नई अफीम नीति किसान हित में बनाने को लेकर किसान संघ ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम प्रदर्शन कर सौंपा ज्ञापन
संवादाता बन्शीलाल धाकड़ राजपुरा
12 अगस्त
चित्तौड़गढ़ ज्ञापन में कानून से 8/29 धारा समाप्त करने सहित 23 सूत्रीय मांगे की शामिल
किसान संघ ने कहा जल्द वित्तमंत्री से करेंगे दिल्ली में वार्ता 11 अगस्त शुक्रवार को अफीम किसानों की सभी महत्वपूर्ण समस्याओं के समाधान को लेकर चित्तौड़गढ़,प्रतापगढ़,उदयपुर और भीलवाड़ा चार जिलों के किसानों द्वारा भारतीय किसान संघ अफीम संघर्ष समिति के प्रांत अध्यक्ष बद्रीलाल तेली के नेतृत्व में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम चित्तौड़गढ़ जिला कलेक्टर को 23 सूत्री मांगो से युक्त ज्ञापन सौंपा गया।
भारतीय किसान संघ चित्तौड़ प्रांत अफीम संघर्ष समिति प्रांत मंत्री लाभचंद धाकड़ बेगू ने बताया कि अफीम किसानों की मांगों को लेकर शुक्रवार को चित्तौड़गढ़ जिला कलेक्ट्रेट पर सैकड़ों किसान एकत्रित हुए और अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी के साथ किसानों ने जमकर प्रदर्शन किया,इस दौरान अफीम संघर्ष समिति प्रांत अध्यक्ष बद्रीलाल तेली ने कहा कि नई नीति पूरी तरह से किसान हित में बने इसके लिए किसान संघ पूरी ताकत के साथ प्रयास कर रहा है और अगस्त माह में ही दिल्ली में प्रतिनिधि मंडल वित्त मंत्री के साथ वार्ता करेगा,अफीम संघर्ष समिति सदस्य किसान नेता सोहन लाल आंजना ने कहा की 8/29 धारा देश के कानून से हर हाल में हटाई जावे,यह नासूर धारा 1985 में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने लगाई थी जिसमे लाखो निर्दोष लोगो का जीवन बर्बाद हो चुका है।
चित्तौड़गढ़ जिला अध्यक्ष मिट्ठूलाल रेबारी ने सभी को संबोधित करते हुवे कहा कि नई नीति में पुराने सभी पट्टे बहाल किए जाए तथा नए शिक्षित किसानों को भी रोजगार हेतु पट्टे जारी हो।
अफीम किसानों की मांगों को लेकर जिला कलेक्ट्रेट पर एकत्रित होकर प्रदर्शन करने एवं ज्ञापन देने में चित्तौड़ प्रांत अध्यक्ष बद्रीलाल तेली के साथ चित्तौड़गढ़ किसान संघ अध्यक्ष मिट्ठू लाल रेबारी,उदयपुर जिला अध्यक्ष छगन लाल जाट,बांसवाड़ा संभाग मंत्री गोपाल कुमावत,संघर्ष समिति प्रांत मंत्री लाभचंद धाकड़, प्रांत फसल बीमा प्रमुख प्रकाश मेहता,बांसवाड़ा संभाग उपाध्यक्ष ताराचंद पाटीदार, जगदीश आर्य,माधवलाल तेली, नारायण सिंह,कैलाश धाकड़, रामस्वरूप जाट,प्रकाश धाकड़, नारायण डांगी,जगन्नाथ धाकड़, नंदलाल धाकड़,जिला महिला प्रमुख भारती वैष्णव,कालू लाल पाटीदार,गणपत लाल धाकड़, सुनील कुमावत,सीताराम गायरी, यशवंत मेहता,नानालाल धाकड़ सहित अफीम संघर्ष समिति के पदाधिकारी एवं सैकड़ों अफीम किसान उपस्थित हुए।
ज्ञापन में ये की 23 मांगें
