नारी दया, करुणा, प्रेम और ममता की पवित्र मूर्ति : पायल पाटीदार
डूंगरपुर। नारी दया, करुणा, प्रेम और ममता की पवित्र मूर्ति होती हैं। नारी ही मनुष्य की जन्मदात्री होती हैं, जिसके ह्रदय में सूर्य जैसा तेज, समुद्र जैसी गंभीरता, चन्द्रमा जैसी शीतलता, पर्वतों जैसी मानसिक उच्चता, पृथ्वी जैसी क्षमता होती है।
नारी दया, करुणा, प्रेम और ममता की पवित्र मूर्ति : पायल पाटीदार
ब्यूरो चीफ एम के जोशी चित्तौड़गढ़
डूंगरपुर। नारी दया, करुणा, प्रेम और ममता की पवित्र मूर्ति होती हैं। नारी ही मनुष्य की जन्मदात्री होती हैं, जिसके ह्रदय में सूर्य जैसा तेज, समुद्र जैसी गंभीरता, चन्द्रमा जैसी शीतलता, पर्वतों जैसी मानसिक उच्चता, पृथ्वी जैसी क्षमता होती है।
शिक्षिका पायल पाटीदार, पुनाली ने नारी सशक्तिकरण को लेकर विचार साझा करते हुए कहा कि विश्व स्तर पर अपनी संस्कृति और विरासत के लिए प्रसिद्ध, भारत विविध संस्कृतियों से भरा हुआ देश है। लेकिन भारतीय समाज हमेशा से एक पुरुष प्रधान देश रहा है, यही वजह है कि महिलाओं को शिक्षा और समानता जैसे बुनियादी मानवाधिकारों से लगातार वंचित रखा गया है। वे हमेशा दमन और घरेलूता तक ही सीमित रहे और बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने से रोका। लैंगिक समानता की धारणा पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता की मांग करती है लेकिन महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। भारत जैसे देश के लिए, इसके विकास और विकास में महिला सशक्तिकरण की बड़ी भूमिका होगी। जैविक और नैतिक दोनों संदर्भों में, महिलाओं के पास एक परिवार के भविष्य और विकास के साथ-साथ पूरे समाज को विकसित करने के लिए अधिक क्षमताएं हैं। इस प्रकार, हर महिला को एक व्यक्ति के रूप में पूरी तरह से विकसित होने और अपनी पसंद बनाने में मदद करने के लिए समान अवसर दिए जाने चाहिए। जहां नारी का सम्मान हो वहां देवता निवास करते हैं इसलिए एक बेहतर समाज निर्माण के लिए नारी को सशक्त करने की हीं नहीं बल्कि उसे सम्मान और सपनों को उड़ान देने की जरूरत हैं। सही मायने में नारी सशक्तिकरण नारी को उस काबिल बनाना कि वह खुद को अपने आत्मसम्मान और अपने सपनों के लिए कदम बढ़ाने की चिंगारी को पैदा कर सकें। नारी केवल एक इंसान ही नहीं इस प्रकृति को आगे की ओर ले जाने वाली अहम धुरी और प्रकृति की निर्माणकर्ता भी हैं।
नारी साक्षात् लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा तो कभी काली हैं। जो पुरुष नतमस्तक होकर नारी के इन रूपों को नमन करता हैं, वही भूल जाता है हर नारी में लक्ष्मी तो कभी काली हैं। बस एक बार नारी सशक्तिकरण के माध्यम से हम सबको हर महिला के अंदर से उस चिंगारी को जगाना होगा तो वह खुद ही अहिल्या, पन्नाधाय और झांसी रानी होगी। समाज के लोग जहां शान से कहते हैं भारत माता की जय वही दर्जा हर नारी को दिलाना है।