सीपी जोशी ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का पद संभाला: बोले- विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के फॉर्च्यूनर में बैठने जितने विधायक नहीं आएंगे
राजस्थान BJP के नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष चंद्र प्रकाश (सीपी) जोशी ने सोमवार को चार्ज संभाल लिया है। चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी दिल्ली से अपने समर्थकों के साथ सोमवार सुबह 7 बजे सड़क मार्ग से जयपुर के लिए रवाना हुए थे। इस दौरान शाहजहांपुर बॉर्डर पर उनका बीजेपी कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया।
वहीं, बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने मंच से संबोधित करते हुए कहा- आप सभी को मेरी कसम है, कभी मेरे लिए नारे नहीं लगाए। मैं आप सभी की तरह आम कार्यकर्ता हूं। पार्टी को किसी कार्यकर्ता को जिम्मेदारी हूं। देनी थी। इसलिए मुझे अध्यक्ष बनाया गया है। अध्यक्ष की एक भूमिका होती है, लेकिन हम सब मिलकर काम करेंगे। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के फॉर्च्यूनर गाड़ी में बैठने जितने विधायक भी नहीं आएंगे।
सीपी जोशी ने कहा- मुझे लोगों ने कहा था कंधे पर बिठाकर प्रदेश कार्यालय में लेकर चलते हैं। मैंने मना कर दिया। उनसे कहा- आज तक जैसे आम कार्यकर्ताओं की तरह धक्के खाए हैं। वैसे ही धक्के आज भी खाने दो। इसी में असली मजा है।
केंद्र की योजनाओं के होर्डिंग लगाने हैं, नेता नहीं
जोशी ने कहा- हमें अब स्वागत सत्कार में वक्त जाया नहीं करना है। अब पूरे राजस्थान में केंद्र की योजनाओं का प्रचार करना है। रेलवे का बजट हो या फिर राम मंदिर का निर्माण। हमें इन सबके होर्डिंग लगाने हैं, न की किसी नेता के। उन्होंने कहा- राजस्थान में किसान खून के आंसू रो रहा है।
उदयपुर हत्याकांड में आरोपियों को पकड़वाने वालों को मिल रही धमकी
सीपी जोशी ने कहा- उदयपुर में कन्हैया की गर्दन नहीं कटी है, बल्कि कांग्रेस सरकार की गर्दन कटी है। जिन लोगों ने कन्हैया के दोषियों को पकड़ने में मदद की आज उन्हें धमकी मिल रही है। अगर उनका बाल भी बांका हो गया तो अच्छा नहीं होगा।
प्रदेशाध्यक्ष चंद्र प्रकाश (सीपी) जोशी ने कार्यकर्ताओं को मंच से संबोधित
किया।
सतीश पूनिया ने मंच से धोक देकर आभार जताया
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सतीश पूनिया ने मंच से धोक देकर लोगों का आभार जताया। इस दौरान पूनिया ने कहा- सीपी जोशी नवरात्रि और मैं श्राद्ध में प्रदेश अध्यक्ष बना। लोग कहते थे की तू ज्यादा नहीं चलेगा, लेकिन मुझ पर आशीर्वाद रहा।
सतीश पूनिया ने मंच से धोक देकर लोगों का आभार जताया।
इससे पहले नीमराणा, बहरोड, कोटपूतली विराट नगर, पावटा, शाहपुरा, चंदवाजी, आमेर और जयपुर शहर में स्थित खोले के हनुमान जी, ट्रांसपोर्ट नगर चौराहा, धर्मसिंह सर्किल, त्रिमूर्ति सर्किल, स्टेच्यू सर्किल पर स्वागत कार्यक्रम में शामिल होने के बाद जोशी बीजेपी मुख्यालय पहुंचे। जयपुर ग्रामीण सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौर सीपी जोशी की गाड़ी चला रहे थे।
जयपुर में भाजपा ऑफिस पहुंचे नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने पदभार ग्रहण करने से पहले पूजा-अर्चना की। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया भी उनके साथ मौजूद रहे।