1. देश के कानून से एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/29 को पूर्णतया खत्म किया जाए यह नासूर धारा 1985 में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने लागू की थी,इसमें अधिकतर किसानों को झूंठा फंसाया जाता व अधिकतर मुकदमे झूंठे निकलते है व इस धारा की वजह से लाखो निर्दोष लोग बर्बाद हो चुके है और भ्रष्टाचार को बहुत ज्यादा बढ़ावा मिल रहा है इस पर एक उच्चस्तरीय कमेटी गठन कर इस धारा को खत्म किया जाए यह धारा किसान हित में नहीं है।
2. वर्ष 1990 से जिन किसानों के पट्टे रुके अथवा कटे हुए हैं जो विभाग के मूल रिकॉर्ड में है वे सभी एक बार जीरो औसत पर बहाल किये जाए,पट्टे रुकने में किसान दोषी नहीं है फसल प्रकृति के मौसम पर निर्भर है।
3. भारत सरकार देश की आवश्यकता को पूरा करने के लिए कोडीन फास्फेट विदेशों से आयात कर रही हैं इसको बंद करके सरकार की आवश्यकता पूर्ति हेतु शिक्षित बेरोजगार किसानों को रोजगार देने हेतु 2 लाख नये पट्टे एक बार सीपीएस पद्धति में जारी किए जाएं।
4. अफीम फसल की लुवाई के बाद शेष रहने वाले डोडा चूरा को एनडीपीएस एक्ट से बाहर निकाल कर स्टेट सरकारों के आबकारी विभाग में शामिल किया जाए क्योंकि इसमें 0.0 2% ही नशा शेष रहता है जो किसी भी लेबोरेटरी में दर्शाया नहीं जाता है केवल नाम मात्र का नशा होता है,इसे खरीदने अथवा नष्ट कराने का काम भी स्टेट सरकारों के आबकारी विभाग के पास ही है।
5. अफीम नीति लुवाई चिराई की हर वर्ष की बजाय 5 वर्ष के लिए जारी हो ताकि हर वर्ष की समस्याओं एवं भ्रष्टाचार से किसान को बचाया जा सके।
6. पट्टा जारी करते समय केवल मॉर्फिन की बजाय मॉर्फिन अथवा औसत दोनों में से एक में गुणवत्ता पूरी पाई जाने पर पट्टा सुरक्षित जारी किया जाए केवल मॉर्फिन का नियम न्याय संगत नहीं है मॉर्फिन कैसे कम या ज्यादा बैठेगी इसका फार्मूला किसान और सरकार दोनों के पास नहीं है।
7. सीपीएस में जारी किए गए सभी पट्टे लुवाई चिराई की नीति में शामिल किये जाए, पुराने सभी रुके पट्टे लुवाई चिराई में ही जारी किए जाए क्योंकि किसान ने पूरी ईमानदारी से अफीम विभाग को सौंप है किसान निर्दोष है उसके साथ न्याय करें ।
8. अफीम का किसानों को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य विभाग द्वारा नहीं दिया जा रहा है किसान को 10 हजार रुपए प्रति किलो पर दिया जाए।
9. पिछले 3 वर्षों से लगातार किसानों से बेवजह भारी भरकम रिकवरी वसूल की जा रही है जबकि पट्टा सुरक्षित नियमो के अंतर्गत प्राप्त हो रहा है,इससे पूर्व हर वर्ष फैक्ट्री के निरीक्षण के बाद अतिरिक्त पैसा किसानों के खाते में आता था अब गड़बड़ क्यों हो रही है इसे ठीक किया जाए।
10. किसान की मृत्यु के बाद रुके पट्टे वारिशों के बहुमत के आधार पर जारी किए जाएं इसमें भी संतान नहीं होने पर गोद पुत्र को भी पट्टा जारी किया जाए।
11. पट्टा धारी बुजुर्ग किसान के जीवित रहते उसकी सहमति से वारिश को पट्टा स्थानांतरित करने का प्रावधान लागू किया जाए क्योंकि बुजुर्ग किसान को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।यदि लागू है तो सभी किसानों को स्पष्टता के साथ अवगत कराया जाए,किसान अनभिज्ञ है।
