निवेदन देशभर से मान रखना किसानों का, ना भूखा सो सके भारत यही सपना किसानों का : कवि सुनील पटेल - समस्त कश्यप गोत्री परिवार डूंगरा छोटा - डूंगरा बड़ा टांडा रतना द्वारा आयोजन
बांसवाड़ा। समस्त कश्यप गोत्री परिवार डूंगरा छोटा - डूंगरा बड़ा टांडा रतना द्वारा श्री मां शारदा मंदिर स्वर्ण शिखर प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत बुधवार को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन सन्यास आश्रम शांति कुटी में हुआ। आयोजक कमेटी द्वारा कवियों का माल्यार्पण व ऊपरणा ओढ़ाकर भव्य स्वागत किया गया।
निवेदन देशभर से मान रखना किसानों का, ना भूखा सो सके भारत यही सपना किसानों का : कवि सुनील पटेल
- समस्त कश्यप गोत्री परिवार डूंगरा छोटा - डूंगरा बड़ा टांडा रतना द्वारा आयोजन
ब्यूरो चीफ एम के जोशी चित्तौड़गढ़
बांसवाड़ा। समस्त कश्यप गोत्री परिवार डूंगरा छोटा - डूंगरा बड़ा टांडा रतना द्वारा श्री मां शारदा मंदिर स्वर्ण शिखर प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत बुधवार को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन सन्यास आश्रम शांति कुटी में हुआ। आयोजक कमेटी द्वारा कवियों का माल्यार्पण व ऊपरणा ओढ़ाकर भव्य स्वागत किया गया।
भोपाल की कवियत्री नम्रता नमिता ने सरस्वती वंदना की। नेजपुर के करूण रस के सुप्रसिद्ध कवि सुनील पटेल सन्नाटा ने आजादी में कविता की भूमिका को रेखांकित करते हुए कविता से ही पूरे देश में इंकलाब आया था रचना सुनाई। साथ ही युवाओं को सड़क दुर्घटना से सचेत करने व यातायात नियमों की प्रतिबद्धता के साथ पालन करने के लिए "वादा करो मां बाप के संजीदा सपने सजाओगे, 500 रुपये का हेलमेट खरीदोगे तो शाम का खाना परिवार के साथ खाओगे " रचना पढ़कर ध्यान आकर्षित किया। पसीना खेत में गिर कर के कह रहा है हमसे, न भूखा सो सके भारत यही सपना किसानों का कविता पढ़कर किसान वर्ग का ध्यान आकर्षित किया। कवि सुरेश सरगम, फलोज ने बेटी को धरती पर आने तो देखती प्रतिनिधि रचना पढ़कर कन्या भ्रूण हत्या को अभिशाप बताया। "बचपन खुवाई गीयु हु, सुरे थेलू हायु हैं।" सुनाकर बचपन का महत्व बताया। वैलेंटाइनडे नहीं आज भी करवाचौथ ही हमारा असली त्योहार हैं सुनाकर पाश्चात्य संस्कृति पर व्यंग्य किया। अरथुना के वीर रस के कवि हर्ष व्यास ने "रुंड कटे तो मुंड लड़े यह धरती है" वीर रस की कविता सुना कर वातावरण को ओजमय कर दिया। सागवाड़ा के कवि छत्रपाल शिवाजी ने राजस्थान के सम्मान में जय जय राजस्थान सुनो कविता सुनाई। सूत्रधार कवि मयंक मीत सागवाड़ा ने हम चट्टान से टकराते हैं लौह पुरुष कहलाते हैं एवं बेटियों पर अपनी कविता सुनाई। मध्यप्रदेश भोपाल की कवियत्री नम्रता नमिता ने श्रंगार रस की "एक दूजे के बिना कुछ हम नही साथ तू है तो कोई फिर ग़म नहीं, सब खड़े हैं लेके हाथों में नमक ज़ख़्म पर रखता कोई मरहम नहीं" गजल सुनाई। कमलेश दवे सहज ने "मेरी मां गरीब है फिर भी मुझे देखते ही अपने चेहरे पर मुस्कुराहट के हीरे मोती जड़ लेती हैं, मेरी मां कम पढ़ी लिखी है फिर भी मुझे देखते ही मेरे चेहरे से मेरी परेशानी को पढ़ लेती हैं" कविता पढ़ी। आयोजक कमेटी के एवं लबाना समाज के पदाधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि कि बिना किसी भेदभाव के एक दूसरे की मदद करना ही इंसानियत कहलाती है। आपसी प्रेम व सद्भाव ही हमें एकता के सूत्र में पिरोता है। हम कहीं भी किसी शहर के मुहल्ले में रहते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि हमारे पड़ोसी को कोई परेशानी तो नहीं। अगर किसी को दुख दर्द है तो बिना किसी हिचक के उसकी सहायता के लिए तैयार रहना चाहिए। हम किसी के साथ अच्छा करेंगे, बोलचाल अच्छी रखेंगे तो उससे हमारा नाम होगा। लोग सम्मान देंगे और किसी तरह की परेशानी होने पर साथ खड़े होंगे। हर किसी को सामाजिक बदलाव के लिए अच्छी सोच रखना जरूरी है। हम चाहते हैं कि एक अच्छे वातावरण में रहें तो उसके लिए अच्छा बनना भी जरूरी है। हिलमिल कर रहना ही सामाजिक समरसता है। किसी को दुख देने से क्या मिल जाएगा। प्रयास करो कि स्वयं के कार्यों की वजह से किसी के चेहरे पर मुस्कान आए। उसकी परेशानी का निवारण हो। अच्छे कार्य से लोग सराहना तो करेंगे ही साथ ही ईश्वर भी हमेशा मदद करेगा। अच्छा जीवन जीने के लिए सरल और सत्यनिष्ठ बनकर रहो। देश के लिए अच्छे समाज का निर्माण करने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन करो। जीवन की सफलता का मूल मंत्र भी यही है। अगर किसी को कष्ट दोगे तो एक दिन तुमको भी उसी स्थिति से गुजरना होगा। हम सब मिलकर एक सभ्य समाज के निर्माण का संकल्प लेकर नेक रास्ते पर चलें। देश की एकता व भाईचारे को मजबूत बनाकर एक मिशाल को प्रस्तुत करें। इससे ही हम श्रेष्ठ नागरिक कहलाने के हकदार बन सकते हैं। यही मानव जीवन का कर्तव्य होना चाहिए। दूसरों को भी सीख मिले सके, ऐसा कार्य किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर डूंगरा छोटा- डूंगरा बड़ा समेत आसपास के हजारों लोग मौजूद रहे।