सचिन पायलट और गहलोत के बीच एलिवेटेड रोड ज़रूरी‼️जीता हुआ चुनाव भाजपा के पत्तल में परोसा जा रहा है!!
मुझको राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट से पूरी हमदर्दी है। गहलोत से इसलिए कि वह सचिन को चुनाव में क़ुर्बान करने के चक्कर में ख़ुद क़ुर्बान हो जाएंगे तो सचिन से इसलिए कि वह हलाहल पी कर शिव शंकर की राह पर चल निकले हैं। सब्र का ज़हर समुंद्र मंथन से निकला है और सचिन ने उसे मान सहित स्वीकार कर लिया है।*

सचिन पायलट और गहलोत के बीच एलिवेटेड रोड ज़रूरी‼️जीता हुआ चुनाव भाजपा के पत्तल में परोसा जा रहा है!!
संवाददाता मुकेश कुमार जोशी चित्तौड़गढ़
मुझको राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट से पूरी हमदर्दी है। गहलोत से इसलिए कि वह सचिन को चुनाव में क़ुर्बान करने के चक्कर में ख़ुद क़ुर्बान हो जाएंगे तो सचिन से इसलिए कि वह हलाहल पी कर शिव शंकर की राह पर चल निकले हैं। सब्र का ज़हर समुंद्र मंथन से निकला है और सचिन ने उसे मान सहित स्वीकार कर लिया है।*
*अशोक गहलोत के विरोध में जब तक सचिन सड़कों पर उतरते रहे मैं उनका विरोधी रहा मगर जब से उन्होंने अपने आप पर नियंत्रण रख लिया और जवाबी हमले करने बन्द कर दिए हैं ,मैं पुनः उनके पक्ष में आ गया हूँ। यहाँ साफ़ कर दूं कि मैं उनके पक्ष में आ गया हूँ इसका यह मतलब नहीं कि उनका पैरोकार हो गया हूँ।मेरा आशय है कि मैं उनकी ख़ामोशी का सम्मान करने लगा हूँ।*
*मित्रों! कभी कभी शोर को ख़ामोशी मार देती है!अतिरिक्त्त उछल कूद को सब्र मार देता है! जब सचिन पैदल यात्रा कर रहे थे! शहीद स्मारक पर अपनी ही सरकार के फ़ैसलों पर फिसल रहे थे !तब वह भारी भूल कर रहे थे। उस समय वह जनता के नज़दीक जाने की जगह दूर हो रहे थे।दिल की जगह दिमाग़ों में उलझ रहे थे। चतुर और तेज़ तर्रार गहलोत ख़ुद भी यह चाह रहे थे कि उनको इतना उकसाया जाए कि या तो वह कोई आत्मघाती !दल विरोधी निर्णय ले लें! या पार्टी छोड़ जाएं! यही वजह थी कि उनके कट्टर समर्थक पत्रकार! आए रोज़ सचिन के पार्टी छोड़ने की तारीख़ें घोषित कर रहे थे।*
*उनके उकसाने पर एक बार तो सचिन को लग भी गया था कि इस घुटन भरे माहौल से बाहर आना ही बेहतर होगा मगर फिर मुझ जैसे दूरदर्शी सलाहकारों ने उनको समझा दिया कि गहलोत की चालों का मुक़ाबला पार्टी के अंदर रह कर ही किया जा सकता है।*
*गहलोत ने जब सचिन को नकारा निकम्मा और अनुभवहीन बता कर अपमानित किया था तभी आक्रामक होकर उनको दिन में तारे दिखा देने चाहिए थे या फिर बाद में अपना मानसिक संतुलन बनाये रखना था।*
*याद हो तो मैंने तब उनके मीडिया सलाहकार तक अपना एक ब्लॉग भिजवाया था जिसमें सचिन को क्या क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए बताया था। ये बात सही है कि यदि चुनाव से चार महिने पहले उनको मुख्यमंत्री बना भी दिया जाता तो वह कौन सा तीर मार लेते? कौनसी चमत्कारी योजनायें लागू करवा देते कि कांग्रेस जीत जाती?चुनाव प्रबन्धन के लिये आर्थिक प्रबन्धन कैसे कर लेते? और फिर ये सब हो भी जाता तो गहलोत उनको इतनी आसानी से चुनाव जीतने के दरवाज़े खोलने थोड़ी देते!भीतर घात की वो आँधी चलती कि विधानसभा में सीट्स विधायकों के लिए तरस जाती।ज़ाहिर है क़रारी हार का ठीकरा सचिन के सर फूटता। डोटासरा की जगह यदि उनको अध्यक्ष बना दिया जाता तो चार महिने में वह कौनसी मर्दों की फ़ौज़ खड़ी कर लेते? इससे तो बेहतर हुआ कि वह जुबां पर ताले लगा कर बैठ गए।*
*अब उनके साथ जो कुछ किया जा रहा है वह जनता देख रही है। कार्यकर्ता देख रहे हैं। हाईकमान देख रहा है। सबकी सहानुभूति सचिन की तरफ होती जा रही है।*
*निवाई में प्रियंका की सभा से कई चालबाज़ नेताओं के पैंतरे ढीले पड़ेंगे। कल शाम को कोर कमेटी की बैठक में जब राहुल के कान आंख और ज़ुबान बने , संगठन मंत्री वेणुगोपाल अपना तेवर दिखाएंगे तो उसका सकारात्मक असर होना तय है! यूँ सचिन स्वयं भी मौज़ूद रहेंगे और बैठक में उनको जम कर बोलना पड़ेगा। खुल कर बल्लेबाज़ी करनी होगी। बाहर जाती बॉल पर छक्के लगाने होंगे।*