जोशी ने बीजेपी मुख्यालय में पहले पूजा-अर्चना की फिर पूर्व में अध्यक्ष सतीश पूनिया से पदभार ग्रहण किया। इस दौरान पार्टी के राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। प्रमुख नेताओं में अरुण चतुर्वेदी, ओम माथुर, महेश शर्मा, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, बारां-झालावाड़ सांसद दुष्यंत सिंह, मनोज राजोरिया, सह प्रभारी विजया रहाटकर शामिल रहे। ताजपोशी में आला नेताओं के साथ प्रदेश भर के कार्यकर्ता भी शामिल हुए। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थिति दर्ज कराई।
राजस्थान बीजेपी मुख्यालय में लगे पोस्टर में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बरकरार हैं। पूनिया इसमें नहीं दिख रहे हैं।
पोस्टर से गायब हुए सतीश पूनिया राजस्थान बीजेपी मुख्यालय के बाहर लगे पोस्टर से अब सतीश पूनिया की फोटो हट गई है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पोस्टर में अब भी बरकरार हैं। सीपी जोशी की ताजपोशी से पहले ही बीजेपी मुख्यालय के बाहर नए पोस्टर लगाए गए हैं। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ राजस्थान बीजेपी के नवनियुक्त अध्यक्ष सीपी जोशी और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जगह दी गई है। इसको लेकर सियासी हलकों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
24 जनवरी को सतीश पूनिया के कार्यकाल के दौरान पहली बार पार्टी मुख्यालय पर लगे बड़े होर्डिंग्स में राजे को जगह दी गई थी। उसके बाद से ही राजस्थान की राजनीति में बदलाव को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया था।
राजस्थान में सतीश पूनिया के अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी मुख्यालय पर लगे होर्डिंग्स से वसुंधरा राजे की तस्वीर को हटा दिया गया था। इस साल जनवरी में जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के राजस्थान दौरे पर आए। तब एक बार फिर वसुंधरा राजे की तस्वीर को बीजेपी मुख्यालय में लगे होर्डिंग्स में शामिल किया गया था। उस वक्त से ही राजस्थान की राजनीति में बदलाव की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। पिछले 3 साल से बीजेपी मुख्यालय पर लगे होर्डिंग्स में बरकरार रहने वाले सतीश पूनिया की तस्वीर को हटा दिया गया है।
बीजेपी अध्यक्ष सीपी जोशी के साथ केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी और बीजेपी के कई सांसद और विधायक भी मौजूद हैं।
कांग्रेस के दिग्गज नेता को चुनाव हराया
सीपी जोशी चित्तौड़गढ़ से दो बार लोकसभा पहुंचे हैं। वह पहले 2014 में फिर 2019 में इस सीट से चुनाव जीते। 2014 के आम चुनाव में उन्होंने कांग्रेसी की सीनियर नेता गिरिजा व्यास को हराया था। जोशी भाजपा के यूथ विंग, भाजयुमो के स्टेट प्रेसिडेंट रहे हैं। वह बीजेपी राजस्थान के 15वें अध्यक्ष और 7वें ब्राह्मण अध्यक्ष बने हैं। इससे पहले हरिशंकर भाभड़ा, भंवरलाल शर्मा, ललित किशोर चतुर्वेदी, महेश चंद्र शर्मा, रघुवीर सिंह कौशल और अरुण चतुर्वेदी ब्राह्मण प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं। अध्यक्ष बदलने के बाद भाजपा के सामने अब नई प्रदेश कार्यकारिणी का गठन एक चुनौती होगी।
अलवर सांसद बाबा बालकनाथ ने बीजेपी के नवनियुक्त अध्यक्ष सीपी जोशी को गाड़ी पर चढ़कर दी बधाई ।
कटारिया की कमी को दूर करेंगे सीपी
सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने मेवाड़ को साधने की कोशिश की है। मेवाड़ में ब्राह्मण और वैश्य बीजेपी का बड़ा वोट बैंक है। उदयपुर से विधायक रहे गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद मेवाड़ में बीजेपी के पास कोई प्रभावी नेता नहीं रह गया था।
