उपन्यास "सिसोदिया राजवंशी का दारोगा " की रचना की जिसका विमोचन उनकी माता श्रीमती संतोष के द्वारा किया गया।

उपन्यास "सिसोदिया राजवंशी का दारोगा " की रचना की जिसका विमोचन उनकी माता श्रीमती संतोष के द्वारा किया गया।

राजस्थान पुलिस अकादमी में तैनात ग्राम हीरवा जिला झुंझुनू निवासी उप निरीक्षक सुंदरलाल ने पुलिस की कार्यप्रणाली के साथ-साथ समाज के विभिन्न पहलुओं को मद्देनजर रखते हुए उपन्यास "सिसोदिया राजवंशी का दारोगा " की रचना की जिसका विमोचन उनकी माता श्रीमती संतोष के द्वारा किया गया।

पुलिस और साहित्य दोनों ही अलग-अलग क्षेत्र हैं तथा पुलिस अधिकारी अपनी व्यस्तताओं के कारण साहित्य व कला के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं कर पाता पर कुछ अधिकारियों पर यह बात लागू नहीं होती है। राजस्थान पुलिस में उपनिरीक्षक के पद पर कार्यरत सुंदर लाल पुलिस अधिकारी के साथ-साथ कवि और साहित्यकार भी हैं। उनके तीन काव्य संग्रह 1. बणी-ठणी  2. सन 2020 : एक पहेली  3.कलम का सिपाही जो पूर्व में प्रकाशित हो चुके हैं । उप निरीक्षक की रचना प्रकृति प्रेम, जीवन दर्शन, भक्ति, विरह वेदना आदि विषयों पर केंद्रित हैं। कोरोना काल में जब संपूर्ण समाज पर, मानवता पर खतरा मंडरा रहा था तब उप निरीक्षक ने राज्य के कोविड डेडीकेटेड अस्पताल आरयूएचएस में लगभग एक साल तक अपनी उल्लेखनीय सेवाएं  दी।सिसोदिया राजवंशी का दारोगा उपन्यास आरयूएचएस ड्यूटी के दौरान ही लिखा गया। इस उपन्यास में कोविड महामारी का बड़ा ही मार्मिक वर्णन किया गया है। कोविड संक्रमित लाशों  का अंतिम संस्कार भी पुलिस प्रशासन की निगरानी में किया जाता था उसी दौरान मजदूरों का पलायन हुआ ।उपन्यास में मजदूरों के पलायन का बड़ा ही हृदय विदारक  वर्णन किया है। उप निरीक्षक ने अपनी रचना में समाज को आईना दिखाने के साथ-साथ सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक परिवेश पर नजर रखते हुए आधुनिक भौतिकवादी संस्कृति पर कटाक्ष करते हुए प्रकृति की और लोट चलने का आह्वान किया है।