गहलोत दुबारा CM बने तभी बजट घोषणाएं पूरी होंगी : बजट मनभावन या लोकलुभावन , मिला 20 सवालों में जानिए आपको क्या

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी इस सरकार का आखिरी बजट पेश कर दिया है । बजट में जिस तरह से फ्री योजनाओं की बौछार की गई है , उससे साफ है कि मुख्यमंत्री ने बजट के जरिए चुनावी फायदे ढूंढ़ने की कोशिश की है । बजट की थीम थी , बचत , राहत और बढ़त । ये कितनी मिली ? 20 सवालों से समझिए , इस बजट से कैसे आपको फायदा पहुंचाकर कांग्रेस सरकार अपने फायदे ढूंढने की कोशिश कर रही है । 1. राजस्थान के आम आदमी के लिए बजट कैसा है ? हर बार चुनाव के वक्त लोकलुभावन बजट आता है । इस बार के बजट को ‘ मन - भावन ' कह सकते हैं । लोकलुभावन और मनभावन में सिर्फ इतना अंतर है कि लोकलुभावन ' इन डायरेक्ट ' ( अप्रत्यक्ष रूप से ) लाभ दिखता है । मनभावन में डायरेक्ट राहत दिखती है । बजट में इस बार सभी वर्गों को सीधा हिट किया गया है । भले किसान हों या युवा । या फिर महिलाएं । यानी सभी के मन को लुभाने वाला । 2. बजट में सबसे ज्यादा किसको फोकस किया गया है ? बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बार हर वर्ग पर फोकस किया है । चाहे जरूरतमंद परिवार हो या एक मीडिल क्लास फैमिली । युवा हो या बुजुर्ग । कुछ न कुछ घोषणाएं की हैं । 3. बजट की थीम थी , बचत राहत और बढ़त , क्या बजट इस थीम पर खरा उतरा ? महिलाओं को आधी कीमत में रोडवेज में यात्रा , आटे के साथ - साथ फूड पैकेट , 500 रुपए में सिलेंडर जैसी योजनाओं से मिडिल क्लास के लोगों के खर्चों को कुछ कम करके राहत देने की कोशिश की गई है । इससे प्रदेश कैसे आगे बढ़ेगा ? इसे लेकर कोई स्पष्ट और सीधी लाइन नहीं दिखती है । 4. पहले के चुनावी वक्त के आखिरी बजट और इसमें क्या अंतर है ? इस बार काफी कुछ अलग है । कई योजनाओं में तत्काल फायदा दिया गया है , ताकि जल्दी ग्राउंड पर फायदा दिखने लगे । जैसे - • 100 यूनिट तक फ्री बिजली की घोषणा की गई है । इसका सीधा फायदा आम आदमी को कुछ महीनों में ही मिलने लगेगा । अभी 50 यूनिट बिजली फ्री है । ● चिरंजीवी योजना में अब 25 लाख तक का इलाज फ्री हो जाएगा । इसमें भी सरकार को सिर्फ आदेश जारी करने हैं । फ्लैट्स के लिए नल कनेक्शन , मिड डे मील में दूध जैसे काम भी सरकार कर सकती है । नहीं । ये संभव नहीं दिख रहा है , क्योंकि करीब 8 महीने बाद चुनाव हैं । छह से सात महीने में आचार संहिता लग जाएगी । हमारा बजट का सिस्टम ही ऐसा है कि आधा साल बीतने तक काम नहीं हो सकता । अगर सरकार रिपीट होती है तो इसकी गुंजाइश बन सकती है । साथ ही , गहलोत सीएम बने तभी इसकी गुंजाइश बन सकती है । अन्यथा नई सरकार आएगी तो वो पुरानी सरकार की योजनाओं को बजट दे ये मुमकिन नहीं है । कई घोषणाएं सरकार के आखिरी छह महीने के कार्यकाल की समीक्षा के दायरे में भी आएंगी । 