ऐसे में जोशी को नई जिम्मेदारी देकर बीजेपी ने इस बेल्ट में खुद को मजबूत बनाने का प्रयास किया है। उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और बांसवाड़ा जिलों में ब्राह्मण और वैश्य वर्ग का खासा वोट बैंक है।
42 में से 22 साल ब्राह्मण अध्यक्ष
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए सीपी जोशी ने रविवार को जयपुर में हुई विप्र महापंचायत में हिस्सा लिया था। उन्होंने महापंचायत में सनातन की रक्षा के साथ समाज हित में काम करने और समाज के नेताओं की बेवजह आलोचना नहीं करने की सीख दी थी। अब उन्हें प्रदेशाध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने ब्राह्मण वोटर्स को मैसेज देने की कोशिश की है।
ब्राह्मण बीजेपी का सबसे बड़ा कोर वोटर रहा है। ऐसे में इस बड़े वर्ग को साधने के हिसाब से इस नियुक्ति को अहम माना जा रहा है। बीजेपी के पिछले 42 साल से ज्यादा के इतिहास में राजस्थान में 22 साल से ज्यादा प्रदेशाध्यक्ष इसी वर्ग से रहे
हैं।
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सात महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने अपने नए वजीर की ताजपोशी कर दी है। राजस्थान की चुनावी शतरंज पर भाजपा सोच-समझकर अपनी चाल रही है। इसी सोची-समझी रणनीति के तहत सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।
आखिर चुनाव से ऐन पहले इस तरह का चौंकाने वाला फैसला पार्टी ने क्यों किया? इससे भाजपा को क्या फायदा होगा और कैसे अब अगले कुछ ही महीनों में भाजपा की चुनावी बिसात बिछी हुई नजर आएगी, पढ़िए भास्कर की एक्सक्लूसिव स्टोरी में...
चित्तौड़गढ़ से दूसरी बार सांसद सीपी जोशी को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाकर केंद्रीय नेतृत्व ने कई मैसेज दिए हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने राजस्थान भाजपा में चल रही गुटबाजी को दूर करने का प्रयास तो किया ही है, साथ ही केंद्र और प्रदेश में कोई ब्राह्मण चेहरा प्रमुख भूमिका में नहीं होने की कमी को पूरी करके ब्राह्मण समाज को भी आने वाले चुनावों के लिहाज से साधने का काम किया है।
कटारिया और पूनिया ने जोशी का नाम आगे बढ़ाया भाजपा सूत्रों का कहना है सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाने के पीछे असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया और खुद सतीश पूनिया की भूमिका अहम रही है। जब नए अध्यक्ष के नामों पर चर्चा हुई तो केंद्रीय नेतृत्व के सामने कटारिया और पूनिया ने जोशी का नाम आगे बढ़ाया। जोशी भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष के नाते काम देख रहे थे।
सूत्र बताते हैं कि पूनिया का तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद जब नए अध्यक्ष की तलाश शुरू हुई तो पूनिया नेही केंद्रीय नेतृत्व को जोशी का नाम सुझाया। इसके बाद कटारिया ने जोशी की केंद्रीय नेतृत्व के सामने पैरवी की। जोशी केंद्रीय स्तर पर अमित शाह के साथ सहकारिता से जुड़ी संसदीय समिति में भी महत्वपूर्ण भूमिका में होने के कारण उनकी गुड बुक में पहले से ही थे।
यही कारण रहा कि कटारिया, पूनिया और शाह के कारण सीपी जोशी को प्रदेश भाजपा का मुखिया बनने का मौका मिला।
वसुंधरा - पूनिया के बीच बढ़ रही थीं तल्खियां
भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर सतीश पूनिया के बीच लगातार आपसी खींचतान बढ़ रही थी। जनवरी में जब पूनिया का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी उनको प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बरकरार रखा गया तो दोनों में दूरियां ज्यादा बढ़ने लगीं। पिछले दिनों वसुंधरा राजे के सालासर में हुए जन्मदिन कार्यक्रम को लेकर दोनों में अदावत काफी बढ़ गई थी।
