ क्रियेशन एंड डिस्‍ट्रक्‍शन’ ही सभी तत्‍वों के होने का आधार है। आधुनिक भौतिकशास्‍त्र हमें बताता है कि हर उप-परमाणविक कण ना केवल एक ‘ऊर्जा-नृत्य’ करता है, बल्‍कि यह खुद भी एक ‘ऊर्जा-नृत्य’ ही है। सृजन और विनाश की एक सतत प्रक्रिया।”

????वैज्ञानिक फ्रित्‍जोफ कैपरा, सर्न के बाहर स्‍थित नटराज प्रतिमा के बगल में लगी पट्टिका पर लिखते हैं, ”खुद हम भौतिकी के वैज्ञानिकों के लिए शिव का ‘आनंद-तांडव’, उप-परमाणविक कणों का ‘ऊर्जा-नृत्‍य’ ही है, जो आधार है हर अस्‍तित्‍व और सभी प्राकृतिक घटनाओं का।”

????गतिमान ब्रह्मांड का प्रतीक है नटराज

नटराज प्रतिमा के बारे में पट्टिका पर सर्न के शोधार्थी एडन रैन्डल कोंड लिखते हैं, ”दिन की रोशनी में जब सर्न हलचलों से भरा होता है, शिव तब भी नृत्‍य मुद्रा में ही होते हैं। जो हमें ये याद दिलाता है कि ब्रह्मांड लगातार गतिमान है, खुद को परिवर्तित कर रहा है और स्‍थिर तो ये कभी नहीं रहा।”

????रैन्‍डल कोंड लिखते हैं, ‘शिव, अपनी इस मुद्रा से हमें हर पल याद दिलाते हैं कि हमें अभी भी इस ब्रह्मांड का सबसे बड़ा रहस्‍य नहीं पता है।”

????वैज्ञानिक कार्ल सेगन और नटराज प्रतिमा

मशहूर भौतिक वैज्ञानिक कार्ल सेगन के अनुसार, ”हिन्‍दू धर्म विश्‍व के उन महान धर्मों में से एक है जिसके अनुसार इस ब्रह्माण्‍ड की उत्‍तपत्‍ति और विध्‍वंस की प्रक्रिया निरंतर जारी है।”

????सेगन कहते हैं, ” हिन्‍दू धर्म अकेला ऐसा धर्म है जो हमें यह बताता है कि हमारे दिन और रात की तरह ही स्‍वयं ब्रह्मा के भी दिन और रात होते हैं। हमारे 24 घंटे के दिन और रात की जगह ब्रह्मा के दिन और रात की अवधि तकरीबन 8.64 बिलियन वर्ष की होती है। हिन्‍दू धर्म एक अनवरत प्रक्रिया की बात करता है।”

????प्रतिमा लगाने पर हुई थी सर्न की आलोचना

जून-2014 में जब शिव की नटराज प्रतिमा यहां लगाई गई तो वैज्ञानिकों को आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा। शिव के नृत्‍य स्‍वरूप को लेकर रूढ़िवादी ईसाई तबतक आपत्‍तियां उठाते रहे, जबतक वैज्ञानिकों ने हिग्‍स-बोसोन पार्टिकल की खोज नहीं कर ली। इसके बाद वैज्ञानिकों ने आलोचकों को स्‍पष्‍ट किया कि आखिर क्‍यों सृष्‍टि के ‘संहारक’ की प्रतिमा यहां लगाई गई है।

????क्‍या है ‘नटराज’

अमूमन हम भारतीय भी नटराज की प्रतिमा के रहस्‍य नहीं जानते हैं। दरअसल, नटराज प्रतीक है शिव के तांडव स्‍वरूप का। हम में से ज्‍यादातर लोग तांडव नृत्‍य को शिव के उग्र रूप से जोड़कर देखते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। शिव तांडव के भी दो प्रकार हैं। पहला है ‘तांडव’, शिव का ये रूप ‘रुद्र’ कहलाता है। जबकि दूसरा है ‘आनंद-तांडव’, शिव का ये रूप ‘नटराज’ कहलाता है। रुद्र रूप में शिव समूचे ब्रह्माण्‍ड के संहारक बन जाते हैं वहीं सर्न के बाहर लगी नटराज प्रतिमा ‘सृष्‍टि निर्माण’ का प्रतीक है।

????आनंद तांडव के भी पांच रूप हैं –

1. ‘सृष्‍टि’ : निर्माण, रचना।

2. ‘स्‍थिति’ : संरक्षण, समर्थन।

3. ‘संहार’ : विनाश

4. तिरोभाव : मोह-माया

5. अनुग्रह : मुक्‍ति

नटराज, दो शब्‍दों ‘नट’ यानी कला और राज से मिलकर बना है। इस स्‍वरूप में शिव कलाओं के आधार हैं।

????आनंद तांडव नृत्‍य

नटराज शिव की प्रसिद्ध प्राचीन मूर्ति की चार भुजाएं हैं। उनके चारो ओर अग्‍नि का घेरा है। अपने एक पांव से शिव ने एक बौने को दबा रखा है। दूसरा पांव नृत्‍य मुद्रा में ऊपर की ओर उठा हुआ है। शिव अपने दाहिने हाथ में डमरू पकड़े हुए हैं। डमरू की ध्‍वनि यहां सृजन का प्रतीक है। ऊपर की ओर उठे उनके दूसरे हाथ में अग्‍नि है। यहां अग्‍नि विनाश का प्रतीक है। इसका अर्थ यह है कि शिव ही एक हाथ से सृजन और दूसरे से विनाश करते हैं।

शिव का तीसरा दाहिना हाथ अभय मुद्रा में उठा हुआ है। उनका चौथा बांया हाथ उनके उठे हुए पांव की ओर इशारा करता है, इसका अर्थ यह भी है कि शिव के चरणों में ही मोक्ष है। शिव के पैरे के नीचे दबा बौना दानव अज्ञान का प्रतीक है, जो कि शिव द्वारा नष्‍ट किया जाता है। चारो ओर उठ रही लपटें इस ब्रह्माण्‍ड का प्रतीक है। शिव की संपूर्ण आकृति ओंकार स्‍वरूप दिखाई पड़ती है। विद्वानों के अनुसार यह इस बात की ओर इशारा करती है कि ‘ॐ’ दरअसल शिव में ही निहित है।????????????????????????