गौ सेवा माता - पिता का ऋण चुकाने का है आधार :- साध्वी निष्ठा
रिपोर्टर बन्शीलाल धाकड़ राजपुरा
बोहेड़ा के गौभक्तों के विशेष आग्रह पर जालोर से बोहेड़ा प्रवचन देने पहुंचे ग्वाल संत गोपालानंद सरस्वती महाराज
कथा के बाद रात 11:00 राष्ट्रीय भजन गायक शंकर सुखवाल गौ भक्तों को करेंगे भजनों से सराबोर
बड़ीसादड़ी। गौ सेवा माता - पिता का ऋण चुकाने का आधार है। यह विचार उपखंड के बोहेड़ा गांव में चल रही सात दिवसीय गोकृपा कथा के चौथे दिन साध्वी निष्ठा गोपाल सरस्वती ने बड़ी संख्या में उपस्थित गौभक्तों के समक्ष कथा वाचन के दौरान व्यक्त किये। साध्वी दीदी ने कहा कि जो संतान माता - पिता व गौमाता की सेवा करती है, उसके माता - पिता का ऋण तो गौमाता चुकाती हैं। प्रवचन करते हुए साध्वी दीदी ने कहा कि गौ माता की पूरे भाव से सेवा करने पर वह मनुष्य के सभी दुखों को हर लेती है। टूटते परिवारों पर प्रकाश डालते हुए साध्वी दीदी ने कहा कि ऐसी बहु जो अपने पति को उसके माता - पिता से अलग कराती है। उनकी सेवा की बजाय उन्हें प्रताड़ित करती है। निश्चित रुप से आगे उस बहू को भी ऐसे ही व्यवहार का शिकार होना पड़ता है। जो जैसा करेगा वैसा ही भरेगा भी। जो जैसा अपने माता पिता के साथ व्यवहार करेगा वैसा ही व्यवहार व सेवा उसकी संतान उसके साथ करेगी। साध्वी दीदी ने कहा कि समाज में गौ सेवा जैसे - जैसे कम हो रही है। वैसे ही हमारा प्रेम भी कम होता जा रहा है। साध्वी दीदी ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि नंदबाबा के पास नौ लाख गौमाता थी और आज हम एक गौमाता को पालने में जी चुरा रहे हैं। साध्वी दीदी ने कहा कि हमें एक गौ माता हमारे घर में जरूर रखनी चाहिए। साध्वी दीदी ने गौमाता को धर्म का आधार बताया। जहां दया है, वहां धर्म है। कलयुग में दया खत्म होती जा रही है। अधर्म फल फूल रहा है। दया धर्म का मूल है। दया से धर्म की रक्षा होती है और क्रूरता से अधर्म बढ़ता है। कथा के प्रसंग में साध्वी दीदी ने कहा कि राजा दशरथ ने चार लाख गायों का दान किया था। पहले असंख्य गोमाता हुआ करती और आज भारत में मात्र साढे सत्रह करोड़ गौवंश ही बची है। साध्वी निष्ठा गोपाल सरस्वती दीदी ने कहा कि उपदेश देने वाले की वाणी तभी फलित होती है, जब उपदेश देने वाला उस कसौटी पर खरा उतरता है। विवाह समारोह में फूहड़ नृत्य करने वाली महिलाओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह हमारी संस्कृति को नष्ट होने की शुरुआत है। हमें इस प्रकार के नृत्य से बचना चाहिए। हमें विवाह में बारात को एक बार नंदी बाबा के दर्शन जरूर कराना चाहिए। पाश्चात्य संस्कृति के चक्कर में विवाह समारोह में भोजन खड़े - खड़े कर रहे है। जिसकी वजह से अधिकांश लोगों का स्वाथ्य बिगड़ता जा रहा है। पहले शादी आदि भोज समारोह में मेहमानों को मनुहार कर भोजन कराते थे और आज बफ्फर डिनर में मेहमानों को प्रेम से बुला कर भिखारी के समान थाली लेकर इधर-उधर काउंटरों पर मांग - मांग कर खाते देख अपने आप को सभ्य मानने लगे हैं। जो हमारी भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं