मैं अचानक से बहुत निराश हो जाती हूँ।  नहीं! मेरे जीवन में कोई समस्या नहीं है!  बस कुछ खाली कमरे हैं जो कभी भरे होते थे।  कुछ हवाओं में तैरती यादें और कुछ हंसी हैं।

वो यादें और हंसी मुझे गुदगुदाती नहीं,  जाने अंजाने में चुभ जाती हैं  और हैं भीड़ किए कई सारे सवाल।  जिनके जवाब नहीं हैं मेरे पास।  मैं उनके जवाब अब जानना चाहती भी नहीं,  पर वो मायूस करती हैं मुझे।  मुझे मेरे गलत होने का अहसास कराती हैं  और  मैं बेचैन होने लगती हूँ।  दवाएं काम नहीं करती,  मुझे सब कुछ बेमानी सा लगता है।

मैं अचानक से बहुत निराश हो जाती हूँ।   नहीं! मेरे जीवन में कोई समस्या नहीं है!   बस कुछ खाली कमरे हैं जो कभी भरे होते थे।   कुछ हवाओं में तैरती यादें और कुछ हंसी हैं।

मैं अचानक से बहुत निराश हो जाती हूँ।

 नहीं! मेरे जीवन में कोई समस्या नहीं है! 

बस कुछ खाली कमरे हैं जो कभी भरे होते थे। 

कुछ हवाओं में तैरती यादें और कुछ हंसी हैं।

वो यादें और हंसी मुझे गुदगुदाती नहीं,

 जाने अंजाने में चुभ जाती हैं

 और हैं भीड़ किए कई सारे सवाल।

 जिनके जवाब नहीं हैं मेरे पास।

 मैं उनके जवाब अब जानना चाहती भी नहीं, 

पर वो मायूस करती हैं मुझे।

 मुझे मेरे गलत होने का अहसास कराती हैं

 और

 मैं बेचैन होने लगती हूँ।

 दवाएं काम नहीं करती, 

मुझे सब कुछ बेमानी सा लगता है।

मैं बहुत निराश हो जाती हूँ 

खुद से,

 ज़िन्दगी से, 

उससे, इससे और 

तुमसे भी ।

     कवियत्री  रिशिका मीणा