14 सितंबर को अफीम किसान चित्तौड़गढ़ से दिल्ली करेंगे कूच।

भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति राजस्थान मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसानों का 14 सितंबर को चित्तौड़गढ़ से दिल्ली कूच करने की तैयारी है। चित्तौड़गढ़ से दिल्ली पहुंचकर अफीम किसान 15 सितम्बर के दिन जंतर-मंतर पर धरना देकर भारत सरकार को ज्ञापन देंगे। भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति के संरक्षक मांगीलाल मेघवाल बिलोट ने कहा है कि अफीम एक विश्व प्रसिद्ध औषधीय उत्पाद है जिससे नशा नहीं सैकड़ों प्रकार की जीवन रक्षक बनती है जिसकी संवैधानिक खेती आजादी से आज तक भारत में होती है।

14 सितंबर को अफीम किसान चित्तौड़गढ़ से दिल्ली करेंगे कूच।

14 सितंबर को अफीम किसान चित्तौड़गढ़ से दिल्ली करेंगे कूच।

संवाददाता मुकेश कुमार जोशी चित्तौड़गढ़

भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति राजस्थान मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के किसानों का 14 सितंबर को चित्तौड़गढ़ से दिल्ली कूच करने की तैयारी है। चित्तौड़गढ़ से दिल्ली पहुंचकर अफीम किसान 15 सितम्बर के दिन जंतर-मंतर पर धरना देकर भारत सरकार को ज्ञापन देंगे। भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति के संरक्षक मांगीलाल मेघवाल बिलोट ने कहा है कि अफीम एक विश्व प्रसिद्ध औषधीय उत्पाद है जिससे नशा नहीं सैकड़ों प्रकार की जीवन रक्षक बनती है जिसकी संवैधानिक खेती आजादी से आज तक भारत में होती है।

*2008 से आंदोलन कर रहे सभी किसान व किसान पुत्रों का अफीम नीति 2023-24 में केंद्र सरकार से मांग एवं सुझाव।*

1. 1997-98 विभिन्न कारणों से काटे सभी अफीम पट्टे लुनी -चिरनी के बहाल किए जाएं जिससे तुर्की सहित अन्य देशों से पोस्ता का विदेशी आयात बंद हो सके।

2. अफीम किसानों ने कभी भी सीपीएस पद्धति नहीं मांगा इसलिए सीपीएस पद्धति को समाप्त किया जाए सीपीएस के बहाने निजी कंपनी को अफीम खेती ठेके पर देना देश व किसान दोनों के साथ धोखा है, यदि सीपीएस देना जरूरी है तो निजी कंपनी को ठेके में नहीं देकर सरकारी उपक्रम स्थापित किया जाएं।

 इसके अलावा उन सभी किसानों को अफीम खेती के नए लाइसेंस दिए जाए जिनके परिजनों ने जीवन में कभी भी अफीम की खेती नहीं की है।

3. अफीम का अंतरराष्ट्रीय मूल्य 01 लाख रूपए प्रति किलोग्राम है और किसान को 800 से 1200 अथवा 1500 रूपए से अधिक नहीं देने से मानसिक अवसाद पैदा होता है, अतः अंतरराष्ट्रीय मानक मूल्य के आधार पर किसान को मूल्य दिया जाए।

4. डोडा चूरा अफीम फसल का बाय प्रोडक्ट है जैसे गाय दूध देती है तो गाय गोबर भी देती है अतः डोडा चूरा सरकार 02 हजार रूपए प्रति किलोग्राम की दर से किसानों से खरीद कर नए रिसर्च के माध्यम से औषधीय निर्माण को बढ़ाया जाए।

5.मार्फीन अपारदर्शी और काल्पनिक कन्टेंट है जो किसान के हाथ में नहीं होकर प्रकृति पर निर्भर करता है और इसकी आड़ में किसानों को आर्थिक रूप से लूटा जाता है अतः औसत आधार पर अफीम पट्टे दिए जाए।

उपरोक्त सुझावों के अतिरिक्त 2015 से 2023 तक नारकोटिक्स विभाग की सीबीआई जांच करवाने की भी अफीम किसान संघर्ष समिति ने मांग की हैं। भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति के संरक्षक मांगीलाल मेघवाल ने यह भी कहा कि अफीम विभाग में सभी नहीं लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा नारकोटिक्स विभाग में रहकर सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों गरीब भोले भाले और अनपढ़ किसानों को आर्थिक रूप से लूटा जा रहा है और इस लूट को बंद करने के लिए प्रधानमंत्री से वर्ष 2008 से 2023 तक संघर्ष कर रहे संघर्षी किसान व किसान पुत्रों को नारकोटिक्स विभाग की जमीनी हकीकत पर चर्चा करने हेतु समिति की कार्यकारिणी को समय दिया जाए।