12. किसान को अपनी सुविधा अनुसार अन्य गांव में लीज की जमीन पर भी फसल बोने का अधिकार दिया जाए अभी तक स्वयं के गांव में ही जमीन लीज लेकर किसान पट्टे की बुवाई कर सकता है तो फिर यह नियम अन्य गांव के लिए भी लागू होना चाहिए।
13. लुवाई चिराई के समय प्रतिदिन का कच्चा टोल पूर्णतया बंद होना चाहिए क्योंकि लुवाई के समय प्रतिदिन अफीम तरल मात्रा में आती है जो बाद में काफी सुख कर कम हो जाती है।
14. अफीम का परीक्षण किसान के सामने तौल केंद्र पर हो इसे ही अंतिम परिणाम माना जावें।
15. वर्ष 1990 से 1997 तक के पट्टे ऑनलाइन नहीं है इनको ऑनलाइन करने का आदेश जारी किया जाए।
16. विभागीय अवहेलना के कारण वर्ष 1990 से जितने भी पट्टे रुके हुए हैं उन सभी पट्टो को विभाग व भारत सरकार उन अफीम किसानों के प्रति सहानुभूति रखते हुए इस वर्ष अफीम नीति में जारी करें क्योंकि ऐसे सभी किसानों ने नियमों के अनुसार पूरी औसत दे रखी है, किसान जब विभाग के सामने खुलकर अपनी बात करता है तो उसे प्रताड़ित करने की नियत से अधिकारी उसका पट्टा रोक देते हैं जबकि किसान निर्दोष होता है।
17. पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी समान आरी के क्षेत्रफल के पट्टे ही जारी किया जाए।
18. पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी दो प्लॉट में अफीम बोने का प्रावधान लागू रहे।
19. एनडीपीएस एक्ट में बरी हुए किसानों को पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी पट्टे जारी किये जाए व इसका स्थाई आदेश जारी हो।
20. पिछले वर्ष की तरह नई अफीम नीति इस वर्ष भी फसल बुवाई से पर्याप्त समय पहले जारी हो ताकि किसान को परेशान नहीं होना पड़े।
21. जिला अफीम अधिकारी कार्यालय स्तर पर अफीम किसानों का संवाद कार्यक्रम वर्ष में तीन या चार बार हो व इसमें लंबरदार (मुखिया) की बजाय किसानों को आमंत्रित किया जाए व किसान संगठनों को भी इसमें सम्मिलित किया जाए।
22. जिला अफीम अधिकारी कार्यालयों में सीसीटीवी की व्यवस्था नहीं है जबकि छोटे-मोटे कार्यालयों में भी यह व्यवस्था है अतः सभी जिला अफीम अधिकारी कार्यालयों में सीसीटीवी लगाया जाए व वहां आगंतुक रजिस्टर का मेंटेन विधिवत हो व जो भी किसान या अन्य व्यक्ति मिलना चाहता है उससे मिलने की व्यवस्था निर्बाद व पारदर्शिता से हो,इंद्राज लिखित में हो।
23. हर वर्ष किसान जो अफीम सरकार को देता है उसमें पट्टे हेतु न्यूनतम अफीम का मूल्य किसान को दे दिया जाए और अधिक दी हुई अफीम का पैसा नहीं देकर उसकी शेष अफीम विभाग के कागजों में प्लस करके सुरक्षित रखी जाए और अगले वर्ष प्राकृतिक कारणों से किसान के अफीम कम आने पर पट्टा नहीं काट कर पिछले वर्ष की शेष अधिक दी हुई अफीम में प्लस कर पट्टा सुरक्षित जारी किया जाए का नियम बने।