डॉ. जादोन ने की है एक लाख लोगों की सफल सर्जरी, मरीजों की पूजा भाव से करते है चिकित्सा...
डॉ. जादोन ने की है एक लाख लोगों की सफल सर्जरी, मरीजों की पूजा भाव से करते है चिकित्सा... ईश्वर से मिलती है प्रेरणा, रोज मरीजों के आशीर्वाद से मिलती है नई ऊर्जा - डॉ. जादोन

डॉ. जादोन ने की है एक लाख लोगों की सफल सर्जरी, मरीजों की पूजा भाव से करते है चिकित्सा...
ईश्वर से मिलती है प्रेरणा, रोज मरीजों के आशीर्वाद से मिलती है नई ऊर्जा - डॉ. जादोन
रिपोर्टर - बन्शीलाल धाकड़ राजपुरा
बड़ीसादड़ी। उपखंड क्षेत्र के बोहेड़ा गांव के भाणेज डॉ. शैलेन्द्र सिंह जादोन ने चिकित्सा के क्षेत्र में बोहेड़ा को बड़ी पहचान दिलाई है। डॉ. शैलेन्द्र सिंह जादोन ने चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी मेहनत, लगन व हुनर से अप्रतिम सफलता पायी है। चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. शैलेन्द्र सिंह जादोन ने बड़ा नाम कमाया है। उदयपुर में अपना पुरुषार्थ करते हुए साठ वर्षीय शिशु रोग विशेषज्ञ व सर्जन डॉ. शैलेन्द्र सिंह जादोन चिकित्सकीय जीवन में अब तक एक लाख से अधिक मेजर व माइनर सर्जरी कर चुके हैं। हजारों मरीजों के सफल इलाज से इनकी पहचान देश के नामी चिकित्सकों में होने लगी है। बच्चों के सर्जन होने के साथ ही डॉ. शैलेन्द्र सिंह जादोन सभी उम्र के लोगों की सर्जरी के भी विशेषज्ञ माने जाते है। कई गम्भीर बीमारियां ऐसी होती है। जिनका बिना ऑपरेशन के इलाज संभव नहीं होता है। ऐसे बीमार का अगर ऑपरेशन समय पर नहीं हो सकें तो पीड़ित व्यक्ति के प्राण भीसंकट में पड़ जाते है। सर्जरी के बिना उसका जिंदा रहना असंभव हो जाता है। ऐसे में सफल सर्जरी उसको जीवन दान प्रदान करती है। आधुनिक चिकित्सा में निरंतर शोध से बेहतर तकनीक विकसित होती जा रही है। दुनिया में सर्जरी के क्षेत्र में भी अप्रतिम तकनीक विकसित हुई है। सर्जरी की इन तकनीकों का उपयोग कर असंभव लगने वाली बीमारियों से मुक्त हो कर बीमार व्यक्ति स्वस्थ जीवन यापन कर रहे हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में सर्जरी करोड़ों लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। प्रायः यह देखा जाता है कि कई बीमारियां ऐसी होती है जो अन्य चिकित्सा पद्धतियों से भी ठीक हो जाती है। लेकिन सर्जरी मुख्यतः एलोपैथिक चिकित्सा में ही होती है। एलोपैथी चिकित्सा पद्धति के अंतर्गत बीमारों की सर्जरी कर समाज को आरोग्यता प्रदान करने में डॉ. शैलेन्द्र सिंह जैसे सिद्धहस्त चिकित्सक का बरसों से अहम योगदान मिल रहा है।
निराले व्यक्तित्व से मरीजों व उनके परिजनों से मिलता है भरपूर प्रेम व स्नेह
