आखिर कब मनाएगा होमगार्ड जवान यह रंगों का त्यौहार और कब आला जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी उनका दर्द समझेंगे
चित्तौड़गढ़ ! गृह रक्षा प्रशिक्षण केंद्र के कई जवानों ने अपना दर्द व्यक्त करते हुए बताया कि क्या हम भी कभी यह खुशी का रंगों का त्यौहार मना पाएंगे पुलिस के उच्च अधिकारी पुलिस लाइन में हमें भी अपने साथ बुलाकर अपनी खूशी सम्मिलित करेंगे या केवल जहां ड्यूटी करनी हो पूरी ईमानदारी के साथ एडी पंजे पर वहीं बुलाएंगे
आखिर कब मनाएगा होमगार्ड जवान यह रंगों का त्यौहार और कब आला जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी उनका दर्द समझेंगे
चित्तौड़गढ़ ! गृह रक्षा प्रशिक्षण केंद्र के कई जवानों ने अपना दर्द व्यक्त करते हुए बताया कि क्या हम भी कभी यह खुशी का रंगों का त्यौहार मना पाएंगे पुलिस के उच्च अधिकारी पुलिस लाइन में हमें भी अपने साथ बुलाकर अपनी खूशी सम्मिलित करेंगे या
केवल जहां ड्यूटी करनी हो पूरी ईमानदारी के साथ एडी पंजे पर वहीं बुलाएंगे
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार लगभग 6 दिसंबर 1962 चीन युद्ध के दौरान होमगार्ड एक बार फिर से सरकार को आवश्यकता हुई तब से लेकर इतने साल बीत जाने के बाद भी होमगार्ड जवानों को स्थायी ड्यूटी नहीं दी जाती है केवल उन्हें मानदेय पर रखा जाता है
आपको बता दे की वर्तमान में पूरे भारत में लाखों की तादाद होमगार्ड जवान अर्बन हो या ग्रामीण पूरी ईमानदारी के साथ ड्यूटी पर तैनात रहता है राजस्थान की बात करें तो लगभग 40000 से भी अधिक होमगार्ड जवान वर्तमान में ड्यूटी दे रहे है।
होमगार्ड जवानों को वर्तमान लगभग 800 से अधिक रुपए प्रतिदिन मानदय पर ड्यूटी पे रखा जाता है
यदि किसी कारण वश यदि कोई जवान ड्यूटी पर नहीं पहुंचता है तो उसे दिन के रुपए उसे नहीं मिलते हैं संबंधित थाने में गैर हाजिरी अंकित की जाती है और उनका उस दिन का मिलने वाला रुपया मानदेय काट लिया जाता है
नियमित करण तथा समान ड्यूटी समान वेतन की मांगों को लेकर यह जवान न जाने कितनी ही बार चाहे किस भी पार्टी की सरकार हो केंद्र में या राज्य में सभी जगह है यह धरना प्रदर्शन कर चुके हैं
लेकिन अब तक किसी भी सरकार ने उनके दर्द को नहीं समझा है इतने साल बित जाने के बाद भी आज भी इन्हें रोटेशन प्रणाली से ड्यूटी दी जाती है
फिर भी यह सभी जवान बहुत खुश नजर आते हैं और पुरी ईमानदारी के साथ ड्यूटी करते हैं इन्होंने कहा कि जिस प्रकार
सरकार की तरफ से छूट होती है यह रंगों का त्यौहार मनाने के लिए इन्हें( पुलिस)सेवेतनिक अवकाश दिया जाता है उस प्रकार हमें भी दिया जावे हम पुलिस के साथ हर प्रकार की चाहे वह रात्रि गस्त की ड्यूटी हो , इमरजेंसी ड्यूटी हो, या किसी भी विभाग में किसी भी प्रकार की ड्यूटी हमें लगाई गई हो वह हम सभी करते हैं तो फिर हमें उनकी इस खुशी में क्यों नहीं सम्मिलित किया जाता है
खैर होमगार्ड जवानों के दर्द बारे में अगर लिखो तो हजारों पते कम पड़ जाए
यह तो आने वाला वक्त ही बताया कि कौन सी सरकार उनके दर्द को समझेगी और इन्हें भी नियमित करण और समान काम समान वेतन की लिस्ट में शामिल करेगी ❓