प्रिय प्रकृति जीवन भाग्यशाली लगता है

निहाल दैनिक समाचार / NDNEWS24X7
रिपोर्ट देवी लाल बैरवा जयपुर भारत
! कविता - प्रिय प्रकृति !
यात्रा के अंतहीन कदमों में बढ़ते आनंद के बीज
हर भूगोल के अमृत में सुंदर कायाकल्प में डूबना
प्रिय प्रकृति ! जीवन भाग्यशाली लगता है
और तब आपके नए तरीकों से परिपूर्ण महसूस होता है
मेरे जीवन को समर्पित जब पंखों से लालित्य का रंग उकेरा जाता है,
तो इन गालों पर खुशी का अमूल्य रंग उड़ जाता है
मैं स्वस्थ और ऑक्सीजन से भरपूर हूं।
मैं पेड़ों और दाखलताओं में आनन्दित हूं।
उन दिव्य पथों में, मेरे स्तन तुम्हारी स्मृति और प्रेम से भरे हुए हैं,
इसलिए मैं हर दिन चलता हूं।
सुगंध में इसलिए मैं जीवन की सारी थकान में आनन्दित हूँ
ठंडे आराम में हाँ, इस कारण से
मेरी कलम के बीज सफेद चादरों पर बोए जाते हैं
जब इस प्यारी सी धारा में एक खूबसूरत मुस्कान बिखेरती है
तो गतिशील जीवन के घेरे में मुस्कुराता रहता हूं
मैं कीमती मिट्टी में गिर रहा हूँ
प्रस्तुतकर्ता
लेखक साहित्यकार
भवानी न्यौपाने (भावना)
तुलसीपुर उपमहानगर पालिका तुलसीपुर ग लाइन दाङ
जिला -दाङ , प्रदेश -5
देश - नेपाल