प्रेम के चलते बीमार के परिजन किसान लोग अपने घर की सब्जियां भी भेंट करते देखे गये। डॉ. शैलेंद्र सिंह मरीजों का मन रखने के लिए उनके द्वारा दी गई भेंट को स्वीकार कर प्रतीकात्मक रूप से रख कर शेष जरूरतमंदों तक पहुंचा देते है। डॉ. शैलेन्द्र सिंह जादोन का मानना है कि भगवान कृष्ण ने भी प्रेम के चलते सुदामा को दो मुठ्ठी चावल भेंट किये थे। ठीक उसी तरह से प्रेम से जब कोई किसान परिजन आत्मीयता से इस प्रकार से छोटा सा उपहार देते हैं तो उसे स्वीकार करना उस मरीज व परिवारजन का सम्मान है।
पेश की मानवता की मिसाल
शिक्षकों के लिए कहा जाता है कि मेरे भगवान बालकों में है और एक चिकित्सक के लिए कहा जाता है मेरे भगवान बीमारों में है। डॉ. शैलेन्द्र सिंह अपने जीवन में एक चिकित्सक के कर्तव्यों पर पूरी तरह से खरे उतरते दिखते हैं। इनके व्यक्तित्व व आचरण को देख कर लगता है कि डॉ. शैलेन्द्र सिंह में मानवीयता कूट-कूट कर भरी हुई है। हमेशा ही डॉ. शैलेन्द्र सिंह को बीमारों की पूजा भाव से उपचार करते देखा जा सकता है। डॉ. शैलेन्द्र सिंह के पिता का निधन दस वर्ष पूर्व हो गया था। सामाजिक कारण व पुत्र के नाते उठावना से पहले पुत्र को अपने घर पर ही रहना होता है, लेकिन अचानक हॉस्पिटल से फोन आता है कि मरीज की गम्भीर स्थिति है और ऑपरेशन अत्यंत आवश्यक है। ऐसे में चिकित्सक शैलेन्द्र सिंह परिवार की रस्मों को बीच में ही छोड़ कर मानवता की राह पर रात को ही चल पड़ते है। हॉस्पिटल पहुंच कर तत्काल बीमार की सफल सर्जरी कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते है। पैसों को प्राथमिकता न देकर बीमार को ठीक करना इनकी सर्वोच्च प्राथमिकता रहती है। इसी कारण से डॉ. शैलेन्द्र सिंह को बीमार व परिजन से भरपूर स्नेह व सम्मान मिलता है। डॉ. शैलेन्द्र सिंह एक सर्जन होते हुए भी सर्जरी को कभी प्राथमिकता नहीं देते हैं। जब बीमार को ठीक करने के लिए अन्य सभी विकल्प बंद हो जाते है। तब ही सर्जरी का सुझाव देते हैं। डॉ. शैलेन्द्र सिंह का मानना है कि हम जिस क्षेत्र में हैं, उस क्षेत्र में देश एवं मानवता के लिए कार्य करते रहना चाहिए। लगता है डॉ. शैलेन्द्र सिंह जादोन चिकित्सीयकीय जीवन में अपने कर्तव्यों को बखूबी निभाने के साथ-साथ मानवीय मूल्यों पर भी खरा उतरने की जी तोड़ से कोशिश कर रहे हैं। जो समाज के लिए भी प्रेरणादायी है।
बीमारों की कहानी उनकी जुबानी
मेरे पेट की सर्जरी डॉ. शैलेन्द्र सिंह जी ने की। मैं इनके सफल इलाज व सादगी से परिपूर्ण व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हूं। चुन्नीलाल रेगर उपनिरीक्षक यातायात विभाग, उदयपुर
मेरी मां की बड़ी सर्जरी डॉ. शैलेन्द्र सिंह जी ने की। अब मां एकदम स्वस्थ है। मां का जीवन बचा लेने के लिए डॉ. साहब का लाख - लाख शुक्रिया। लालसिंह जाट जालमपुरा चित्तौड़गढ़
मेरी तीस वर्षीय पुत्री हेमलता के पेट की बहुत बड़ी सर्जरी डॉक्टर शैलेंद्र सिंह जी सर ने की थी। मैं इनको भगवान की तरह मानती हूँ। डॉक्टर साहब ने सफल ऑपरेशन कर मेरी बेटी को नया जीवन प्रदान किया है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि डॉक्टर साहब की उम्र खूब लंबी हो, जिससे और भी ऐसे गंभीर बीमारी से पीड़ित बीमारों को जीवनदान मिल सकें। कहते हैं डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं। साक्षात रुप से मुझे शैलेंद्र सिंह जी में भगवान के दर्शन होते हैं।
