खुदरा उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षण आयोजित

बड़ी सादड़ी कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ द्वारा आयोजित 15 दिवसीय खुदरा उर्वरक विक्रेता पाठ्यक्रम प्रशिक्षण के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि माननीय डॉ. आर.ए. कौशिक, निर्देशक, प्रसार शिक्षा निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने अपने उद्बोधन में प्रशिक्षणार्थियों से आव्हान किया

खुदरा उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षण आयोजित

खुदरा उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षण आयोजित

राम सिंह मीणा रघुनाथपुरा 

24मई, 2023

बड़ी सादड़ी कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ द्वारा आयोजित 15 दिवसीय खुदरा उर्वरक विक्रेता पाठ्यक्रम प्रशिक्षण के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि माननीय डॉ. आर.ए. कौशिक, निर्देशक, प्रसार शिक्षा निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने अपने उद्बोधन में प्रशिक्षणार्थियों से आव्हान किया

कि वे सच्ची लग्न व निष्ठा से अपने व्यवसाय के साथ किसानों को सही समय पर सही सुझाव देकर आत्यक्ष रूप से उनके लिए बदलाव अभिकर्ता के रूप में सहायता करें। अपने उद्बोधन में डॉ. कौशिक ने यह भी कहा कि इस प्रशिक्षण को प्राप्त करने के उपरान्त सभी उर्वरक विक्रेताओं को किसानों से सीधा सम्पर्क स्थापित कर विभिन्न प्रकार की नवीनतम एवं आधुनिक कृषि तकनीकियों को अपनाने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए और उनकी आमदनी को बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। इस अवसर पर अपने उद्बोधन में डॉ. कौशिक ने सभी प्रतिभागियों से आह्वान किया कि ज्ञान को सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। अतः प्रतिभागियों को कृषि सम्बन्धित नवीनतम साहित्य एवं विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के सम्पर्क में रहना चाहिए ताकि कृषि में हो रहे नवाचारों द्वारा आप लोग किसानों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित कर सकते है। डॉ . कौशिक ने सी.बी.आई.एम.डब्ल्यू कान्लेन्ट पर बात करते हुये कस्टमाइज उर्वरक, सन्तुलित उर्वरक एवं समन्वित उर्वरक प्रबन्धन को विभिन्न बिन्दुओं पर प्रकाश डाला और नैनो फर्टिलाईजर एवं जल में घुलनशील उर्वरकों के महत्व पर भी चर्चा की। श्री दिनेश जागा, संयुक्त निदेशक, 'चित्तौडगढ़ ने प्रशिक्षणार्थियों को उर्वरक एवं बीज विकय करते समय रखी जानी वाली सावधानिया, लाईसेंस प्रक्रिया स्टॉक निर्धारण करने एवं कृषि विभाग की योजनाओं की जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. पी.सी. चपलोट प्रोफेसर, प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर ने प्रशिक्षणार्थियों को उर्वरक उपयोग दक्षता बढ़ाने के उपाय सुझाऐ तथा टिकाऊ खेती समन्वित कृषि पद्धति की फसल विविधीकरण आदि विषयों पर जानकारी देकर उनका ज्ञानवर्धन किया। प्रशिक्षण समन्वयक व वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. रतन लाल सोलकी ने बताया कि उर्वरकों के सन्तुलित उपयोग एवं मृदा परीक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोषक तत्व प्रबन्धन, समन्वित पोषक तत्व के लाभ, जैविक खेती और उसके लाभ, कार्बनिक खेती आदि के बारे में भी बताया की। साथ ही प्रशिक्षण के दौरान खाद उर्वरक विक्रेताओं को मृदा में संतुलित उर्वरको की मात्रा का प्रयोग, उर्वरक व मिटटी का नमूना जांच हेतु लेने का तरीका, भूमि सुधार, असली व नकली उर्वरकों की पहचान, मृदा स्वास्थ्य कार्ड का महत्व, उर्वरको की गणना व जैविक खाद बनाने के आदि विषयो पर तकनीकी जानकारी प्रदान की गई। प्रशिक्षण में जिले की विभिन्न पंचायत समितियों से 34 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया जिन्हें उर्वरक सर्टिफिकेट कोर्स सम्बन्धी सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक जानकारियां विश्वविद्यालय के विभिन्न कृषि वैज्ञानिकों एवं राज्य सरकार के कृषि अधिकारियों द्वारा प्रदान की गई। शिक्षण pyashik के समापन समारोह में खुदरा उर्वरक विक्रेता पाठ्यक्रम प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सभी प्रशिक्षणार्थियों को अतिथि द्वारा प्रमाण-पत्र एवं प्रशिक्षण सम्बन्धी साहित्य, खुदरा उर्वरक विक्रेता पुस्तिका प्रदान की गयी। प्रशिक्षण के दौरान डॉ. शंकर लाल जाट, श्री. राजाराम सुखवाल, श्री ओ.पी. शर्मा, डॉ. एल. के. छाता, डॉ. के.पी. सिंह, डॉ. योगेश कन्नौजिया, डॉ. कुलदीप सिंह, डॉ. प्रकाश चन्द्र खटीक, श्री ज्योति प्रकाश सिरोया, श्री गोपाल धाकड़ , श्री मुकेश धाकड, श्री विक्रम सिंह, प्रशान्त जाटोलिया, डॉ मुकेश मीणा एवं नाबार्ड के महेन्द्र दूडी आदि ने अपनी तकनीकी वार्ता दी। प्रशिक्षण सह समन्वयक श्रीमती दीपा इन्दौरिया ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए इस प्रशिक्षण का लाभ किसानों तक पहुंचाने की अपील की साथ ही प्रशिक्षण के समापन समारोह में पधारे अतिथियों एवं प्रशिक्षणार्थियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।