MTNL पर 8,585 करोड़ रुपये का लोन डिफॉल्ट, सात सरकारी बैंकों को नहीं चुकाया कर्ज

MTNL पर 8,585 करोड़ रुपये का लोन डिफॉल्ट, सात सरकारी बैंकों को नहीं चुकाया कर्ज
नई दिल्ली | बिजनेस डेस्क
सरकारी स्वामित्व वाली दूरसंचार कंपनी महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) गहरे वित्तीय संकट में फंसती नजर आ रही है। कंपनी ने सोमवार को स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में खुलासा किया है कि वह सात सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) से लिए गए कुल 8,585 करोड़ रुपये के ऋण को चुकाने में विफल रही है।
यह चूक कंपनी की आर्थिक स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है, और सरकार की स्वामित्व वाली दूरसंचार इकाइयों की सेहत पर फिर से सवाल खड़े कर रही है।
किन बैंकों से लिया गया था कर्ज?
हालांकि MTNL ने बैंकों के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार इन सात बैंकों में कुछ प्रमुख राष्ट्रीयकृत बैंक शामिल हैं। यह ऋण लंबी अवधि के कॉर्पोरेट लोन के तहत लिया गया था, जिसका भुगतान MTNL को समयबद्ध तरीके से करना था।
स्टॉक एक्सचेंज को क्या बताया गया?
MTNL ने अपने फाइलिंग में स्पष्ट रूप से कहा है कि कंपनी अपनी कमजोर वित्तीय स्थिति के कारण ऋण भुगतान करने में असमर्थ रही। कंपनी ने आगे कहा है कि वह इस मुद्दे पर सरकार और बैंकों के साथ समन्वय स्थापित कर रही है ताकि समाधान निकाला जा सके।
वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि
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MTNL कई वर्षों से लगातार घाटे में चल रही है।
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कंपनी पर पहले से ही हजारों करोड़ रुपये का कुल कर्ज है।
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राजस्व में गिरावट और उपभोक्ता आधार में कमी के कारण कंपनी की आय में लगातार गिरावट आई है।
क्या है आगे की राह?
सरकार पहले ही MTNL और BSNL के विलय की योजना पर विचार कर चुकी है। साथ ही, 2019 और 2022 में केंद्र सरकार ने MTNL को उबारने के लिए पुनरुद्धार पैकेज भी घोषित किए थे, लेकिन स्थिति में खास सुधार नहीं आया।
इस डिफॉल्ट के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या सरकार MTNL को और मदद देगी या इसके लिए वैकल्पिक समाधान तलाशे जाएंगे, जैसे परिसंपत्तियों की बिक्री, निजीकरण या पुनर्गठन।
निष्कर्ष
MTNL का यह डिफॉल्ट ना केवल एक कंपनी की वित्तीय विफलता है, बल्कि यह सरकार द्वारा नियंत्रित कंपनियों की वित्तीय पारदर्शिता, कार्यक्षमता और रणनीतिक दिशा पर भी गहरा प्रश्नचिह्न लगाता है।