माननीय उच्च न्यायालय से 20 लाख रूपये क्षतिपूर्ति का आदेश बीमा कंपनी के विरुद्ध यथावत रखा गया।
चितोडगढ़ परिवादी रोशनलाल पिता गोवर्धनलाल जी जाट निवासी सोमरवालों का खेड़ा तहसील राशमी जिला चित्तौड़गढ़ ने एक परिवाद न्यायालय स्थाई लोक अदालत चित्तौड़गढ़ में आईसीआईसीआई लोम्बार्ड इन्श्योरेंस कंपनी के विरूद्ध जरिए अधिवक्ता भगवतसिंह गिलुण्डिया, कुलदीप सुहालका, राजकुमार वैष्णव प्रस्तुत किया

माननीय उच्च न्यायालय से 20 लाख रूपये क्षतिपूर्ति का आदेश बीमा कंपनी के विरुद्ध यथावत रखा गया।
चित्तौड़गढ़ परिवादी रोशनलाल पिता गोवर्धनलाल जी जाट निवासी सोमरवालों का खेड़ा तहसील राशमी जिला चित्तौड़गढ़ ने एक परिवाद न्यायालय स्थाई लोक अदालत चित्तौड़गढ़ में आईसीआईसीआई लोम्बार्ड इन्श्योरेंस कंपनी के विरूद्ध जरिए अधिवक्ता भगवतसिंह गिलुण्डिया, कुलदीप सुहालका, राजकुमार वैष्णव प्रस्तुत किया
कि परिवादी के पिता गोवर्धनलाल जी जाट ने अपने जीवनकाल में
बीमा पॉलीसी विपक्षी बीमा कंपनी से जारी करवाई थी। जिसके अनुसार दुर्घटना मृत्यु पर 20 लाख रूपये देय योग्य थे जो दिनांक 19/02/2021 से प्रभावी थी। पॉलीसी लेने के उपरांत गोवर्धनलाल जी जाट दिनांक 06/05/2021 को सुबह करीब 5:30 बजे रोजाना कीतरह अपने नोहर के पास ट्यूब्बैल से रजका को पानी देने के लिए मोटर चलाने गए कि अचानक स्टॉर्टर में करंट आने से उनकी दुर्घटनावश मृत्यु हो गई। जिनको राशमी चिकित्सालय ले जाया गया जहाँ पर उनका पोस्टमार्टम किया गया और थाना राशमी में रोजनामचा रिपोर्ट 15/21 दर्ज कराई गई और अन्य सभी पर्चा मौका, पंचायतनामा लाश व एसडीओ, तहसील, ग्राम पंचायत आदि द्वारा गोवर्धनलाल के करंट से मृत्यु होने का प्रमाण पत्र जार किया गया। इसके बाद प्रार्थी रोशनलाल ने बीमा पॉलीसी में नोमिनी होने से व गोवर्धनलाल के एकमात्र पुत्र व उत्तराधिकारी होने से बीमा कंपनी ने क्लैम आवेदन पेश किया लेकिन बीमा कंपनी ने दिनांक 31/03/2022 को नोटिस भेजकर पुरानी गंभीर बताकर नो-क्लैम कर दिया और जांच रिपोर्ट के आधार पर बीमारी बताकर नो क्लैम नोटिस भेजा। जिस पर परिवादी ने परिवाद न्यायालय में प्रस्तुत किया कि परिवादी के पिता के कोई गंभीर बीमारी नहीं होकर केवल एक वर्ष पूर्व जांचें कराई थी और प्रार्थी ने कोई तथ्य भी पॉलीसी में नहीं छिपाए। इसके अलावा बीमाधारी की मृत्यु बीमारी से नहीं होकर दुर्घटनावश करंट लगने से हुई थी। जिसके संबंध में परिवादी व अन्य तीन गवाहान के बयान भी न्यायालय में कराए गए। इस प्रकार बीमा कंपनी ने नोटिस व परिवाद के जवाब में निराधार तथ्य वर्णित करके गलत तथ्यों पर प्रार्थी का क्लैम नो क्लैम किया था तथा बीमा कंपनी ने जवाब के साथ जो दस्तावेज प्रस्तुत किए वह पालीसी से करीब एक वर्ष पुराने थे। स्थाई लोक अदालत के माननीय अध्यक्ष श्री राजेन्द्र कुमार शर्मा तथा सदस्य विमला सेठिया व शशि माथुर ने अधिवक्ता परिवादी के तर्कों से सहमत होते हुए प्रार्थना पत्र स्वीकार कर विपक्षी बीमा कंपनी आईसीआईसी लोम्बार्ड इन्श्योरेंस कंपनी लिमिटेड के विरूद्ध आदेश सुनाया कि वह दो माह में 20 लाख रूपये बीमा राशि प्रार्थी को अदा करें और उक्त राशि पर दिनांक 22/08/2022 से 7 प्रतिशत की दर से ब्याज अदा करें। साथ ही मानसिक संताप के 5 हजार रूपये व वकील मेहनताना के 5 हजार रूपये अलग से अदा करने का आदेश सुनाया तथा दो माह में उक्त राशि अदा नहीं करने पर 8 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी प्रार्थी को अदा करें। उक्त आदेश की अपील बीमा कंपनी आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरन इन्श्योरेंस कंपनी द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में की गई। जिस पर उच्च न्यायालय ने अधीनस्थ न्यायालय स्थाई लोक अदालत द्वारा पारित आदेश को यथावत रखकर बीमा कंपनी की अपील को खारिज कर दिया।