महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 महंत श्री चेतन दास जी महाराज सावलिया धाम आश्रम मुंगाना
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- मुझे एक कहानी याद आती है। बुद्ध का एक शिष्य अपने गुरु से विदा ले रहा है। शिष्य का नाम था पूर्णकाश्यप।उसने बुद्ध से पूछा कि मैं आपका संदेश लेकर कहां जाऊं? बुद्ध ने कहा कि तुम खुद ही चुन लो। पूर्णकाश्यप ने कहा कि मैं बिहार के एक सुदूर हिस्से की तरफ जाऊँगा-
- तुम किसी और जगह जाओ
- क्योंकि सूखा प्रांत के लोग बड़े क्रूर
- हिंसक और दुष्ट हैं। और अब तक कोई व्यक्ति वहां उन्हें अहिंसा
- प्रेम और करूणा का उपदेश सुनाने नहीं गया है। इसलिए अपना चुनाव बदल डालो। पर पूर्णकाश्यप ने कहा : मुझे जाने की आज्ञा दें
- क्योंकि वहां कोई नहीं गया है और किसी को तो जाना ही चाहिए। बुद्ध ने कहा कि इसके पहले कि मैं तुम्हें वहां जाने की आज्ञा दूं
- मैं तुमसे तीन प्रश्न पूछना चाहता हूं। अगर उस प्रांत के लोग तुम्हारा अपमान करें तो तुम्हे कैसा लगेगा? पूर्णकाश्यप ने कहा : मैं समझूंगा कि वे बड़े अच्छे लोग हैं जो केवल अपमान करते हैं
- मुझे मार तो नहीं रहे हैं। वे अच्छे लोग हैं : वे मुझे मार भी सकते थे। बुद्ध ने कहा : अब दूसरा प्रश्न
- अगर वे लोग तुम्हें मारें-पीटें भी तो तुम्हें कैसा लगेगा? पूर्णकाश्यप ने कहा : मैं समझूंगा कि वे बड़े अच्छे लोग हैं। वे मेरी हत्या भी कर सकते थे
- लेकिन वे मुझे सिर्फ पीट रहे हैं। बुद्ध ने कहा : अब तीसरा प्रश्न
- बजरंग दल मेवदा शोभा लाल जाट