वसुंधरा राजे के जन्मदिन कार्यक्रम के दिन ही जयपुर में पार्टी की ओर से सरकार के खिलाफ प्रदर्शन का कार्यक्रम तय होने से भी विवाद गहराने लगा था। घटना से नाराज राजे समर्थक नेता इस बात को लगातार हवा दे रहे थे कि पूनिया-वसुंधरा राजे को तवज्जो नहीं दे रहे। यह बात आम हो गई थी कि वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया में बन नहीं रही है।
कार्यकर्ताओं में भी लगातार नेगेटिव मैसेज जा रहा था। इससे पार्टी में नीचे तक गुटबाजी पनप रही थी। केंद्रीय नेतृत्व ने बीच का रास्ता निकालकर पूनिया का एक्सटेंशन रोककर नए अध्यक्ष के तौर पर सीपी जोशी का नाम घोषित कर दिया।
किरोड़ी - पूनिया में भी दिखी थीं दूरियां जिस तरह से वसुंधरा राजे और पूनिया के बीच तल्खियां शुरू से ही दिख रही थीं, पिछले कुछ दिनों से राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा की भी पूनिया से दूरियां दिखने लगी थीं। पेपर लीक के मामले में आंदोलन कर रहे डॉ. किरोड़ी लाल ने पूनिया पर यह आरोप लगाकर पार्टी के भीतर खलबली मचा दी थी कि पूनिया उनका आंदोलन में सहयोग नहीं कर रहे।
बाद में पूनिया ने धरने पर जाकर दूरियां दूर करने की कोशिश की थी। इसके साथ ही वीरांगनाओं के रिश्तेदारों को नौकरी देने को लेकर भी किरोड़ीलाल ने आंदोलन किया था, लेकिन भाजपा देरी से शामिल हुई।
दूसरी तरफ पूनिया और पार्टी के अन्य नेताओं का मानना रहा है कि किरोड़ीलाल पार्टी की ओर से घोषित कार्यक्रमों के बजाय अपने स्तर पर आंदोलन शुरू करते रहे हैं।
फोटो 19 मार्च की है। जयपुर के विद्याधर नगर में हुई ब्राह्मण महापंचायत में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और सांसद सीपी जोशी भी मौजूद थे।
जोशी के नाम राजस्थान में दूसरे नंबर पर वोटों से जीत का
रिकॉर्ड
सीपी जोशी चित्तौड़गढ़ से लगातार दूसरी बार सांसद हैं। पहली बार उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीनियर नेता गिरिजा व्यास को हराया था। दूसरी बार 2019 में सीपी जोशी ने कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत को हराया।
पिछले चुनाव में सीपी जोशी राजस्थान में भीलवाड़ा सांसद सुभाष बहेड़िया के बाद सबसे ज्यादा दूसरे नंबर पर वोटों से जीत का रिकॉर्ड बनाने वाले सांसद रहे थे। उन्होंने 5,76,247 वोटों से कांग्रेस को हराया। उनकी लोकप्रियता को भी पार्टी ने ध्यान में रखकर चयन का आधार माना है।
भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग में ब्राह्मण हाशिए पर थे भाजपा राजस्थान में चुनाव को देखते हुए सोशल इंजीनियरिंग पर भी फोकस है। मौजूदा समय में प्रदेश भाजपा में कोई भी ब्राह्मण चेहरा प्रमुख भूमिका में नहीं था । इसी तरह केंद्र की भाजपा सरकार और राष्ट्रीय संगठन में भी राजस्थान से कोई ब्राह्मण चेहरा प्रभावी भूमिका में नहीं है।
राजस्थान से लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर भाजपा के कुल 28 सांसद है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में राजस्थान की भागीदारी की बात करें तो चार मंत्री हैं। इनमें तीन लोकसभा सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल और कैलाश चौधरी और एक राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हैं।
गुरुवार को सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त करने पर बीजेपी राष्ट्र महासचिव व मुख्य प्रभारी अरुण सिंह की ओर से आदेश जारी किया गया