हैं। साध्वी दीदी ने विवाह में कन्या दान के साथ गौ दान देने को जरूरी बताया। साध्वी दीदी ने कहा कि विवाह के लिए बहू रूपवान व धनवान नहीं हो तो भी चलेगा लेकिन वह गुणवान जरूर होनी चाहिए। कथा में बेटियों के विवाह अथवा सगाई नहीं होने पर नौ सोमवार तक मां गोरी के व्रत की विधि बताई। साध्वी दीदी ने कहा कि मां गोरी के इस व्रत को करके ही मां पार्वती ने शिवजी को, सीता ने राम को व रुकमणी ने कृष्ण को पति रूप में पाया। साध्वी दीदी ने कथा के दौरान बताया कि प्रसवमुखी गाय की सात परिक्रमा करने से युवा बेटे - बेटियों की सगाई हो कर उन्हें उत्तम वर - वधु की प्राप्ति होती है। साध्वी दीदी ने लव जिहाद पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि भोली भाली एवं भटकती हिंदू बेटियों को विधर्मी लव जिहाद के जाल में फंसाने में कामयाब होते जा रहे हैं। देश में लव जिहाद की समस्या एक रोग की तरह फैल रही है। बेटियों को आरंभ से ही हमारी संस्कृति के अनुरूप संस्कार व शिक्षा दे कर उन्हें जागरूक करने की जरूरत है। जिससे वो किसी विधर्मी के छलकपट का शिकार नहीं बनें। साध्वी दीदी ने बेटियों को भी आगाह किया कि इस तरह के विधर्मी लोगों से वे सावधान रहें, ऐसे लोगों के साथ शादी करने के बाद बेटियों को जब वास्तविकता पता चलेगी तब तक उनका जीवन बर्बाद हो जायेगा। विरोध करने पर लव जिहाद करने वाले विधर्मी उनकी हत्या करने से भी बाज नहीं आयेंगे। साध्वी दीदी ने जोर देकर कहा है कि बेटियां अपने स्तर पर विवाह नहीं करें। माता-पिता की सहमति एवं परिवार की सहमति होना बहुत जरूरी है। ऐसा होने से बेटियां लव जिहाद के विधर्मियों के चंगुल में नहीं फंसेगी। उनका जीवन बर्बाद होने से बचेगा। कथा में आरती से पहले हुराबा गौशाला, बड़वाई, बड़वल, जियाखेड़ी, महूड़ा व सुथारियाखेड़ा के गौ सेवकों का आयोजन समिति के सरपंच गोपाल मालू, अजय कुमार जाट, राजकुमार पुष्करणा, भंवर लाल माली, लक्ष्मीलाल जणवा, देवी लाल अहीर, लक्ष्मी लाल जणवा, शिवनारायण पुष्करणा, मांगीलाल वातड़ा, चमन सिंह सारंगदेवोत, लक्ष्मीलाल दमावत, रमेश चंद्र पुष्करणा, बाबूलाल पोरवाल, रामलाल भुणा, जगदीश चंद्र डांगी, नारायण लाल डांगी, मोड़ीराम जाट, भगवती लाल जोशी, चंद्र प्रकाश जोशी, रामनारायण जणवा व पूरणदास वैष्णव ने अभिनंदन किया। कथा के बाद सभी गौ भक्तों को बोहेड़ा के लक्ष्मी लाल जोशी व बद्री लाल वैष्णव की ओर से प्रसाद वितरित किया गया। कथा में सातों दिन तक जल की व्यवस्था नगर के झामेश्वर आरओ प्लांट के नीलेश शर्मा और सरपंच गोपाल मालू व टेंट की व्यवस्था अजय कुमार जाट की ओर से की गई है। क्षेत्र के लोगों की गौ माता के प्रति रुचि के चलते भारी संख्या में सैकड़ों लोग प्रतिदिन कथा श्रवण करने आ रहे हैं। जिसमें बड़वल, जियाखेड़ी, जणवों का खेड़ा, मानपुरा, बांसी, फाचर, देवदा व बड़ीसादड़ी, डूंगला आदि दो दर्जन से अधिक गांवों के लोग सम्मिलित है। कथा में आए सभी गोभक्तों का शिवनारायण पुष्करणा एवं कृष्णार्जुन "पार्थभक्ति" ने बेटी का भी मान है कविता पाठ कर आभार जताया।