फिरकापरस्ती और नफरत के फ़िज़ायों में मोहब्बत का पैगाम बना गुरद्वारा बाबा दीप सिंह शहीद*
मुस्लिम लड़की ने गुरद्वारे में नमाज की अदा*❤️ *मुस्लिम लड़की हक़ से बोली हम लड़कियां रहेंगी तो गुरद्वारे में ही*
*फिरकापरस्ती और नफरत के फ़िज़ायों में मोहब्बत का पैगाम बना गुरद्वारा बाबा दीप सिंह शहीद*????
*मुस्लिम लड़की ने गुरद्वारे में नमाज की अदा*❤️
*मुस्लिम लड़की हक़ से बोली हम लड़कियां रहेंगी तो गुरद्वारे में ही*????
कल सुबह फोन की घण्टी बजी। फोन उठाते ही एक लड़की बोली टिम्मा अंकल मैं रजीना मोहम्मद बोल रही हूं *हम 30 लड़कियां है बाहर से आई है हमने किसी धर्मशाला में नही रुकना सिर्फ गुरद्वारे में ही रुकेंगी।हक़ से आई आवाज़ में कोई अटपटापन नही लगा बल्कि महसूस हुआ कि कोई रब्बी रूह है जिसे धर्म से प्यार है।और धर्म का मतलब भी समझती है*।आधे घण्टे बाद गुरद्वारे बुलाया।मिलते ही फिर वही बात,हमने कहीं और नही रुकना बस यही गुरद्वारे में ही रुकेंगी। *लड़कियों में 5 मुस्लिम लड़कियां थी 22 हिन्दू लड़कियां थी और 3 सिख लड़कियां थी।लड़कियों की बात सुन मन को एक सकूं मिला फख्र हुआ कि यही मेरे गुरुनानक साहिब के घर की रहमत है जिसे हर कोई अपना समझता है और अपनापन जताता भी है* लड़कियों की बात सुन बबलू वीर को बुलाया और बेटियों से अपनत्व में शर्त रखी, *कि अगर रहने की ज़िद तुम्हारी है तो एक शर्त हमारी भी है कि तुमने दस दिन रुकना है पर हर दिन का मेन्यू हमे बनाकर देना होगा कि किस वक्त क्या क्या खाना है।और आपको वही मिलेगा।लड़कियां तो बल्लियों उछलने लगी कि हमने पहले ही कहा था कि गुरद्वारे वाले मजे हमे कहीं नही मिलने*।पिछले चार दिन से बेटियां गुरद्वारा साहिब रह रही है सेवा भी करती है *आज एक मुस्लिम बेटी को गुरद्वारा साहिब में नमाज़ पढ़ते देखा तो गुरबाणी का महावाक्य याद आने लगा "सभै साँझीवाल सदायन तू किसै न दिसै बाहरा जीओ" वाहिगुरू जी ये आपका ही स्थान है जहां कोई मजहबी भेदभाव नही*। बस "मानस की जात सभै एको पहचानबो" यही सिद्धांत चलता है अहोभाग्य हमारे जो हमे ये सौभाग्य मिला--तेजिंदर पाल सिंह टिम्मा