जनजाति किसानो को प्रशिक्षण एवं प्रतापधन के चूजे वितरण किये
बड़ी सादड़ी महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थानीय इकाई कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ द्वारा जनजाति उपयोजना के तहत जनजाति क्षेत्र बड़ी सादड़ी उपखंड क्षेत्र के निकटवर्ती ग्राम पंचायत पायरी के स्थित गांव पायरी, ढिकरिया खेड़ी, लालपुरा, मातामगरी, खाखरिया खेड़ी ग्राम पंचायत पायरी पं.स. बड़ीसादड़ी में कुक्कट पालन ईकाई वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

जनजाति किसानो को प्रशिक्षण एवं प्रतापधन के चूजे वितरण किये
14सितंबर
राम सिंह मीणा रघुनाथपुरा
बड़ी सादड़ी महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थानीय इकाई कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ द्वारा जनजाति उपयोजना के तहत जनजाति क्षेत्र बड़ी सादड़ी उपखंड क्षेत्र के निकटवर्ती ग्राम पंचायत पायरी के स्थित गांव पायरी, ढिकरिया खेड़ी, लालपुरा, मातामगरी, खाखरिया खेड़ी ग्राम पंचायत पायरी पं.स. बड़ीसादड़ी में कुक्कट पालन ईकाई वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
चूजे वितरित करने का मुख्य उदेश्य ग्रामीण कृषक एवं कृषक महिलाओ को स्वरोजगार दिलाना तथा उनको आत्मनिर्भर बनाना था । कार्यक्रम में 45 ग्रामीण कृषक एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया प्रशिक्षण के बाद 20 कृषक एवं कृषक महिलाओ को जनजाति उपयोजना के तहत प्रत्येक को 50 चूजे अर्थात कुल मिलाकर 1000 प्रतापधन चूजे वितरित किये गये । प्रशिक्षण में स्वयंसेवा संस्था अरुणादेय सर्वेश्वरी लोक कल्याण समिति बड़ीसादड़ी के समन्वयक श्री महेश कुमार, एवं संस्था के श्री विकास चौहान, लालसिंह, नानू सिंह, अनिरूद्ध आदि का सहयोग व प्रशिक्षण में ग्राम पंचायत पायरी सरपंच प्रतिनिधि भैरू सिंह मीणा भी उपस्थित रहे। जनजाति किसानो के बाड़ी प्रोजेक्ट के तहत लगी वाटिका एवं केविके की वर्मी कम्पोस्ट इकाई का भी अवलोकन किया गया ।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. रतन लाल सोलंकी ने कहा कि मुर्गियों का दड़बा बनाते समय यह ध्यान में रखे की एक मुर्गी को 1.5-2.0 वर्गफीट जगह की आवश्यकता होती है। दड़बा जमीन से थोड़ा ऊपर डलान पर छायादार स्थान पर हो तथाउसमें अच्छा वायु संचार की व्यवस्था हो । दड़बे की लम्बाई पूर्व - पश्चिम में होनी चाहिए ताकि तीखी धूप व सीधे प्रकाश से मुर्गियों को बचाया जा सके। आवास में बिछावन के लिए चावल की भूसी, गेहूं का भूसा काम में लिया जाना चाहिए ताकि मुगियो को गर्मी से बचाया जा सकता है तथा बैठने का फर्श भी सूखा रखा जा सकता है।
श्रीमती दीपा इन्दौरिया, कार्यक्रम सहायक ने कहा कि मुर्गियो को आहार में मक्का गेहू, ज्वार, जौ के दलिये तथा चावल की कनकी खिला सकते है। संतुलित आहार में खनिज तत्वो विटामिन, जीवाणुनाशक, व कोक्सीडियल दवाओं का समावेश होना चाहिए ।
श्री संजय कुमार धाकड़, कार्यक्रम सहायक ने किसानो को कहा कि अण्डे देने वाली मुर्गियो को हमेशा कैल्शियम की आवश्यकता पड़ती है जो कि अंडे के कवच में निर्माण में सहायक होता है इसके लिए 3-4 ग्राम के हिसाब से संगमरमर पत्थर के टुकड़े देने से कवच कठोर बनता है इसके बारे में विस्तार से बताया ।
अन्त में केन्द्र के कार्यक्रम सहायक धाकड़ ने कुक्कट पालन ईकाई वितरण कार्यक्रम में उपस्थित सभी कृषक एवं कृषक महिलाओं को धन्यवाद ज्ञापित किया ।