राधाकृष्णन संघ की मांग पर अधिशेष शिक्षकों की सूचना मांगी गई है-इस हेतु आभार -

संवादाता बन्शीलाल धाकड़ राजपुरा
18 अगस्त
चित्तौड़गढ़। परंतु अधिशेष किसे माने व शिक्षकों के समायोजन हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नही होने से असमंजस की स्थिति समाप्त की जाए-विजय सोनी गत दिनों राजस्थान शिक्षक संघ राधाकृष्णन व राधाकृष्णन शिक्षिका सेना ने राज्य के शिक्षा मंत्री महोदय व शिक्षा निदेशक महोदय को ज्ञापन प्रेषित कर अंग्रेजी माध्यम विद्यालय व गत वर्षो में क्रमोन्नत किए गए विद्यालयों में कार्यरत वह शिक्षक जिनका वेतन अन्य स्थान से आहरित हो रहा है व कई वह शिक्षक जो मूल विद्यालय से कार्य मुक्त कर मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय या मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा अन्य विद्यालयों में शिक्षण व्यवस्थार्त कार्य कर रहे हैं उनका स्थाई पद पर समायोजन के लिए मांग की गई थी।इस पर कार्यवाही करते हुए माननीय शिक्षा मंत्री जी के निर्देश पर इन शिक्षकों के स्थायी पद पर समायोजन की प्रक्रिया प्रारंभ करते हुए अधिशेष शिक्षकों की सूचना समस्त राज्य से अविलम्ब मांगी गई है। इस संदर्भ में राधाकृष्णन संघ का मानना है कि सम्पूर्ण राज्य में एक जैसे प्रकरण में एक जैसी कार्यवाही हो इसके लिए स्थायी पद पर समायोजन हेतु निदेशालय से स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी होना आवश्यक है।इस हेतु राधाकृष्णन संघ इस ओर ध्यान आकृष्ठ करना चाहता है कि *गत सरकार के कार्यकाल में जो विद्यालय उप्रावि स्तर से उमावि में सीधे ही क्रमोन्नत की गई थी है,उस उप्रावि में द्वितीय श्रेणी का प्रधानाध्यापक कार्यरत था,जो अब अधिशेष की स्थिति में है,परन्तु वह पूर्व प्रधानाध्यापक अभी भी उसी विद्यालय में कार्यरत है ओर उसी विद्यालय में उस अधिशेष प्रधानाध्यापक के विषय का वरिष्ठ अध्यापक (सैकण्ड ग्रेड) का पद स्वीकृत तथा रिक्त हैं। ऐसे अधिशेष द्वितीय श्रेणी वरिष्ठ अध्यापक का वहीं समायोजन कर दिया जाना चाहिए। इस बाबत विद्यालय कर्मोन्नती आदेशों में भी यह स्पष्ट निर्देश दिया हुआ था।* *--दूसरा प्रकरण यह है कि जो विद्यालय, उप्रावि से उमावि में क्रमोन्नत हो गई है, वहां के अध्यापक लेवल वन तथा लेवल टू (तृतीय श्रेणी) अधिशेष है तथा वहीं उसी विद्यालय में कार्यरत है,उसी विद्यालय में उनके विषय एवं स्तर का अध्यापक (तृतीय श्रेणी) का पद स्वीकृत तथा रिक्त हैं। ऐसे अधिशेष शिक्षक का वहीं उसी विद्यालय में समायोजन कर दिया जाना चाहिए। विद्यालय क्रमोन्नति आदेशों में यह भी स्पष्ट निर्देश दिया हुआ था।* *--तृतीय प्रकरण यह है कि अनेक सामान्य विद्यालय जो महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में परिवर्तित हुई थी वहां के हिंदी माध्यम के शिक्षक अधिशेष हैं तथा अब अनेक स्कूल पुनः हिंदी माध्यम में परिवर्तित कर दी गई है,इन विद्यालयों में पूर्व में हिंदी माध्यम से पढ़ाने वाले कार्यरत शिक्षकों को वहीं हिंदी माध्यम पढ़ाने के लिए समायोजित कर दिया जाना चाहिए।* *--गत सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2020-21 में अनेक विद्यालयों को क्रमोन्नत कर उमावि स्तर पर कर दिया गया था।इन विद्यालयों में अभी तक पद स्वीकृत नहीं हुए हैं या जिनमे पद स्वीकृत हुए भी है तो उमावि स्तर के विद्यालय होने के बावजूद भी एक भी वरिष्ठ अध्यापक या व्याख्याता का पद स्वीकृत नही हुआ है(उदाहरण संलग्न है),निदेशालय द्वारा ऐसे विद्यालयों में पहले पद स्वीकृति जारी करते हुए वहां पद सृजन कर उस विद्यालय में पूर्व में कार्यरत अध्यापक व वरिष्ठ अध्यापक को वहीं समायोजित कर देना चाहिए।* *--इस प्रकार से विद्यालयों में पद सृजन व समायोजन के पश्चात फिर जो शिक्षक समायोजित ना हो पाए,उन शिक्षकों को अधिशेष मानते हुए उनकी सूचना मांग कर उनके लिए पहले उसी पीईईओ/यूसीईओ क्षेत्र फिर पंचायत समिति/ब्लॉक में समायोजन के काउंसलिंग के माध्यम से प्रक्रिया अपनाई जाए।* राधाकृष्णन संघ का सुझाव व मांग है कि उपरोक्त अनुसार दिशा निर्देश जारी करवाए जाने से अधिशेष शिक्षकों की स्थिति समाप्त होते हुए शिक्षकों का न्यायसंगत व एकरूपता के साथ रिक्त पदों पर समायोजन हो पायेगा। चित्तौड़गढ़ जिला महामंत्री कान सिंह सुवावा ने बताया कि उक्त मांग प्रदेशाध्यक्ष विजय सोनी ,प्रदेश संयोजिका राधाकृष्णन शिक्षिका सेना सुनीता भाटी , प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रमोद गौड़, प्रदेश संगठन मंत्री लाल सिंह अमराणा ,जिला अध्यक्ष दुर्गा प्रसाद गौड़ , जिला महामंत्री कान सिंह सुवावा , प्रदेश प्रतिनिधि अनिल शर्मा सहित कई शिक्षक उपस्थित रहे।