मां की देखभाल नहीं की, बेटा संपत्ति से बेदखल हुआ:90 साल की मां को घर से निकाल दिया था, किराए के कमरे में रह रहीं थी

जयपुर जयपुर में मां का भरण पोषण नहीं करने वाले बेटे को संपत्ति से बेदखल करने के निर्देश दिए गए हैं। जयपुर के अपीलीय अधिकरण कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट ने शुक्रवार को इसके निर्देश दिए । मामला जयपुर के हिंगलाज नगर गांधी पथ का है। यहां बेटा गोपाल 90 साल की मां की देखभाल नहीं  कर रहा था। मां को घर से भी निकाल दिया था। इस कारण मां को किराए के कमरे में रहना पड़ रहा था। अधिकरण ने अपने आदेश में कहा- बेटे को मां की संपत्ति से बेदखल किया जाए और मां के रहने में बेटा कोई बाधा पैदा नहीं करे। अधिकरण ने आदेश की पालना के लिए कॉपी एसडीएम को भेजी है।

मां की देखभाल नहीं की, बेटा संपत्ति से बेदखल हुआ:90 साल की मां को घर से निकाल दिया था, किराए के कमरे में रह रहीं थी

मां की देखभाल नहीं की, बेटा संपत्ति से बेदखल हुआ:90 साल की मां को घर से निकाल दिया था, किराए के कमरे में रह रहीं थी

जयपुर

जयपुर में मां का भरण पोषण नहीं करने वाले बेटे को संपत्ति से बेदखल करने के निर्देश दिए गए हैं। जयपुर के अपीलीय अधिकरण कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट ने शुक्रवार को इसके निर्देश दिए । मामला जयपुर के हिंगलाज नगर गांधी पथ का है। यहां बेटा गोपाल 90 साल की मां की देखभाल नहीं  कर रहा था। मां को घर से भी निकाल दिया था। इस कारण मां को किराए के कमरे में रहना पड़ रहा था। अधिकरण ने अपने आदेश में कहा- बेटे को मां की संपत्ति से बेदखल किया जाए और मां के रहने में बेटा कोई बाधा पैदा नहीं करे। अधिकरण ने आदेश की पालना के लिए कॉपी एसडीएम को भेजी है।


अधिकरण ने यह आदेश पीड़ित मां सुखरानी चौधरी की अपील पर दिया। मामले से जुड़े वकील ओमेंद्र सिंह राघव ने बताया- पीड़ित मां ने एसडीएम कोर्ट के एक दिसंबर 2022 के उस आदेश को चुनौती दी थी। इसमें उसके वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण कानून के तहत दायर किए गए प्रार्थना पत्र को बिना सुने ही खारिज कर दिया था।

सिपाही पति के साथ मिलकर मकान खरीदा था

इस पर पीड़ित मां ने एसडीएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर कर कहा था कि वह विधवा महिला है। उसने अपने सिपाही पति के साथ मिलकर मकान खरीदा था। वकील ओमेंद्र सिंह ने बताया- पीड़िता सुखरानी चौधरी के पति भारत भूषण ने अपनी इकलौती बेटी के बेटे गोपाल को गोद लिया था। 2010 में भारत भूषण की मौत हो गई। इसके बाद सब ठीक चल रहा था। इन लोगों ने जेडीए का पट्टा भी ले लिया था। 2015 में इनका बेटा गोपाल हत्या के मामले में अलवर जेल चला गया। लगभग 5 साल जेल काटने के बाद जब गोपाल फिर से बाहर आया। उसने और उसकी पत्नी ने मां सुखरानी के साथ मारपीट और गाली गलौज शुरू कर दिया। 2020 में गोपाल ने अपनी मां को घर से बेदखल कर दिया।

अपनी सगी मां को भी परेशान किया

ओमेंद्र सिंह ने बताया- उस वक्त मुझे किसी ने बताया कि एक गरीब महिला है। जो खुद का घर होने के बावजूद दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हो रही है। जब मैं इस मामले की पड़ताल की। पता चला न सिर्फ सुखरानी बल्कि, गोपाल ने अपनी सगी मां को भी परेशान किया हुआ था। इसकी वजह से वह झाड़ू पोछा कर अपनी बूढ़ी मां के साथ किराए के कमरे में रह रही थी। इनकी बदहाल हालत देख मैंने एसडीएम कोर्ट में अपील की। जहां डेढ़ साल मामला चलने के बाद मामले को खारिज कर दिया गया।

हाईकोर्ट में आदेश के बाद एक महीने में हुई सुनवाई

इसके बाद हमने कलेक्टर साहब को अपील की। उन्हें भी डेढ़ साल तक इस मामले की सुनवाई के लिए वक्त नहीं मिल पाया। इसके बाद मैंने हाईकोर्ट में अपील की। जहां से कलेक्टर को 90 साल की बुजुर्ग महिला के मामले को एक महीने में सुनवाई कर फैसला करने के आदेश दिए। इसके बाद इसके बाद अपीलीय अधिकरण कलेक्टर से दर - दर की ठोकर खाने को मजबूर हो चुकी सुखरानी को फिर से अपने घर का मालिकाना हक मिला है।

बेटी के बेटे को गोद लिया था

इससे पहले उन्होंने अपनी बेटी के बेटे गोपाल को गोद लिया था। वह उसे घर से बाहर निकालने के लिए गाली - गलौच करता है। इससे परेशान होकर वह खुद का घर छोड़कर किराए के कमरे में चली गई है। इसलिए बेटे को उसके स्वामित्व की संपत्ति से बेदखल किया जाए और इसके उपयोग में कोई भी बाधा पैदा नहीं हो।
वहीं, बेटे की ओर से कहा कि वह आपसी सहमति से ही गोद गया था। उसकी पत्नी और बच्चे भी अपीलार्थी की सेवा करते हैं उसके खान-पान, दवाई और देखभाल में कोई समस्या नहीं है। ऐसे में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अधिकरण ने बेटे को संपत्ति से बेदखल करने को कहा है।