6. क्या राजस्थान में सरकार रिपीट होगी ? ये सवाल अभी पॉलिटिकली इन करेक्ट होगा । क्योंकि चुनाव बहुत बार इमोशनल मुद्दों पर लड़ा जाता है । ऐसे में ये कहना जल्दबाजी होगा । हालांकि बजट को इसी सोच के साथ बनाया गया है , जिससे 2023 और 2024 के चुनाव को टारगेट किया जा सके । गहलोत ने अपने भाषण में खुद ही कहा कि उनका टारगेट 2028 है । इससे ये साफ है कि वे 2028 तक तो कम के कम रिटायर नहीं हो रहे । दैनिक भास्कर डिजिटल के साथ बातचीत में पहले भी ये बात वे बता चुके हैं । राजस्थान में पिछले कुछ सालों से जो सरकार बदलने का ट्रेंड बना हुआ है , इसको तोड़ने के लिए गहलोत बजट के बाद पूरी ताकत जरूर लगाएंगे । वर्ष 1993 से देखें , तो पूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत की सरकार से अब तक लगातार सरकारें हर पांच साल में बदली है । पिछले 40 सालों का इतिहास गवाह है कि बजट के भरोसे तो सरकार रिपीट करने का दावा नहीं किया जा सकता । - 7. तो इस बजट से कोई फायदा नहीं मिलेगा ? - - ऐसा नहीं है । इस बजट को देखें , तो यह कहा जा सकता है कि सरकार को कवर अप करने में मदद मिलेगी । यदि राज्य सरकार इन बजट घोषणाओं को 12 महीने के बजाय 7 या 8 महीने का टारगेट बनाकर लागू कर लोगों को लाभ दिला दे , तो जरूर फायदा होगा । योजनाएं समय पर पूरी नहीं होने पर नुकसान हो सकता है । 8. विपक्ष और एक्सपर्ट का आरोप है कि बजट हवाई है ? क्या ये संतुलित है ? - विपक्ष के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है । अमूमन आखिरी बजट पेश करते समय खर्चे का आकार बढ़ जाता है , लेकिन राज्य सरकार अंतिम बजट में यह बताने से भी बचती है कि पैसे की व्यवस्था कहां से होगी । सरकार रही , तो जवाब देने का दबाव रहता है , नहीं तो अगली सरकार जाने । 9. क्या बजट में कोई ऐसी घोषणा है , जो आलोचनाएं झेल रही सरकार के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है ? सोशल सिक्योरिटी , इलाज सहित सभी वर्गों को साधने की कोशिश माहौल बदलने में कुछ हद तक सफल हो सकती है । 10. कांग्रेस में चल रही अंदरूनी खींचतान को बजट में कैसे देख सकते हैं ? कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा संकट यही है । बजट घोषणाएं कैसी भी हों , लेकिन आपसी गुटबाजी खत्म होने की संभावना नजर नहीं आती । कांग्रेस के लिए हमेशा कांग्रेस ही चुनौती रहेगी । बजट की घोषणाओं से गहलोत ने चुनाव से पहले पूरी कांग्रेस में जान फूंकने का प्रयास किया है । इसमें कोई शक नहीं कि चुनाव के समय ये घोषणाएं विपक्ष को जवाब देने के काम आएंगी । 11. एक आम राजस्थानी को इस बजट ने सबसे बड़ी राहत क्या दी है ? कोई भी टैक्स नहीं बढ़ना आम आदमी के लिए राहत देने वाला है । हालांकि जीएसटी आने के बाद राज्य सरकारों के लिए पेट्रोल - डीजल पर वैट बढ़ाना ही कमाई बढ़ाने का साधन बचा है , लेकिन चुनावी साल में सरकार ये रिस्क नहीं ले सकती । वहीं प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री की दरें अब हर साल दस प्रतिशत की बजाय 5 प्रतिशत ही बढ़ाने का फैसला भी राहत देने वाला है । आम आदमी पर बजट में किसी तरह का अलग से बोझ नहीं डाला गया है । पशुपालक और किसानी से जुड़ा प्रदेश है । इनमें लंपी से मरी गायों के लिए बड़ी राशि देने की घोषणा की गई है । 