मैं धुंधला सूरज हूं मासूम काले बादल दबा रहे हैं

निहाल दैनिक समाचार / NDNEWS24X7
रिपोर्ट देवी लाल बैरवा जयपुर भारत
( कविता )
जवानी का दौर
मैं धुंधला सूरज हूँ
मासूम काले बादल दबा रहे हैं
सालों से एक पत्थर दिल लेकर घूम रहा
बात घन का वह ऊंचा पहाड़ खड़ा है
ताऊ आसमान से चिढ़ा रहे हैं
डगमगा रहा है मोहब्बत का वो लाल गुलाब जो बड़ा होकर बड़ा हुआ है
समय की तेज आंधी बार बार हिलाती है।
दर्द की नियति के भीतर, जलन और सूखे
तिलस्मी के सपने गुजर गए
मैं उस गुलाब को हरा बना रहा हूँ
प्यार और अपनापन सींचता रहूँगा
कभी कभी जब भूकंप की संभावना आती है
दिल का नरम बांध बहुत कांपता है।
वह पवित्र गुलाब हिलता रहता है
उसकी हिफाज़त के लिए मैं अपने जीवन को भूलता जा रहा हूँ
जब बादल छा जाते हैं।
कभी हवा तो कभी ओलावृष्टि
इन जख्मों के कारण जख्मों वाला पेड़
चोट लगी नब्ज पर मरहम लगाता हूँ।
दवा का इलाज करेंगे
यह क्रम प्रतिदिन चल रहा है।
फिर से उसी पर।
यहाँ एक और दर्द जुड़ गया है
सिर्फ इसलिए कि मैं बहुत खुश हूँ
पश्चिमी देशों के व्यंजनों द्वारा आमंत्रित
मेरे भूगोल में कोरोना राज कर रहा है।
जीवन और मृत्यु का दोष जीवन पर है
| मौत का कोई मोल नहीं
कितनो को छीन लिया क्रूर यमराज ने
इस कोरोना राक्षस को भगाना है
अपनी संस्कृति की चिड़िया लगाते हुए
दिव्य संस्कृति का अमृत जल छिड़कते हुए।
आयातित संस्कृति को छोड़ रहे हैं
| संयम और सावधानी के साथ स्वयं वैदिक कर्मकाण्ड का
शंखनाद करते हुए
अब हमें अपने प्रिय जीवन को बचाना है।
कोरोना दिग्गजों को अपनी मिट्टी से भगा देना चाहिए।
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नाम -भवानी न्यौपाने (भावना)
जिल्ला -दाङ
प्रदेश -५
देश -नेपाल
तुलसीपुर उपमहानगर पालिका तुलसीपुर ग लाइन दाङ ।