देश के 22 करोड़ ड्राइवर पिछले 10 सालो से संघर्षरत, सरकारे नहीं दे रही ध्यान: जिलाध्यक्ष बंजारा।

संवाददाता मुकेश कुमार जोशी चित्तौड़गढ़ 

 चित्तौडग़ढ़।भारत के सभी ड्राइवर से संबंधित संस्थाओं एवं संगठनों से मिलकर एक मीटिंग का आयोजन किया गया था और मिलकर भारत के 22 करोड़ ड्राइवर के हक और मौलिक अधिकारों के लिए मांग पत्र को तैयार किया गया था। सर्व सम्मति से ऑल ड्राइवर कल्याण संघ के माध्यम से मेरे एवं भारत के अन्य राज्यों के पद अधिकारियों के द्वारा केंद्र सरकार एवं 28 राज्यों एवं आठ केंद्र शासित राज्यों राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश को और भारत के सभी उच्च कार्यालय में पत्र द्वारा एवं उनके कार्यालय को सौंपा जा चुका है। इसकी छायाप्रति स्लंगन करते हैं। सरकार का गलत रवैया, सौतेला व्यवहार और उदासीनता के कारण भारत के 22 करोड़ ड्राइवर आहत है‌, पीड़ित है। भारत के संविधान का उल्लंघन एवं भारत की सर्वोच्च न्याय प्रणाली को ईमानदारी से सुचारू रूप से नहीं चलाने के कारण। भारतीय ड्राइवर समाज के हृदय को छलनी कर रही है। दर्द और पीड़ा असहनीय है। इसीलिए ऑल ड्राइवर कल्याण संघ जनकल्याण के लिए इनकी अभिव्यक्ति की आजादी के लिए और ड्राइवर के मौलिक अधिकारों मानवाधिकारों के लिए लगातार पिछले 10 सालों से संघर्ष कर रहा है। भारत सरकार राज्य सरकार के द्वारा भारतीय ड्राइवर के लिए नीतियां नहीं बनाना। संविधान की मर्यादाओं का पालन नहीं करना एवं कानून का संरक्षण दे कर सुरक्षा मुहैया नहीं करवाना। प्रतिदिन भारत की सड़कों पर सड़क हादसों में अंग भंग या शहीद होते ड्राइवरों को भारत सरकार और राज्य सरकार की ओर से कोई सुविधा ना मिलना। ना ही कोई उचित मेडिकल सुविधा मुआवजा और सम्मान ना मिलना। देश समाज एवं अंतर्राष्ट्रीय समाज को शर्मसार कर रहा है। देश के 22 करोड़ ड्राइवर का वर्तमान और भविष्य घोर अंधकार में है। 

 मानवाधिकारों के हनन की प्रकाष्ठा पार हो गई है। 77 सालों से जिस उम्मीद और भरोसे में 22 करोड़ ड्राइवर देश को सेवाएं दे रहे हैं। उनके विश्वास और भरोसे पर कठोर घात किया गया है। संघ द्वारा मानवाधिकार आयोग को 2019 में मांग पत्र द्वारा शिकायत की गई थी। उस पत्र के अवलोक में। मानवाधिकार आयोग ने 27 जून 2022 को केंद्रीय सचिव एवं राज्य सरकारों और केंद्र शासित राज्यों को एक एडवाइजरी जारी की है। उसको भी केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने गंभीरता से नहीं लिया हैं। ड्राइवर समाज की अंतर आत्मा को छलनी किया है। विवश और लाचार होकर अपने हक अधिकारों के लिए ऑल ड्राइवर कल्याण संघ भारतीय संविधान के संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारियों के तहत इस 1 दिसंबर को संपूर्ण भारत के राष्ट्रीय एवं राज्य मार्गों को अनिश्चितकाल के लिए बंन्द का अहवान करता है। इमरजेंन्सी सेवाएं एम्बुलेंस फायर ब्रिगेड भारतीय सैनिकों एवं पुलिस की गाड़ियों, स्कूल गाड़ियों, को संघ द्वारा छूट रहेगी। हलांकी लोकतंत्र में इनके ड्राइवर को भी अधिकार है। अगर यह अपनी स्वेक्षा से स्टेरिंग छोड़ो अभियान का हिस्सा बनते हैं शामिल होना चाहते हैं, तो हो सकते हैं। ऑल ड्राइवर कल्याण संघ इनका स्वागत करता है। इसका कारण और जवाबदेही भी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार की होगी। ना की इन गाड़ियों के ड्राइवर की। ट्रांसपोर्टिंग सिस्टम की सभी सेवाएं ठप रहेगी। भारतीय ड्राइवर को यह मालूम है। इससे देश और समाज को कितनी क्षति होगी। ड्राइवर भी एक इंसान है जो की अपनी भारत मां से और भारत के नागरिकों से, भारत के संविधान से बहुत प्यार करता है। भारत के ड्राइवर नहीं चाहते हड़ताल हो। ड्राइवर लाचार और मजबूर है‌। उनका भी दिल है उनके भी दर्द है तकलीफें हैं। उनका मौलिक अधिकार है। 

    ड्राइवर का अधिकार प्रमुख मांगे ड्राइवर आयोग और राष्ट्रीय ड्राइवर सम्मान दिवस समेत 29 सूत्रीय मांगे भारत सरकार पार्लियामेंट में भारतीय ड्राइवर कानून बनाकर देश में लागू करें। जिस देश का राजा अपनी प्रजा को उसकी साहूलते उनके मौलिक अधिकार नहीं दे सकता। वह देश कभी भी विकास और प्रगति के पथ पर नहीं चल सकता। दुखी हृदय से भारत सरकार और राज्य सरकारो़ं से तंग आ कर, भारतीय भ्रष्ट सिस्टम से तंग आ कर भारतीय 22 करोड़ ड्राइवर स्टेरिंग छोड़ो अभियान का आह्वान करते हैं। इसकी सारी जिम्मेदारी भारत सरकार राज्य सरकारों और लॉ इन ऑर्डर और प्रशासन की होगी। यह अभियान शांति प्रिय संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करते हुए किया जाएगा। ऑल ड्राइवर कल्याण संघ के अलावा कोई भी यूनियन कोई भी संगठन सामाजिक एन जी ओ सामाजिक धार्मिक संस्थाएं समर्थन में आकर अभियान का अभिन्न हिस्सा बन सकती है। साथ,आ कर सपोर्ट और समर्थन कर सकती है, संघ भारत के सभी वर्गों के महा अनुभावों का हार्दिक स्वागत करता है। साथ ही साथ उनके साथ और समर्थन के लिए भी धन्यवाद प्रकट करता है। अपनी साझेदारी और भागीदारी निभा सकता है। अगर कोई विद्रोह उपद्रव करें या सरकारी या गैर सरकारी संम्पत्ति को नुकसान पहुंचाए। जो कानून व्यवस्था को बिगाड़ने का माहौल बनाए उसकी जिम्मेदारी ऑल ड्राइवर कल्याण संघ एवं भारत के किसी भी संघ परिवार की नहीं होगी। संघ हिंसा और क्राइम नहीं चाहता। पर फिर भी अगर सरकार और प्रशासन उसे हिंसा और क्राइम का रूप दे दे तो संघ इनका जिम्मेदार और कसूरवार नहीं है। संविधान और कानून अपना काम करें। न्यायोचित कार्यवाही करें। संघ उसका सम्मान करेंगा।