था।
गजेंद्र सिंह शेखावत गैर आरक्षित वर्ग से आते हैं, जबकि
बाकी तीनों मंत्री आरक्षित वर्ग से हैं। इनमें एक एससी और दो
ओबीसी वर्ग से हैं। लोकसभा अध्यक्ष के पद पर कोटा सांसद
ओम बिड़ला हैं, जो वैश्य वर्ग से आते हैं।
उपराष्ट्रपति के पद पर जगदीप धनखड़ हैं, जो जाट समुदाय से हैं। भाजपा के प्रदेश नेतृत्व, केंद्रीय मंत्रिमंडल और राष्ट्रीय संगठन में कोई भी ब्राह्मण नेता प्रमुख भूमिका में नहीं होने के कारण सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की है।
राजस्थान में ब्राह्मणों को बड़ा वोट बैंक माना जाता है। हाल ही में जयपुर में हुई ब्राह्मण महापंचायत में भी समाज को राजनीतिक रूप से कम आंके जाने की बात उठी थी ।
उनके नेतृत्व में सफलता पूर्वक राजनीतिक कार्यक्रम हुए हैं। गहलोत सरकार के खिलाफ जन आक्रोश व संघर्ष में उन्होंने अपनी भूमिका निभाई है। उनकी आगे भी भूमिका रहेगी। माना जा रहा है कि पूनिया को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के खाली चल रहे पद पर या चुनाव अभियान समिति जैसे किसी पद पर जिम्मेदारी दी जा सकती है।
अब वसुंधरा के रुख पर रहेगी नजर भाजपा के सीनियर नेताओं का कहना है कि वसुंधरा राजे शुरुआत से ही पूनिया से अनबन के कारण प्रदेश इकाई के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर चल रही थीं। चूंकि अब पूनिया का प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर नेतृत्व खत्म हो चुका है। ऐसे में में भाजपा में वसुंधरा के अगले रुख को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
केंद्रीय नेतृत्व भी इस बात को नकार नहीं रहा कि राजस्थान में वसुंधरा की कार्यकर्ताओं पर पकड़ के कारण चुनाव में उनका रोल कम करके नहीं आंका जा सकता। आने वाले दिनों में यह संभव है कि राजे पार्टी की रणनीति और चुनावी तैयारियों में प्रमुख भूमिका में दिखाई दें।
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जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाने में सबसे अहम भूमिका सतीश पूनिया की रही। जयपुर में हुई ब्राह्मण महापंचायत में भी सतीश पूनिया मौजूद थे।
पूनिया को दी जा सकती है नई जिम्मेदारी
सतीश पूनिया के तीन साल के कार्यकाल में संगठन के स्तर पर हुए कामों को देखते हुए भाजपा उनको चुनाव से पहले कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे सकती है। प्रदेश भाजपा प्रभारी अरुण सिंह का कहना है कि सतीश पूनिया ने राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पार्टी के संगठन को विस्तार देने और संगठन को मजबूत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
संगठन में नीचे से शुरुआत करके सीपी जोशी प्रदेश अध्यक्ष के पद पर पहुंचे हैं। उनको संगठन को समझने वाले नेता के रूप में जाना जाता है। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र जीवन से 1994 में चित्तौड़गढ़ कॉलेज छात्रसंघ में उपाध्यक्ष से हुई थी।
अगले ही साल 1995 में वे चित्तौड़गढ़ कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष बने। वर्ष 2000 से लेकर 2005 तक वे जिला परिषद सदस्य रहे। 2005 से 2010 तक चित्तौड़गढ़ की भदेसर पंचायत समिति के उप प्रधान रहे । वे चित्तौड़गढ़ भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। प्रदेश भाजपा संगठन में वे सितं
बर 2014 से 2017 तक प्रदेश युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे। अभी पूनिया की टीम में वे प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर काम कर रहे थे।