गवरी माता पार्वती व भगवान शिव का स्वरूप है जो कि मेवाड़ के भील समाज द्वारा खेली जाती हैं
मेवाड़ में गवरी
गवरी मेवाड़ का प्रसिद्ध त्योहार है जो कि विश्व का सबसे लंबा खेले जाने वाला त्यौहार है। गवरी माता पार्वती व भगवान शिव का स्वरूप है जो कि मेवाड़ के भील समाज द्वारा खेली जाती हैं एवं गांव में रहने वाले सभी सर्व समाज के लोग गवरी के नियम का पालन करते हैं । गांव की बहन बेटियां गोरजा माता को अपने ससुराल में निमंत्रण (माता पामणी) करती हैं, राखी के दूसरे दिन से शुरुआत होती हैं जो सवा महीने तक खेली जाती है। गवरी में देवी देवताओं पर आधारित खेल खेले जाते हैं राजा जेली, पाबूजी राठौड़, लाखा बंजारा, माता अंबाव, शिव पार्वती, माता चामुंडा, भेरू नाथ, बड़ा हिंदवा, एवं नवलाख देवी देवताओ के खेल खेले जाते हैं। गवरी सनातन धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार है। गवरी खेलने वाले सभी अनेक नियमों का पालन करते हैं। लकड़ी पर नहीं बैठना, जूते नहीं पहनना, हरा नहीं खाना, शराब नहीं पीना, बिस्तर पर नहीं सोना, भोग विलास से दूर रहना, श्रृंगार करना, सवा महीने तक माता की आराधना करना आदि नियम का कठोरता पूर्वक पालन करते हैं।
कौन कहता है, जनजाति समाज हिंदुओं से अलग है, तथापि वही सच्चा हिन्दू है।