असंस्थागत कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन

असंस्थागत कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन

राम सिंह मीणा रघुनाथपुरा 

19 अप्रैल

बबड़ीसादड़ी,   चित्तौड़गढ़ जिले कुषि कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा आयोजित दिनांक 19 अप्रैल को ग्रीष्मकालीन जुताई का महत्व पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कन्नोज गांव में किया गया जिसमें 30 कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ रतन लाल सोलंकी वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष ने कहा कि ग्रीष्मकालीन जुताई का बड़ा महत्व है अतः ग्रीष्मकालीन जुताई से फसल की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए रबी की फ़सल की कटाई के तुरंत बाद गहरी जुताई कर ग्रीष्म ऋतु में खेत को खाली रखना बहुत ही लाभदायक रहता है ग्रीष्मकालीन जुताई रबी मौसम की फसलें कटने के बाद शुरू होती है जो बरसात शुरू होने पर समाप्त होती है अर्थात माह अप्रैल से जून माह तक ग्रीष्मकालीन जुताई की जाती है जहां तक हो सके किसान भाइयों को गमी की जुताई रबी की फ़सल कटने के तुरंत बाद मिट्टी पलटने वाले से गहरी जुताई कर देनी चाहिए क्योंकि खेत की मिट्टी में गर्मी संरक्षित बनीं रहतीं हैं ग्रीष्मकालीन खेत की जुताई से गोबर की खाद व अन्य कार्बनिक पदार्थ भूमि में अच्छी तरह मिल जाते हैं जिसमें पोषक तत्व शीघ्र ही फसलों को उपलब्ध हो जातें हैं ग्रीष्मकालीन खेत की जुताई से खेत तैयार मिलता है जिसमें प्रथम बरसात के साथ ही फसल की समय पर बुबाई की जा सकती है श्रीमती दीपा इन्दोरिया कार्यक्रम सहायक ने किसानों को ग्रीष्मकालीन जुताई का महत्व एवं पोषाहार वाटिका के प्रकाश डाला अंत में प्रशिक्षण में पधारे सभी कृषक महिलाओं को धन्यवाद ज्ञापित किया।