*जहां तक अपने समर्थकों को टिकिट दिलाने का सवाल है मैं कहना चाहूंगा कि उनको इस मुद्दे पर सबसे ज़ियादा सावधानी रखनी पड़ेगी। उनके अपने ऐसे नेता जिनके जीतने की संभावना नहीं है या कम है उन पर हाथ रखना या उनके लिए अड़ना सचिन के लिए आत्मघाती होगा। इस बार उनको नए सिरे से अपने शत प्रतिशत जीतने वालों को सामने लाना होगा।बाक़ी लोगों को एतबार दिलाना होगा कि सरकार बनने पर उनको सम्मान के साथ एडजेस्ट कर दिया जाएगा।*
*इस बार गहलोत भी बेहद शातिर अंदाज़ में समर्थकों को।(लिफ्ट) टिकिट देंगे। यूँ भी संख्या बल बनाए रखने के लिए उन्होंने मन्त्रियों को जितना सर पर चढ़ाया ! लूटने की छूट दी!नियंत्रण में नहीं रखा! उससे उनके मन्त्रियों ने जनता में अपनी छवि मोहम्मद ग़ज़नवी जैसी बना ली है। इनमें से शायद ही कोई जीतने लायक बचा हो।। हां ,धन बल !बाहुबल ! जाति बल! ज़रूर उनके साथ हो सकता है पर इस बार यह सब काम नहीं आने वाला।*
*मेरा मानना है कि बेदाग़ सचिन यदि स्क्रीनिंग कमेटी के अधिकारों को ईमानदार चयन में इस्तेमाल करें तो उनका वर्चस्व लोटेगा। बड़ा दिल रखते हुए उनको गहलोत समर्थित दावेदारों को भी खुल कर समर्थन देना होगा ताकि चुनाव जीतने के बाद वे सब भी उनका सम्मान करें।*
*मित्रों! जो माहौल राज्य की कॉन्ग्रेस पार्टी में चल रहा है उसे देखते हुए तो कांग्रेस को भाजपा नहीं कांग्रेसी ही हरा देंगे। आज के माहौल में यदि बदलाव नहीं हुआ तो कांग्रेस पत्तल में रख कर जीत भाजपा को परोस देगी। टिकिटों के लिए जिस तरह जूतम पैज़ार देखने को मिल रही है। मार पीट और मुक़दमों की बाढ़ आई हुई है! गहलोत और सचिन के नाम पर जो गुटबाज़ी हो रही है वह अभूतपूर्व है।*
*अजमेर में धर्मेन्द्र राठौड़ और सचिन के समर्थक जिस तरह आरोपों की बौछार कर रहे हैं वह किसी से छिपा नहीं। भले ही राठौड़ वहां ख़ुद को निर्दोष कहते रहें मगर उनके अजमेर में जाज़म बिछाने के बाद पूरी कांग्रेस दो हिस्सों में बंट गई है। पूर्व मंत्री नसीम अख़्तर, उनके पति इंसाफ़ अली, व उनके पुत्र पर सुनियोजित मुक़दमा दर्ज़ हुआ। नसीम सचिन समर्थक मानी जाती हैं। इसके बाद सचिन के समर्थक महेन्द्र सिंह रलावता की बैठक में राठौड़ के समर्थको को बिन बुलाये आने पर कूट दिया गया। मुक़दमा दर्ज़ हुआ।*
*यही नहीं दावेदारी के समय कांग्रेसी नेता शिव बंसल के साथ राठौड़ के समर्थकों की मार पीट हो गई। यह मामला सुलझा भी नहीं कि गहलोत के कट्टर समर्थक सौरभ बजाड़ ने राठौड़ पर गुटबाज़ी फैलाने का आरोप लगा दिया। इसके पहले कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन ने राठौड़ पर माहौल बिगाड़ने की बात कह दी थी।*
*अब हाल ही में राठौड़ के सिपहसालार पूर्व विधायक और वर्तमान कांग्रेस उपाध्यक्ष राजकुमार जयपाल ने सचिन के लाडले लाल हेमंत भाटी के ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़द्दमा पेश किया है।*
*अजमेर तो एक उदाहरण है बाक़ी पूरे राज्य से ऐसी घटनाएँ सामने आ रही हैं।ऐसे में तय है कि टिकिट दिए जाने के बाद भीतरघात रोके नहीं रुक पाएगी।*
*पार्टी यदि सचिन और गहलोत के बीच कठोरता से रिश्ता स्थापित नहीं करवा पाई तो हार सुनिश्चित है।*
*यहाँ मैं खुल कर कह रहा हूँ कि सचिन फिर भी अशोक गहलोत के साथ दिल साफ़ करके बैठ जाएं पर गहलोत ऐसा कर पाएंगे मुझे नहीं लगता।*
*दोनों नेताओं को जीतने के लिए न केवल एक होना पड़ेगा बल्कि अपने चिल्गोजों को भी अनुशासन का पाठ पढ़ाना होगा। क्या यह सब इतना आसान है❓️ क्या ऐसा हो पाएगा❓️ आप सब ही बताएं।*
हमारे आदरणीय सम्माननीय विधायक जी सोचो समझो और विचार करो मनन करें फिर मंथन करे ओर फिर नीरणे करे आपके हाथ में है लेकिन कांग्रेस हित मे हो
सचिन पायलेट जिंदाबाद
*सुरजन मीणा*
आदर्श नगर विधानसभा जयपुर *राजस्थान*
सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज जिसकी निहाल दैनिक समाचार पत्र पुष्टि नहीं करता