14. बजट में गहलोत ने सबको साधने की कोशिश की है , अब विपक्ष के पास बहस के लिए क्या मुद्दा बचता है ? बजट में घोषणाएं तो की गईं , लेकिन बजट भाषण की शुरुआत में हुई गफलत ने विपक्ष को बड़ा मुद्दा दे दिया । अभी तो बजट लीक होने और पुराना बजट भाषण पढ़ने को ही विपक्ष मुद्दा बनाएगा । बजट में नए विकास के प्रोजेक्ट और बढ़ते कर्ज के भार को भी विपक्ष मुद्दा बनाएगा । 15. क्या कृषि बजट किसानों को संतुष्ट करने वाला है ? हां , किसानों के लिए काफी अच्छी घोषणा की गई है । पहले एक हजार यूनिट बिजली फ्री मिलती थी । इसे बढ़ाकर 2 हजार यूनिट कर दिया गया है । इसी तरह कर्जदार किसानों की जमीनों की नीलामी बड़ा मुद्दा है , लेकिन अब गहलोत ने नीलामी से बचाने के लिए राजस्थान फार्मर डेब्ट रिलीफ एक्ट लाने की घोषणा की है ।अब चलते - चलते दो महत्वपूर्ण सवाल ... 19. क्या गहलोत ने पुराना बजट पढ़ा ? मुख्यमंत्री ने कुछ देर तक तो पिछले बजट की घोषणाओं को ही पढ़ा है । अब भले ही तर्क दिया जाए कि एक पेज पुराना था । खुद विधानसभा अध्यक्ष ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और मुख्यमंत्री ने माफी मांगी । 20. विधानसभा अध्यक्ष ने इस घटना और 45 मिनट की सदन की कार्यवाही को हटा दिया ? इसके क्या मायने हैं ? आज डिजिटल युग है । मुख्यमंत्री बजट पढ़ रहे थे । ये गांव - गांव में देखा जा रहा था । ऐसे में कार्यवाही से भले विलोपित हो जाए , लेकिन इसकी बिल्कुल भी गुंजाइश नहीं कि ये स्मृतियों से विलोपित हो जाए । ये इतिहास बन चुका है । ये मुद्दा अब पेपर लीक की तरह चर्चा में रहेगा । भाजपा इसका हर लेवल पर प्रचार करेगी । बजट की और भी खबरें हैं , पढ़िए 8.5 करोड़ राजस्थानियों के लिए 19 हजार करोड़ की राहत : इलाज - एग्जाम फ्री में , घर चलाना सस्ता , लेकिन पेट्रोल अब भी महंगा ही मिलेगा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस कार्यकाल के आखिरी बजट में दिल खोलकर राहतें बांटी हैं । पिछले बजट की तरह इस बार भी नया कर नहीं लगाया गया है , बल्कि अलग - अलग घोषणाओं के जरिए 19000 करोड़ रुपए की राहतें आम आदमी को दी हैं । हालांकि कुछ लोगों को पेट्रोल - डीजल पर वैट घटाने की आस थी , जो अधूरी रह गईं । गहलोत के इस बजट में बढ़ती महंगाई से लड़ने की कोशिश दिखाई दे रही है । चिरंजीवी योजना के तहत सरकारी व निजी अस्पतालों में 10 की जगह 25 लाख तक का इलाज फ्री करवाया जा सकेगा । अब 50 की जगह अब 100 यूनिट घरेलू बिजली फ्री मिलेगी । राज्य सरकार द्वारा कराई जाने वाली सभी तरह की भर्ती परीक्षाएं निशुल्क कर दी गई हैं । उज्ज्वला योजना में शामिल 76 लाख परिवारों को गैस सिलेंडर 500 रुपए में मिलेगा ।