भारत की राजधानी दिल्ली मे मुख्यमंत्री आवास के अंदर हुआ महिला सांसद के ऊपर कुकृत्य तो क्या अब दिल्ली मे आम माहिलाये सुरक्षित रह पायेगी इतना वाहियात कुकृत्य करवाकर मोदी सरकार ने केजरीवाल पर सादा निशाना

चित्तौड़गढ़।राजनीति में 1 दिल्ली की सीट पाने के लिए कोई इतना कैसे गिर सकता है वाकई चौकीदार ही इतना गिरा हुआ काम करवा सकता है अभी तो केजरीवाल को जेल से बाहार निकले कुछ ही दिन हुये थे केंद्र सरकार में इतना डर इतना भय केजरीवाल को लेकर की जो उनको गिराने के लिए इतनी वाहियात हरकत करने पर उतर ये 

भारत की राजधानी दिल्ली मे मुख्यमंत्री आवास के अंदर हुआ महिला सांसद के ऊपर कुकृत्य तो क्या अब दिल्ली मे आम माहिलाये सुरक्षित रह पायेगी इतना वाहियात कुकृत्य करवाकर मोदी सरकार ने केजरीवाल पर सादा निशाना

भारत की राजधानी दिल्ली मे मुख्यमंत्री आवास के अंदर हुआ महिला सांसद के ऊपर कुकृत्य तो क्या अब दिल्ली मे आम माहिलाये सुरक्षित रह पायेगी इतना वाहियात कुकृत्य करवाकर मोदी सरकार ने केजरीवाल पर सादा निशाना

चित्तौड़गढ़।राजनीति में 1 दिल्ली की सीट पाने के लिए कोई इतना कैसे गिर सकता है वाकई चौकीदार ही इतना गिरा हुआ काम करवा सकता है अभी तो केजरीवाल को जेल से बाहार निकले कुछ ही दिन हुये थे केंद्र सरकार में इतना डर इतना भय केजरीवाल को लेकर की जो उनको गिराने के लिए इतनी वाहियात हरकत करने पर उतर ये 

अरे-अरे दुःशासन रे, 

कैसा दुःसाहस कर डाला । 

जो परमपवित्रा नारी के, 

केशों पर तूने कर डाला ।।

धरती, अम्बर, नदियाँ, तरुवर, 

सब चीख-चीख कर बोल रहे । 

इन्द्रों, असुरों, मनुजों सबके,

 आसन मानो अब डोल रहे ।।

सब देख रहे चक्षु साधे,

 कैसा इसको कुकृत्य कहो ।

 इतिहास उठा देखो पूरा पर, 

हुआ न ऐसा कभी अहो ।।

कैसा कलयुग अर समय अहो, 

जहाँ, बिन भूल के अत्याचार सहो,

अरे कहें कुछ भी जन पर, 

यह बात कथाचित उचित नहीं ।

 क्या ऐसे पाप काम हेतु भी, 

दण्ड कोई भी रचित नहीं ...???

अबला नारी पर हाँथ डालना, 

अरे कुकृत्य तुम्हारा है।

 क्या ऐसे घृणित कार्य से पहले, 

तुमने ना तनिक विचारा है।

क्या तुमको अपनी माता की, 

ममता का भान नहीं होगा। 

क्या ऐसा करने से स्वभगिनी, 

का अपमान नहीं होगा ..??

यह सत्य बात है कि जग में, 

अविवेक मनुज पर छाता है। 

श्रेष्ठ कुलों का भी हो पर, 

उसका विवेक मिट जाता है ।।

सोचो अब दुशासन खुद तुम, 

अब जगत कहेगा क्या तुमको । 

क्या होगा ऐसा भी कोई अब, 

साहस दे जो नारीजन को ।।

अरे नारियाँ राष्ट्र की अपने, 

अब क्या उलाहना देंगी। 

गिरेबान पर सब नर के ही, 

कीचड़ उछाल ना देंगी ..??

क्या प्रश्न न होगा राज्य से अब, 

कैसा यह अरे विधान अहो । 

नारी पर हाँथ उठाने का, 

कैसा यह संविधान अहो ...??

क्या इतने सारे शूरवीर, 

नारी को नहीं बचा पाए । 

अपने साहस को वे जन देखो,

 किंचित नहीं जता पाए ।।

इतनी है बुद्धिमान परजा, 

क्या फिर भी न न्याय देखा.? 

सबके सब ही हैं अपराधी, 

जिनने चुप बैठ अन्याय देखा..?

अब देखना दुशासन तुम भी, 

हर नारी ही भय खाएगी। 

अरे देखने यह दुनिया, 

अब बाहर तक न जाएंगी।

तुम हृदय दुखाकर नारी का, 

कायर ही तो कहलाओगे । 

अब हर अबला की नजरों में, 

तुम कभी नहीं उठ पाओगे ।।

ना जाने कितने श्रापों को,

 मस्तक पर अपने झेलोगे । 

क्या अब भी ऐसी नारी की, 

तुम भावनाओं से खेलोगे ..?

रखो याद सम्पूर्ण राष्ट्र, 

कुकृत्य ऐसा न दोबारा हो । 

अन्यथा मारा वह जाएगा, 

चाहे वह भले बेचारा हो ।।

    रिशिका मीणा कोटा