फरवरी में गर्मी ने उड़ाई अफीम उत्पादकों की नींद: दूध कम होने से घटेगी पैदावार, ठंडक के लिए पानी छिड़क रहे

फरवरी में 36 डिग्री तापमान ने जिले के हजारों अफीम उत्पादक किसानों की नींद उड़ा दी है। कारण है कि जिले में दो हजार हैक्टेयर में 20 हजार किसानों द्वारा बोई गई अफीम फसल के डोडे पर चीरा लगना शुरू हो गया है। लेकिन डोडे दूध कम आ रहा है। इसका कारण तेज गर्मी है। इस समय अफीम फसल के लिए अधिकतम तापमान 25 से 30 डिग्री तक होना चाहिए। जबकि दिन का तापमान 35 डिग्री तक चल रहा है। इसके चलते इस बार अफीम पैदावार कम होने की संभावना है। वही सबसे ज्यादा नुकसान गेहूं की फसल में दिख रहा है।
गेहूं की पैदावार भी कम आएगी। मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि जनवरी के अंतिम सप्ताह से ही तेज गर्मी पड़ना शुरू हो गई थी। ऐसा लग रहा है कि अप्रैल, मई जैसी गर्मी पड़ रही हो । फरवरी माह में 30 से 36 डिग्री तक दिन का तापमान रहने से अफीम डोडे ही सूख रहे हैं। इस बार डोडे भी छोटे आने की बाते किसानों ने कही है। घाटा क्षेत्र के किसान पप्पू शर्मा ने कहा कि डोडे में दूध कम निकल रहा है। डोडे ही काले पड़ रहे हैं। वही सफेद मस्सी का रोग भी दिख रहा है। दिनेश धाकड़ ने कहा कि तेज गर्मी के चलते स्थिति ये है कि चीरे के बाद अफीम जल्दी सूख रही है। ठंड होने पर दूध अच्छा आता है। इससे लुवाई कार्य में भी सुविधा होती है। कुछ जगहों पर तो किसान तापमान मेंटेन रखने के लिए सुबह या शाम ग्लूकोज युक्त पानी का छिड़काव कर रहे हैं। जिससे खेती में नमी रहने के साथ ही अधिकतम तापमान में तीन डिग्री की कमी रहे। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि फरवरी में असामान्य रूप से हाई टेंपरेचर इस बात का संकेत है कि इस साल गर्मी जमकर पड़ेगी।
गेहूं की पैदावार प्रभावित
उप निदेशक उद्यान डॉ. शंकरलाल जाट ने बताया कि तापमान बढ़ने से गेहूं की की फसल समय से पहले पक जाएगी। इससे इसकी बालियों में दानों का आकार छोटा रह जाएगा। तापमान बढ़ने से खेतों में नमी की कमी आ सकती है। जबकि गेहूं की फसल को नमी की आवश्यकता होती है। तापमान बढ़ने से गेहूं फसल को ज्यादा नुकसान नहीं हो। इसके लिए जल्दी पिलाई करते रहें, जिससे खेतों में नमी बनी रहे। उल्लेखनीय है कि जिले में एक लाख 57 हजार हैक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई सरसों में भी हुआ था नुकसान
ऐसा नहीं है कि मौसम तंत्र में बदलाव से सिर्फ अफीम फसल को नहीं नुकसान हो रहा है। गेहूं और सरसों की रबी फसलों को भी नुकसान है। इन फसलों को पकने के लिए कम तापमान की आवश्यकता होती है। गर्मी इन रबी फसलों को खराब कर रही है। दीपककुमार ने कहा कि अफीम फसल के तो डोडे सूखने लगे हैं तो सरसो में भी नुकसान हुआ। उनके खेत में प्रति बीघा छह-सात क्विंटल सरसों होती थी, लेकिन इस बार सर्दी में पाला पड़ने व मौसम में बदलाव से प्रति बीघा चार क्विंटल सरसों ही प्राप्त हुई।