भगवान को पहचानने के लिए सबसे पहले हमारे कान और आँख का स्वस्थ होना जरूरी है- स्वामी जी

संवादाता बन्शीलाल धाकड़ राजपुरा
7 अक्टूबर
बड़ीसादड़ी, रावण ओर कंस ने भी भगवान को साक्षात देखा लेकिन वे उनकी महिमा पहचान नहीं सके।इसी प्रकार हम जब तक भगवन्नाम की महिमा कान से सुनकर नहीं जानते है तब तक उनके प्रति समर्पित भाव से नहीं जुड़ते है। श्री त्यागिराम जी जैसे दिव्य संतो की तपोभूमि की महिमा का बखान करते हुए बताया कि श्रीमद्भागवत कोई सामान्य पुस्तक नहीं है यह भगवान श्रीकृष्ण का वाणी स्वरूप है जिसे सुनकर हर किसी का कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। उक्त उद्गार श्रीमद्भागवत कथा कार्यक्रम के दौरान श्रीरामद्वारा दिव्य आनंदधाम में कथा वाचक स्वामी रामनिवास जी शास्त्री ने शुक्रवार को श्रीमद्भागवत कथा का महत्व बताते हुए उपस्थित श्रोताओं के सामने व्यक्त किये। प्रथम दिवस की कथा से पूर्व श्रीमद्भागवत पोथी को सांकेतिक रूप से श्रीरामद्वारा परिसर में नगर भ्रमण कराया गया।इस दौरान गोपाल सिंह भाटी चरपोटिया,कुलदीप आमेटा, हीरा लाल डांगी सहित अनेक श्रद्धालुओं ने सिर पर पोथी को धारण किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में व्यासपीठ पर वैदिक विधि विधान से पंडित शुभम शुक्ला ने पूजा अर्चना एवं आरती की। कथा कार्यक्रम के दौरान परमहंस सुख सम्पतराम महाराज, पूज्य स्वामी अनंत राम जी शास्त्री एवं रमता राम जी महाराज, (झोकर,मध्यप्रदेश) बिराजमान रहे। कथा कार्यक्रम में नगर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न गांवों के श्रद्धालु उपस्थित रहे।