विद्या देवी, कांकरोली
पांच वर्ष पहले मेरे घर विकृत बच्ची का जन्म हुआ। जीने की कोई संभावना नहीं थी। अलग अलग चरणों में अब तक पांच सफल सर्जरी की जा चुकी है। अब बच्ची स्वस्थ जीवन जीने लायक हो चुकी है। असंभव से कार्य को कर के डॉ. शैलेन्द्र सिंह जी ने हमारे परिवार पर बहुत बड़ा उपकार किया है। इनका यह उपकार हम कभी नहीं भूलेंगे।
पुष्पा मेहता, विमल मेहता, (माता -पिता), उदयपुर
डूंगला उपखंड के सेमलिया निवासी रामलाल डांगी पेट की सर्जरी के बाद छुट्टी होते समय इलाज से बहुत खुश नजर आ रहे थे। रामलाल डांगी डॉ. शैलेन्द्र सिंह के चरण छू कर आभार जताने लगे। इस पर डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने तत्काल रामलाल डांगी को उठाते हुए गले लगा दिया। डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि मैं तो अपना फर्ज निभाने का पूरा प्रयास कर रहा हूँ। चरण तो हमेशा माता - पिता व भगवान के छूने चाहिए। रोज बड़ी संख्या में आने वाले सभी रोगियों के साथ डॉ. शैलेन्द्र सिंह का मधुर व्यवहार व उपचार पारदर्शितापूर्ण रहता है। इसी वजह से बीमार स्वस्थ हो कर घर जाते समय इनके प्रति प्रेम जताना कभी नहीं भूलते। कई बीमारों को इनके चरण छूते देखा गया है। डॉ. शैलेन्द्र सिंह के साथ इतनी बड़ी संख्या में ऑपरेशन करने में उनकी टीम में एनेस्थेटिस्ट व इंटेसिविस्ट डॉ. स्निग्धा चौधरी, सिस्टर लेनी, संजय प्रजापत, विनोद राठौड़ व पूरण लोट का भी बरसों से भरपूर सहयोग मिल रहा हैं।
ईश्वर से मिलती है प्रेरणा, रोज मरीजों के आशीर्वाद से मिलती है नई ऊर्जा - डॉ.शैलेन्द्र सिंह जादोन
डॉ. शैलेन्द्र सिंह गरीब एवं असहाय बीमारों के साथ सहानुभूति पूर्वक इलाज में मदद भी करते रहते हैं। डॉ. शैलेन्द्र सिंह सदैव ही सादगी के साथ रहना पसंद करते हैं। सादगी का एक उदाहरण यह है कि साठ वर्ष की आयु में भी डॉ. शैलेन्द्र सिंह 38 वर्ष पहले पिता द्वारा दिलाई गई किक से स्टार्ट होने वाली बाइक से आनंद पूर्वक अपनी ड्यूटी पर पहुंँचते है। डॉ. शैलेंद्र सिंह की कार्य शैली एवं व्यक्तित्व इतना सरल है कि बीमार इनसे मिलने के बाद प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। उत्कृष्ट कार्य करने पर डॉ. शैलेन्द्र सिंह जादोन को कई मंचों से सम्मानित भी किया जा चुका है। डॉ. शैलेन्द्र सिंह जिस विनम्र भाव से बरसों से बड़ी संख्या में बीमारों का पूरी निष्ठा व जुनून से उपचार कर रहे है। वह काबिले तारीफ है। समाज में डॉ. शैलेन्द्र सिंह जैसे जांबाज व होनहार चिकित्सक है, तब तक दीन दुखियों व बीमारों को निराश होने की जरूरत नहीं हैं। डॉ. शैलेन्द्र सिंह जैसे निष्ठावान चिकित्सक का आधुनिक चिकित्सा जगत में मिल रहा योगदान बेहद ही अनुकरणीय व प्रशंसनीय हैं।