श्री छात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन के नेतृत्व में दिया मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन 

निंबाहेड़ा। श्री छात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन के नेतृत्व में राजपूत समाज के युवाओं ने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को ईडब्ल्यूएस आरक्षण की सीमा 14% करने व आर्थिक विसंगतियां दूर करने सहित पंचायती राज तथा अन्य स्वायत्तशासी संस्थाओं में ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने हेतु ज्ञापन दिया

श्री छात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन के नेतृत्व में दिया मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन 

ब्यूरो चीफ एम के जोशी चित्तौड़गढ़

निंबाहेड़ा। श्री छात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन के नेतृत्व में राजपूत समाज के युवाओं ने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को ईडब्ल्यूएस आरक्षण की सीमा 14% करने व आर्थिक विसंगतियां दूर करने सहित पंचायती राज तथा अन्य स्वायत्तशासी संस्थाओं में ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने हेतु ज्ञापन दिया। एडवोकेट लक्ष्मण सिंह बडोली ने बताया कि
श्री छात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन द्वारा दिए गए ज्ञापन में प्रधानमंत्री से आर्थिक आधार पर आरक्षण की विसंगतियां दूर करने हेतु मांग की है । ज्ञापन में मांग की है कि संपूर्ण भारत में इसके लिए एक प्रकार की शर्त रखने की अपेक्षा संबंधित राज्यों द्वारा तय नियमों के अनुसार बने पात्रता प्रमाण पत्रों को ही केंद्र के लिए अनुमत किया जाए ताकि राज्य और केंद्र के लिए अलग-अलग प्रमाण पत्र बनाने ना पड़े एवं इसकी शर्तें भी स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप व्यवहारिक बन सके। आरक्षण में अधिकतम आयु सीमा, न्यूनतम अहर्तांक, फीस आदि में भी अन्य वर्गों को मिले आरक्षण की तरह छूट का प्रावधान किया जाए। आरक्षण में आय की इकाई परिवार को माना गया है और परिवार की परिभाषा में स्वयं के अतिरिक्त माता-पिता, पति-पत्नी, अविवाहित भाई-बहन आदि को शामिल किया गया है जिसके कारण प्रक्रियागत परेशानी पैदा होती है और आय की गणना की प्रक्रिया जटिल एवं अव्यवहारिक हो जाती है विशेष रूप से अविवाहित महिलाओं को पीहर और ससुराल दोनों जगह के प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं इसलिए परिवार की आय की गणना में अन्य आरक्षण में क्रीमी लेयर की गणना की तर्ज पर केवल माता-पिता की आय को ही गणना का आधार बनाया जाए। इसके साथ ही मांग की है कि अन्य आरक्षित वर्गों की तरह ही छात्रवृत्ति, छात्रावास आदि की सुविधाएं प्रदान की जाए एवं इस वर्ग से संबंधित समस्याओं के समेकित समाधान के लिए राष्ट्रीय आर्थिक पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया जाए ताकि इस वर्ग के हितों को न्याययोचित संरक्षण हो सके।
 इसी प्रकार मुख्यमंत्री से मांग की है कि राजस्थान विधानसभा में 16 जुलाई 2008 एवं 23 सितंबर 2015 को सर्वसम्मति से अनारक्षित वर्गों को 14% आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का विधेयक पारित किया गया था जबकि वर्तमान में आरक्षण 10% ही दिया है इसलिए संविधान द्वारा अनुच्छेद 15 (6) व 16(6) के अंतर्गत दिए गए अधिकार का उपयोग करते हुए ईडब्ल्यूएस आरक्षण को 10 से 14% करने का आदेश जारी करने की मांग की इसी के साथ ही अभी तक आरक्षण केवल सरकारी नौकरियों व शिक्षा में ही दिया गया है जबकि अन्य सभी आरक्षण पंचायती राज व अन्य स्थानीय स्वायत्तशासी संस्थाओं में चुनाव में भी लागू है। अनारक्षित वर्ग के आर्थिक पिछड़ा वर्ग का राजनीतिक प्रतिनिधित्व निरंतर स्थानीय राजनीति में कम होता जा रहा है जो उनके हितों का समुचित संरक्षण में बाधक है। ज्ञापन में यह भी मांग की गई है कि राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 102 एवं राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 337 में प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए इस आरक्षण को पंचायती राज संस्थाओं व नगर निकायों सहित सभी स्वायत्तशासी संस्थाओं के चुनाव में लागू करने की मांग की, जिससे स्थानीय राजनीति में इस वर्ग को समुचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिल सके व इनका का समुचित विकास हो सके। ज्ञापन देने के दौरान कुलदीप सिंह डाबला, मानवेंद्र सिंह चौहान, वीरेंद्र सिंह नेडिया, लोकेंद्र सिंह डाबला, चंद्रपाल सिंह शक्तावत, शैलेंद्र सिंह अरनोदा, भानु प्रताप सिंह नाहरगढ़, रणवीर सिंह शक्तावत, राजवीर सिंह शक्तावत, लक्ष्यराज सिंह शक्तावत, समुंदर सिंह गुंदुसर, भूपेंद्र सिंह, घनश्याम सिंह टीलाखेड़ा, भूपेंद्र सिंह, नेत्रपाल सिंह कोटडी, नारायण सिंह कोटडी, फतेह सिंह बांसा, विक्रम सिंह बांसा, ज्वाला सिंह, ऋषिराज सिंह, यश राज सिंह, भानु प्रताप सिंह दारू, राजवीर सिंह नाहरगढ़ सहित राजपूत समाज के लोग उपस्थित रहे।