ठीक नहीं

ठीक नहीं

संवादाता बंशीलाल धाकड़ राजपुरा 

10 सितम्बर 

दोहरा यह किरदार निभाना ठीक नहीं,

जयचंदों की रीत निभाना ठीक नहीं।।

माना कि चालाक चतुर तुम कौए हो,

कोयल को पर गीत सुनाना ठीक नहीं।।

अर्जुन को यूं दक्ष करो कि विजय मिले,

आरक्षण से जीत दिलाना ठीक नहीं।।

मिला राम को राज्य बहुत ही अच्छा है, 

पर निर्दोष सिया पर दोष लगाना ठीक नहीं।।

पृथ्वीराज का सौर्य, सीख भी याद रहे, दुश्मन को यूं दया दिखाना ठीक नहीं।।

रोटी बोटी देना तो सब वाजिब है,

पर श्वानों से मुंह चटबाना ठीक नहीं।।

विनीता यूं तो हम भी सब से वाक़िफ हैं,

पर कीचड़ को हाथ लगाना ठीक नहीं।।

लेखक, नाम-विनीता धाकड़

ग्राम-बरहा कलां

तह.-बरेली, रायसेन (म.प्र)