धनेतकला गांव में नवाचार देखने को मिला बरसी के आयोजन को लेकर भट्ट परिवार की तरफ से जो काफी जागरुकता का संदेश लाएगा

धनेत कला निवासी श्री दिनेश भट्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि उनकी माता जी का बरसी का आयोजन को लेकर इस प्रकार का नवाचार किया गया है तथा उनकी माताजी काफी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी तथा उनकी हमेशा से इच्छा थी कोई भी गर्म आयोजन हो हमेशा अपने धर्म के लिए जितना बन पड सके हमें कर्म करना चाहिए

धनेतकला गांव में नवाचार देखने को मिला बरसी के आयोजन को लेकर भट्ट परिवार की तरफ से जो काफी जागरुकता का संदेश लाएगा 

धनेत कला निवासी श्री दिनेश भट्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि उनकी माता जी का बरसी का आयोजन को लेकर इस प्रकार का नवाचार किया गया है तथा उनकी माताजी काफी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी तथा उनकी हमेशा से इच्छा थी कोई भी गर्म आयोजन हो हमेशा अपने धर्म के लिए जितना बन पड सके हमें कर्म करना चाहिए 

आगे जानकारी देते हुए भट्ट ने बताया कि जिस प्रकार पुराने जमाने में पेड़ों के पत्तों से पत्तल दोने बनते थे तथा उन पर किया वह वजन काफी स्वादिष्ट लगता था तथा वह गुणकारी भी होता था लेकिन आजकल जो हम प्लास्टिक के और थर्माकोल के पत्तल दोने यूज करने लगे हैं वह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा नहीं है और हमारी जो वर्तमान पीढ़ी है वह तो इन पेड़ों के पत्तों की पातल धोने के बारे में तो जानती भी नहीं है उन्हें भी पता लगेगा कि किस प्रकार हमारे बाप दादा कुछ वर्षों पहले ही इतनी अच्छी सभ्यता में जी रहे थे तथा जो हम देखते हैं आजकल ऐसा आयोजनों में अधिकतर स्टील के बर्तन और कंबल आदि वितरित किए जाते हैं उनकी जगह यदि हम कोई धार्मिक ग्रंथ और साथ में तुलसी का पौधा देवे तो यह हमारे हिंदू धर्म के लिए काफी हद तक कारगर साबित होगा जो आने वाली पीढ़ी के लिए एक वरदान साबित हो सकता है और उन्हें जागरूकता मिलेगी तथा अपने धर्म के प्रति आस्था और निष्ठा बढ़ेगी