आइए मिलते हैं गांव बारू के प्रसिद्ध बहरूपिया के ख्यातनाम कलाकार श्री छगनलाल जी भांड जिला चित्तौडगढ़ से

निहाल दैनिक समाचार / NDNEWS24X7
रिपोर्ट देवी लाल बैरवा
जयपुर 23 जुन 2022 महिमा नगर, जनपद, पत्रकार कॉलोनी के पास गुलाबगढ़, जयपुर में जग को हंसाने बहरूपिया रूप बदल फिर आएगा चेहरा देखकर आकार बदलते हैं यह वह है जो रोज लोगों को खुशी देने के लिए निकलते हैं l छगन लाल जी भांड ने बताया कि यह उनकी पुश्तैनी कला है जो राजाओं और महाराजाओं के टाइम से चली आ रही बहरूपिया कला है जब यह राज दरबार में राजाओं का दरबार लगता था तब यह उन को खुश करने के लिए अपना रूप बदलकर उनके सामने अपनी कला को पेश करते थे और उनका मनोरंजन कर इनाम पाते हैं l
गुलाबगढ़ ने बना दिया विक्रम को विराट राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के बारू निवासी विक्रम के मनमोहनी सांवली सूरत वाले हाथों में बांसुरी, सिर पर मोर-मुकुट, गले में वैजयंती माला, घुंघराले बालों वाले श्रीकृष्ण रूप वाले चित्र कैलेंडर, होर्डिंग, आम और खास लोगों को भेजे जाने वाले निमंत्रण पत्र, लीफलेट गुलाबगढ़ परिसर के हर ओर, गुलाबगढ़ अधिकारियों के दफ्तरों में, विभिन्न स्टॉलों पर, गुलाबगढ़ चौपाल की स्टेज के बैक ड्रॉप नजर आ रहे हैं। अतिथियों को स्मृति चिन्ह के रूप में जो सामग्री दी जा रही है, उसमें भी यह चित्र वाले बड़े कैलेंडर शामिल हैं l
जयपुर के गुलाबगढ़ में छगनलाल भांड व विक्रम दोनों दादा पोता की जोड़ी लोगों के आकर्षण का केंद्र बन रही है l छगनलाल जपे नारायण नारायण तो विक्रम बोले जय श्री राम यह कभी बनते हैं l भगवान भोलेनाथ तो कभी कृष्ण कभी नारद मुनि तो कभी रावण तो कभी महाराणा सांगा तो कभी गाडोलिया लोहार तो कभी मेरा गांव मेरा देश के डाकू तो कभी मेरा नाम जोकर इस तरह के विभिन्न रूप बनकर लोगों का अलग अलग दिन नए नए रूपों में मनोरंजन कर रहे हैं l अपने पर हंस के जग को हंसाया बनके तमाशा गुलाबगढ़ में आया अपनी पुश्तैनी कलाओं को बचाने के साथ ही आर्थिक और सामाजिक सम्मान की लड़ाई लड़ रहा हैं बहुरूपिया समाज जबकि उनकी कलाओं से मालामाल हो रहे हैं अभिजन कलाकार
“झूठ बोल्यू नहीं, सच बोलने की आदत नहीं,
धंधा ढेले का नहीं, फुर्सत एक मिनट की नहीं,
काका की दुकान कानपुर, बाबा की बॉम्बे,
हमारो आज को कारोबार जोगिया गाँव में।
दादा जी की शादी आ गयी जी
मैं दो दो मन का लड्डू बनवा दियो,
चार चार मन की पूड़ी उतरवा दी
आटा छोड़ बाटा परोस दिया ,
दो हलवाइयो ने भट्टे पे झोंक दिया,
ऐसे ही चटपटे अंदाज में होती है बहरूपिया के ख्यातनाम कलाकार छगनलाल भांड व उनके सुपौत्र विक्रम की एंट्री आज के दौर में लोगों को शायद ही याद हो कि बहुरुपिया क्या होता है लेकिन जयपुर प्रदेश के महिमा नगर जनपद पत्रकार कॉलोनी के पास गुलाबगढ़ में, राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के बारू गाँव से भाग लेने आये छगनलाल और विक्रम अपने बेहतरीन अभिनय से लोगों का दिल जीत रहे है। उनके वक्तव्यों में ह्यूमर अब आसानी से नहीं मिलता। लेकिन इस हास्य को वह जी रहे हैं और पूरे समाज का भी मनोरंजन भी करते हैं । छगनलाल भांड ने बताया कि मुझे राजकपूर के फिल्म मेरा नाम जोकर का वह गाना याद आया जिसमें वह गाते हैं : कहता है जोकर सारा ज़माना, आधी हकीकत आधा फ़साना। चश्मा उतारो, फिर देखो यारो, दुनिया नयी है चेहरा पुराना। अपने पे हंसकर जग को हंसाया, बनके तमाशा गुलाब गढ में आया। हिन्दू न मुस्लिम, पूरब न पश्चिम, मज़हब है अपना हँसना हँसाना।