गवरी नृत्य देखने उमड़ा जनसैलाब
बड़ी सादड़ी बासी श्री धुंधली मल स्वामी के मंदिर प्रांगण में गवरी का मंचन किया गया गवरी नृत्य मेवाड़ का पारंपरिक लोक नृत्य है यह भील जनजाति द्वारा किया जाता

गवरी नृत्य देखने उमड़ा जनसैलाब
13 सितंबर
राम सिंह मीणा रघुनाथपुरा
बड़ी सादड़ी बासी श्री धुंधली मल स्वामी के मंदिर प्रांगण में गवरी का मंचन किया गया गवरी नृत्य मेवाड़ का पारंपरिक लोक नृत्य है यह भील जनजाति द्वारा किया जाता
है भील जनजाति भगवान शिव को अपना आराध्य मानते हैं और उनकी पत्नी पार्वती को गोरी मानती है गोरी के नाम से ही इस नृत्य का नाम गवरी पड़ा है यह नृत्य भाद्रपद कृष्ण की एक म से शुरू होता है जो लगातार सवा महीने तक चलता है सवा महीने तक भील जनजाति के लोग व्रत और उपवास रखते हैं और इस नृत्य का मंचन करते हैं इस नृत्य में मुख्य पात्र राय बुढ़िया हटिया और वरजू कांजरी लखकी बंजारा चोर बालद प्रेम सुखा कानजी आदि होते हैं यह जानकारी भगवंत सिंह जी शक्तावत ने जानकारी देते हुए बताया गया है कि गवरी नृत्य देखने के लिए आस पास गांव के काफ़ी संख्या में ग्राम वासियों ने गवरी नृत्य देखने के लिए पहुंचे आयोजन श्री धुंधली मल स्वामी मंदिर प्रांगण में किया गया