इतना आसान नही हैं मौत को गले लगाना पर कुछ तो ऐसा होगा जिसकी वजह से उसने मौत को जिन्दगी से ज्यादा सुखद समझा।
चित्तौड़गढ़।मीणा समाज ने प्रगति करी हैं इसमें कोई संदेह नहीं हैं पर इस प्रगति के बीच इनकी मानसिक और वैचारिक प्रगति काफी पीछे रह गई। ये अपनी बेटियो को अच्छे से पढ़ायेंगे और उस पर हजार तरह की बंदिशे भी लगायेंगे।

इतना आसान नही हैं मौत को गले लगाना पर कुछ तो ऐसा होगा जिसकी वजह से उसने मौत को जिन्दगी से ज्यादा सुखद समझा।
चित्तौड़गढ़।मीणा समाज ने प्रगति करी हैं इसमें कोई संदेह नहीं हैं पर इस प्रगति के बीच इनकी मानसिक और वैचारिक प्रगति काफी पीछे रह गई। ये अपनी बेटियो को अच्छे से पढ़ायेंगे और उस पर हजार तरह की बंदिशे भी लगायेंगे।
तुम 21 वी सदी में जी रहें हैं जहा एक वयस्क लड़के लड़की को अपनी मर्जी से अपना जीवनसाथी चुनने का पूर्ण अधिकार हैं। पर समाज की लाज , फोकट की इज्जत और बडी जॉब वाले से अपनी बेटी को शादी कर नाम कमाना इन सबके चक्कर अपने ही बच्चों का गला घोट देते हों । नतीजा ये हैं की ये बच्चें मजबूरन शादी तो कर लेते हैं लेकिन उनकी शादियां चल नहीं पाती । लड़किया अपने पुराने रिश्तों में उलझी रहती हैं या लड़के अपने पुराने अफेयर न छोड़ पाते । नतीजा फिर एक ही होता हैं या तो डाइवोर्स और डाइवोर्स भी हो जाएं तो अच्छी बात हैं जान छूटे पर यहां फिर से वहीं इज्जत वाले ठेकेदार आ जाते हैं । इन ठेकेदारों को फर्क नहीं पड़ता की मेरा बच्चा मर रहा हैं । ये मुंह पर बोलते हैं मर जाओ पर मेरी इज्ज़त न जानी चाइए । अब इन मूर्खो को कोन समझाएं की तुम्हारी कोई इज्जत नहीं हैं अगर तुम्हारा खून , तुम्हारा बच्चा खून के आशु रो रहा हैं। और अंत में इन बच्चों के पास खुद खुशी के सिवा कोई रास्ता नहीं बचता ।
आपसे हाथ जोड़कर निवेदन हैं कि कम से कम एक बार अपने बच्चों से प्यार से उनके मन की इच्छा जानने की कौशिश जरूर करना । लड़कियों को पूर्ण अधिकार हैं की वो अपने होने वाले वर के बारे में अपनी राय जरुर रखे। और अगर उसने मना किया तो समझदारी इसी में हैं कि आप उसकी बात माने।
थोड़े सुधार की जरूरत हैं अपने समाज को जिससे दिन प्रतिदिन होने वाली आत्महत्या पर रोक लग सके।