शिकारगा उदय एग्री फार्म बनेगा राजस्थान का सीता फल हब
संवाददाता बन्शीलाल धाकड़ राजपुरा
30 जून
प्रतापगढ़ मेरिया खेड़ी ग्राम पंचायत (पं.स. धर्मोतर ) में स्थित शिकारगा उदय एग्री फार्म आने वाले समय में राजस्थान का सबसे बड़ा सीताफल हब होगा। कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. रतन लाल सोलंकी ने कल दिनांक 29.06.2023 को शिकारगा उदय एग्री फार्म, मेरिया खेड़ी पर भ्रमण व सीताफल के बगीचों में लगे पौधो का अवलोकन किया एवं बगीचों में पौधों की बढ़वार हेतु उन्नत शस्य कियाये एवं जैविक खादो, वर्मी कम्पोस्ट, जैव उर्वरको का अधिक प्रयोग पौधो के थाले में ट्राइकोड्रमा वर्मी कम्पोस्ट खाद में मिलाकर प्रयोग करने तथा समय-समय पर पौधों में कीट नियंत्रण हेतु नीम के तेल का छिड़काव करने की सलाह दी। भ्रमण के दौरान केबिनेट मंत्री राजस्थान सरकार श्री उदय लाल आंजना, पूर्व प्रधान श्री मनोहर लाल आंजना, श्री चन्द्रेश आजना आदि मौजूद थे। श्री चन्द्रेश आजना प्रबंधक, शिकारगा उदय एग्री फार्म ने बताया कि पिछले दो साल में 50000 पौधे सीताफल एन.एम.के-1 (गोल्डन) 50 हेक्टर क्षेत्रफल में लग गये है तथा इस वर्ष 30000 पौधे लगभग 25 हेक्टर क्षेत्रफल में सीताफल के पौधे लगाने का कार्य प्रगति पर है। डॉ. रतन लाल सोलंकी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष ने बताया कि शिकारगा उदय एग्री फार्म की जमीन सीताफल के पौधे लगाने के लिए उपयुक्त है तथा फार्म पौधे लगने का कार्य, भूमि विकास, रोड, एनिकट आदि निर्माण कार्य प्रगति पर तथा सम्पूर्ण सीताफल के बगीचे में ड्रीप लगी है तथा कुछ सीताफल के पौधों में फल भी आने लगे है, आने वाले समय में यह फार्म राजस्थान का सबसे बड़ा सीताफल का हब होगा तथा यहां शीघ्र ही सीताफल की प्रोसेसिंग (मूल्य संर्वधन) इकाई की भी स्थापना होगी। डॉ. सोलंकी ने बताया कि सीताफल एक अत्यन्त पौष्टिक तथा स्वादिष्ट फल है, सीताफल में सूखा सहन करने की अधिक क्षमता होती है, सीताफल इतना गुणकारी है कि शायद ही शरीर का कोई हिस्सा ऐसा हो जिसे यह फायदा न पहुंचाता हो। सीताफल शरीर में रोग प्रतिरोधकता, विटामिन ए और एन्टी ऑक्सीडेन्टस से भरपुर, बी.पी. व मधुमेह नियंत्रण, पाचन को बेहतर, दिल को स्वस्थ, केंसर, एनीमिया से बचाव, प्रेगनेसी में सहायक, आंखो की रोशनी एवं गठिया आदि रोग से सुरक्षा प्रदान करता है। सीताफल के बीज के तेल से साबुन निर्माण, कीटनांशी व खाद के रूप में भी उपयोग होता है। डॉ. सोलंकी ने बताया कि सीताफल के फलों का प्रसंस्करण अर्थात सीताफल के गुदे (पल्प) से आईसकीम, ज्यूस, शरबत, बड़ी, श्रीखण्ड, मिल्क शेक फुटी, केक, सेण्डवीच, कलाकन्द, खीर व कई प्रकार की मिठाइयों में फ्लेवर व पोषक तत्वों के रूप में दैनिक जीवन में उपयोग में लाया जा सकता है। सीताफल के (पल्प) परीरक्षित को 250 माइकोन की प्लास्टिक की थैलियों में हवा बंद पैक कर भरी हुई थैलियो को माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फीज में एक वर्ष से अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।